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मंडी के पंकज ठाकुर बने असिस्टेंट कमांडेंट, बड़े भाई भी वायुसेना में दे रहे हैं सेवाएं

सरकाघाट के पंकज ठाकुर अर्धसैनिक बल में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर नियुक्त हुए हैं. पंकज ने यह उपलब्धि छठवें प्रयास में हासिल की है. इससे पंकज पहले एनडीए और सीडीएस की परीक्षा भी दे चुके थे.

असिस्टेंट कमांडेंट बने सरकाघाट के पंकज ठाकुर
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Published : Aug 4, 2019, 2:22 PM IST

मंडीः सरकाघाट उपमंडल के कठोगण गांव निवासी 23 वर्षीय पंकज ठाकुर भारतीय अर्धसैनिक बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट चुने गए हैं. यूपीएससी की परीक्षा को सफलतापूर्वक उतीर्ण करने के बाद उन्हें इस पद के लिए चुना गया है.

इससे पहले पंकज ने 6 बार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा दी थी. पंकज ने हार न मानते हुए, अपने दादा से मिली प्रेरीरत होकर आगे बढ़ते रहे. पंकज के दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. पंकज के पिता जगदीश ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर एएसआई कार्यरत हैं जबकि माता रीता देवी गृहणी हैं.

बड़े भाई अनुपम ठाकुर भारतीय वायुसेना में गरूड़ कमांडो के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. पंकज के दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

ये भी पढ़ें- हि.प्र. विश्वविद्यालय को बनाया जाएगा उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र- राज्यपाल

पंकज के चचेरे भाई मनोज ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर हैड कांस्टेबल हैं. मनोज ठाकुर की कविता कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा ने देश भर में वाहवाही बटोरी थी.
पंकज की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से ही हुई और उसके बाद उनका चयन सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा के लिए हुआ. उसके बाद पंकज ने सुंदरनगर से बीएससी की शिक्षा प्राप्त की.

ये भी पढ़ें- ये राहें नहीं आसान, यहां कदम-कदम पर मौत कर रही इंतजार, जोखिम में जान

पंकज की सालों की कड़ी मेहनत के बाद देश सेवा का सपना पूरा हुआ है. इस कामयाबी ने गांव ही नहीं ब्लकि प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश का गौरव बढ़ाया है.

मंडीः सरकाघाट उपमंडल के कठोगण गांव निवासी 23 वर्षीय पंकज ठाकुर भारतीय अर्धसैनिक बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट चुने गए हैं. यूपीएससी की परीक्षा को सफलतापूर्वक उतीर्ण करने के बाद उन्हें इस पद के लिए चुना गया है.

इससे पहले पंकज ने 6 बार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा दी थी. पंकज ने हार न मानते हुए, अपने दादा से मिली प्रेरीरत होकर आगे बढ़ते रहे. पंकज के दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. पंकज के पिता जगदीश ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर एएसआई कार्यरत हैं जबकि माता रीता देवी गृहणी हैं.

बड़े भाई अनुपम ठाकुर भारतीय वायुसेना में गरूड़ कमांडो के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. पंकज के दादा भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

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पंकज के चचेरे भाई मनोज ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर हैड कांस्टेबल हैं. मनोज ठाकुर की कविता कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा ने देश भर में वाहवाही बटोरी थी.
पंकज की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से ही हुई और उसके बाद उनका चयन सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा के लिए हुआ. उसके बाद पंकज ने सुंदरनगर से बीएससी की शिक्षा प्राप्त की.

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पंकज की सालों की कड़ी मेहनत के बाद देश सेवा का सपना पूरा हुआ है. इस कामयाबी ने गांव ही नहीं ब्लकि प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश का गौरव बढ़ाया है.

Intro:मंडी। मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल के कठोगण गांव निवासी 23 वर्षीय पंकज ठाकुर भारतीय अर्धसैनिक बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट चुने गए हैं। यूपीएससी की परीक्षा को सफलतापूर्वक उतीर्ण करने के बाद उन्हें इस पद के लिए चुना गया है। इससे पहले पंकज ने 6 बार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा दी, लेकिन हर बार पर्सनल इंटरव्यू से बाहर होना पड़ा। पंकज ने हार नहीं मानी और अपने दादा से मिली प्रेरणा पर आगे बढ़ते हुए अब अर्धसैनिक बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट कामयाबी हासिल की।Body:पंकज के पिता जगदीश ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर एएसआई कार्यरत हैं जबकि माता रीता देवी गृहणी हैं। बड़े भाई अनुपम ठाकुर भारतीय वायुसेना में गरूड़ कमांडो के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्ष 2018 में अनुपम ठाकुर जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा में तैनात थे और उस दौरान उन्होंने कई आतंकियों को मौत की नींद सुलाने का काम किया था। पंकज के चचेरे भाई मनोज ठाकुर हिमाचल पुलिस में बतौर हैड कांस्टेबल हैं। यह वही मनोज ठाकुर हैं जिनकी कविता ’’कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा’’ ने देश भर में वाहवाही बटोरी थी। पंकज के दादा भारतीय सेना से रिटायर हुए। उन्हें देखकर पंकज में भी देश सेवा का जज्वा बचपन से ही जाग गया था। पंकज की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से ही हुई और उसके बाद उनका चयन सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा के लिए हुआ। यहां से प्लस टू करने के बाद पंकज ने एमएलएसएम कालेज सुंदरनगर से बीएसई की। उपरांत इसके 6 बार एनडीए और सीडीएस की परीक्षा उतीर्ण की लेकिन हर बार पर्सनल इंटरव्यू से बाहर होना पड़ा। आखिरकार पंकज को सफलता मिली और अब उनका चयन भारतीय अर्धसैनिक बल में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट हुआ है। पंकज की इस कामयाबी से न सिर्फ घर में बल्कि गांव में भी उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। पंकज और उसके परिवार को बधाई देने वालों का घर पर तांता लगा हुआ है।Conclusion:
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