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Mandi: पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद करसोग पहुंचे नेकराम शर्मा, लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ किया जोरदार स्वागत

मंडी जिले के करसोग के नेकराम शर्मा दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद करसोग पहुंचे. जहां पहुंचने पर नेकराम शर्मा का लोगों ने जमकर स्वागत किया. नेकराम शर्मा को 20 सालों से प्राकृतिक खेती कर पारंपरिक मोटे अनाजों को पुनर्जीवित करने के कार्य के लिए पद्मश्री से नवाजा गया है.

Padma Shri Nekram Sharma reached Karsog in mandi
करसोग पहुंचे पद्मश्री नेकराम शर्मा
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Published : Apr 9, 2023, 5:18 PM IST

करसोग: दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में करसोग के अंतर्गत नाज गांव के नेकराम शर्मा तहसील मुख्यालय पहुंचे. करसोग पहुंचने पर नेकराम का लोगों ने ढोल-नगाड़ों संग जोरदार स्वागत किया. यहां स्थानीय जनता ने ढोल नगाड़ों के साथ नेकराम शर्मा का अभिनंदन किया गया. नेकराम शर्मा पिछले करीब 20 सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नौ मिलेट्स की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहे हैं. जिसके लिए नेकराम शर्मा को पद्मश्री सम्मान दिया गया.

देश भर में रोशन हुआ मंडी का नाम: कृषि के क्षेत्र में नेकराम शर्मा को पद्मश्री सम्मान मिलने से देशभर में हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ मंडी का नाम रोशन हुआ है. नेक राम शर्मा को 6 अप्रैल को देश के राष्ट्रपति द्वारा प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में देश के चौथे पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. करसोग पहुंचने पर नेकराम शर्मा के सम्मान में पुराना बाजार स्थित रामलीला मैदान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया. नेकराम शर्मा ने मंच पर से संबोधन करते वक्त मोटे अनाजों के सेवन से स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी.

वर्ष 1992 से जुड़े हैं प्राकृतिक खेती से: नाज गांव के साधारण परिवार में जन्मे नेकराम शर्मा वर्ष 1992 से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. इससे पहले नेकराम शर्मा रासायनिक खेती करते थे, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए नेकराम शर्मा ने जहर वाली खेती को छोड़कर करीब 20 साल पहले प्राकृतिक खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने सोलन में स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डॉ जेपी उपाध्याय से ट्रेनिंग के दौरान प्राकृतिक खेती के टिप्स लिए. इसके अलावा उन्होंने बेंगलुरु में स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ से भी प्राकृतिक खेती की तकनीक के गुर सिखे.

20 हजार किसानों को कर चुके हैं प्रेरित: नेकराम शर्मा ने प्राकृतिक खेती से जुड़ने के बाद हिमाचल प्रदेश के लगभग 20 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया है. नेकराम शर्मा नौ अनाजों की पारंपरिक फसल प्रणाली को दोबारा फिर से जीवित करने के प्रयास कर रहे हैं. इसमें देश व प्रदेश के लुफ्त होते पारंपरिक अनाज जैसे कागणी, कोदरा, सोक, ज्वार आदि अनाजों सहित मोटे अनाज जैसे देसी मक्की व जौ आदि शामिल हैं. नेकराम शर्मा कोलथी दाल का संरक्षण भी कर रहे हैं. ये अनाज खाने में पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है.

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित: करसोग में पद्मश्री नेकराम शर्मा के स्वागत के लिए स्थानीय विधायक दीप राज, कांग्रेस नेता महेश राज, जिला परिषद सदस्य किशोरी लाल, नगर पंचायत अध्यक्षा सविता गुप्ता, हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी नेता हीरा लाल ठाकुर, उपाध्यक्ष नगर पंचायत बंसी लाल कौंडल, साहित्यकार डॉ जगदीश शर्मा, मोती राम, पूर्व जिला परिषद करसोग बबिता ठाकुर, सहित अन्य कई लोग उपस्थित रहे.

ये भी पढे़ं: किसान नेकराम शर्मा को मिला पद्मश्री सम्मान, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिया अवॉर्ड

करसोग: दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में करसोग के अंतर्गत नाज गांव के नेकराम शर्मा तहसील मुख्यालय पहुंचे. करसोग पहुंचने पर नेकराम का लोगों ने ढोल-नगाड़ों संग जोरदार स्वागत किया. यहां स्थानीय जनता ने ढोल नगाड़ों के साथ नेकराम शर्मा का अभिनंदन किया गया. नेकराम शर्मा पिछले करीब 20 सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद नौ मिलेट्स की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहे हैं. जिसके लिए नेकराम शर्मा को पद्मश्री सम्मान दिया गया.

देश भर में रोशन हुआ मंडी का नाम: कृषि के क्षेत्र में नेकराम शर्मा को पद्मश्री सम्मान मिलने से देशभर में हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ मंडी का नाम रोशन हुआ है. नेक राम शर्मा को 6 अप्रैल को देश के राष्ट्रपति द्वारा प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में देश के चौथे पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. करसोग पहुंचने पर नेकराम शर्मा के सम्मान में पुराना बाजार स्थित रामलीला मैदान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया. नेकराम शर्मा ने मंच पर से संबोधन करते वक्त मोटे अनाजों के सेवन से स्वास्थ्य पर होने वाले फायदों के बारे में भी जानकारी दी.

वर्ष 1992 से जुड़े हैं प्राकृतिक खेती से: नाज गांव के साधारण परिवार में जन्मे नेकराम शर्मा वर्ष 1992 से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. इससे पहले नेकराम शर्मा रासायनिक खेती करते थे, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को देखते हुए नेकराम शर्मा ने जहर वाली खेती को छोड़कर करीब 20 साल पहले प्राकृतिक खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने सोलन में स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डॉ जेपी उपाध्याय से ट्रेनिंग के दौरान प्राकृतिक खेती के टिप्स लिए. इसके अलावा उन्होंने बेंगलुरु में स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ से भी प्राकृतिक खेती की तकनीक के गुर सिखे.

20 हजार किसानों को कर चुके हैं प्रेरित: नेकराम शर्मा ने प्राकृतिक खेती से जुड़ने के बाद हिमाचल प्रदेश के लगभग 20 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया है. नेकराम शर्मा नौ अनाजों की पारंपरिक फसल प्रणाली को दोबारा फिर से जीवित करने के प्रयास कर रहे हैं. इसमें देश व प्रदेश के लुफ्त होते पारंपरिक अनाज जैसे कागणी, कोदरा, सोक, ज्वार आदि अनाजों सहित मोटे अनाज जैसे देसी मक्की व जौ आदि शामिल हैं. नेकराम शर्मा कोलथी दाल का संरक्षण भी कर रहे हैं. ये अनाज खाने में पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है.

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित: करसोग में पद्मश्री नेकराम शर्मा के स्वागत के लिए स्थानीय विधायक दीप राज, कांग्रेस नेता महेश राज, जिला परिषद सदस्य किशोरी लाल, नगर पंचायत अध्यक्षा सविता गुप्ता, हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी नेता हीरा लाल ठाकुर, उपाध्यक्ष नगर पंचायत बंसी लाल कौंडल, साहित्यकार डॉ जगदीश शर्मा, मोती राम, पूर्व जिला परिषद करसोग बबिता ठाकुर, सहित अन्य कई लोग उपस्थित रहे.

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