जोगिंद्रनगर: धान की फसल ने जिला में किसानों की कमर तोड़ दी है. कई जगहों पर पौधों में अंकुर नहीं फूटे हैं. वहीं, कई पौधे खेतों में सूख गए हैं. करीब 60 प्रतिशत धान की फसल तबाह होने से किसानों में हड़कंप मच चुका है.
अब कृषि विभाग और प्रदेश सरकार से उचित आर्थिक सहायता की मांग को लेकर किसान मुखर हो चुके हैं. जोगिंद्रनगर में धान की फसल की रोपाई और बिजाई का कार्य अधिकांश किसानों ने जून माह तक निपटा लिया था.
सितंबर माह में धान की तैयार होने की संभावना थी, लेकिन इस बार सैकड़ों बीघा भूमि पर धान के पौधों में अंकुर तक नहीं फूटे हैं, जिससे किसानों को सालाना अजिविका का खतरा मंडरा चुका है. क्षेत्र के दारट, बगला, नेर घरवासड़ा पंचायत के अलावा बस्सी और लडभड़ोल क्षेत्र के कई गांव धान की अधूरी फसल को लेकर अभी से चिंतित हो चुके हैं.
कोरोना काल में किसान खेती बाड़ी को लेकर अपनी अजिविका का एक मुख्य साधन मानकर बंजर भूमि को भी धान की फसल के लिए तैयार कर आमदनी और सालाना राशन की उम्मीद को लेकर अपने खेतों में उतरे थे, लेकिन इस बार मुनाफा तो दूर किसानों के धान की फसल के खर्च तक निकलने की उम्मीद नहीं है.
इससे पहले बारिश और ओलावृष्टि से किसानों के खेतों में लगी फल सब्जीयां तबाह हो गई थीं. धान की फसल में अंकुर न फूटने का कारण कृषि विभाग द्वारा दिए गए बीज बताए जा रहे हैं. कुछ किसानों का कहना है कि बीज की गुणवता की कमी के कारण भी इस बार धान की फसल अभी तक तैयार नहीं हो पाई है. कई प्रकार के कीटनाशक और दवाओं के छिड़काव के बाद भी फसल का तैयार न होना बीज की गुणवता पर सवाल उठा रहा है.