मंडी: हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहां पर अनेकों मंदिर स्थापित हैं. हर जिले के मंदिरों की अपनी-अपनी परंपराएं और रीति रिवाज हैं. ऐसा ही एक देव स्थल मौजूद है सुंदरनगर के ओड़की में, जहां पर शुकदेव मुनि अनेक ऋषि-मुनियों सहित उडुगण सम्मेलन किया करते थे.
बता दें कि हर साल इस जगह भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक एक गरीब परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ और जन्म के 1 साल बाद ही उस बच्चे ने देवताओं के प्रति अपनी आस्था दिखानी शुरू कर दी. लोक मान्यताओं के अनुसार 5 साल के बच्चे ने वहां पर एक विशाल पेड़ के नीचे मिट्टी के देवरथ और सर्प की आकृति बना डाली.
मान्यता के मुताबिक एक दिन बच्चे की मां पशुओं के लिए घास लाने जंगल गई तो साथ ही मिट्टी के बनाए हुए देवरथ और सर्प को अपने साथ ले जाकर रास्ते में एक झाड़ी के नीचे रख दिआ. जैसे ही वह घास लेकर जंगल से वापस हुई तो जिस स्थान पर उसने देवरथ को छुपा रखा था वहां पर एक विकराल सर्प उत्पन्न हुआ. जैसे-जैसे वह महिला कदम घर की ओर उठाने लगी वह सर्प उसका रास्ता रोकने लगा. इस पर महिला ने भयभीत होकर देव माहूनाग का ध्यान किया और ध्यान करते ही सांप अदृश्य हो गया.
कहा जाता है कि उस रात महिला को सपने में वही सर्प दिखाई दिया. जिसे मांहूनाग बताया जाता है. महिला के सपने में आए माहूंनाग के मुताबिक उन्होंने उसी पेड़ के पास मूर्ति की स्थापना की बात कही. तब से लेकर यह स्थान ओड़की माहूनाग से प्रसिद्ध हो गया.