मंडी: हिमाचल सरकार के प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन नारे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. प्रदेश में जहां कई अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं तो वहीं, सैंकड़ों स्कूलों में अध्यापकों की कमी खल रही है. मंडी जिले के द्रंग शिक्षा खंड-दो के तहत आने वाले दुर्गम क्षेत्र गढ़गांव का प्राइमरी स्कूल बीते कई वर्षों से एक ही शिक्षक के सहारे चल रहा है. स्कूल में कक्षा एक से पांचवी तक पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 20 है, लेकिन इन सभी बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र एक ही शिक्षक उपलब्ध हैं.
बताया जा रहा है कि यह शिक्षक स्कूल के बाकी कार्यों को भी निपटाते हैं और बच्चों को भी पढ़ाते हैं. इसके अलावा अन्य कार्यों में डयूटी लगने पर वहां भी जातें हैं. इन सभी बातों के कारण बच्चों की पढ़ाई पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है. अभिभावक संतोष कुमार, श्याम सिंह और शिबू राम ने बताया कि उन्होंने कई बार सरकार तक अपनी इस बात को पहुंचाया, लेकिन कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. दो वर्ष कोरोना काल के कारण बच्चों की पढ़ाई पर विपरित प्रभाव पड़ा और अब शिक्षकों की कमी के कारण बच्चे शिक्षा में पिछड़ते जा रहे हैं. जो इकलौता शिक्षक है वो अन्य कार्यों में भी व्यस्त रहते हैं जिस कारण बच्चों को पढ़ाने का उचित समय नहीं मिल पा रहा है.
अभिभावकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इसी सत्र में शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई तो फिर अभिभावक शिक्षा उपनिदेशक के कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे. वहीं, जब इस बारे में प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक अमरनाथ राणा ने बताया कि बहुत से स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं. इस विषय में समय-समय पर निदेशालय को अवगत करवा दिया जाता है. पद भरने की प्रक्रिया जारी है.