मंडी/करसोग: हिमाचल में किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए श्वेत क्रांति लाने के सरकारी के सभी दावे जमीनी स्तर पर धराशायी हो गए हैं. इसका बड़ा उदाहरण करसोग का सब डिवीजन वेटनरी अस्पताल है, जहां पिछले दो महीनों से गायों को गर्भाधारण के टीके नहीं लग रहे हैं.
बता दें कि इस अस्पताल के तहत तीन अन्य पशु अस्पताल धरमौड, सैंज बगड़ा व पांगणा आते हैं, जिनमें इन दिनों गर्भाधारण के टीकों की सुविधा नहीं मिल रही है. इनके समेत 59 डिस्पेंसरियो में भी टीकों की सुविधा नहीं मिल रही है. इन अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में गाय के गर्भधारण के टीके के लिए आने वाले सैकड़ों किसानों को खाली हाथ ही वापस लौटाया जा रहा है.
करसोग के हजारों ऐसे पशु पालकों की परेशानी बढ़ गई है, जिनकी साल भर की रोटी केवल दूध कारोबार पर ही निर्भर है. पशु पालन विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही से किसानों में सरकार के प्रति भारी रोष है.
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सब डिवीजन वेटनरी अस्पताल में नहीं है लिक्विड नाइट्रोजन गैस:
पशु पालन विभाग की इससे बड़ी लापरवाही भला क्या हो सकती है कि सब डिवीजन वेटनरी अस्पताल में दो महीने से लिक्विड नाइट्रोजन गैस नहीं है. ये गैस कृत्रिम गर्भाधान के टीके प्रिजर्व करने के काम आती है. करसोग के इस सब डिवीजन वेटनरी अस्पताल के तहत आने वाले तीनों अस्पतालों व इनेक तहत आने वाली 59 डिस्पेंसरियां में भी लिक्विड नाइट्रोजन गैस उपलब्ध नहीं है.
हिमाचल में लिए केवल एक सप्लायर
किसानों की समस्या को लेकर सरकार खुद भी गंभीर नहीं है. एक ओर तो श्वेत क्रांति लाने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं पूरे हिमाचल के लिए लिक्विड नाइट्रोजन के लिए केवल एक ही सप्लायर है. प्रदेश के लिए ये सप्लाई पंजाब से आती है.
किसानों का कहना है कि सरकार खुद पशु पालन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन अस्पताल में टीके को प्रिजर्व करवाने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन गैस की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है.
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पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. विशाल शर्मा का कहना है कि लिक्विड नाइट्रोजन की सप्लाई नहीं आ रही है. इस मामले को उच्चाधिकारियों के समक्ष भी उठाया गया है. उन्होंने कहा कि किसानों की समस्या को देखते हुए एक हफ्ते में सप्लाई पहुंचाए जाने की कोशिश की जा रही है.