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विकास में रोड़ा नहीं डालेंगे लेकिन कौड़ियों के भाव भी नहीं देंगे जमीन: संघर्ष समिति - Banal Panchayat news

एनएच 70 के निर्माण से प्रभावित होने वाले हजारों परिवारों ने मुआवजे की घोषणा न होने पर प्रॉजेक्ट का विरोध करना शुरू कर दिया है. रविवार को बनाल पंचायत में आयोजित बैठक में प्रभावित परिवारों को लेकर चर्चा की गई.

Meeting held in Banal Panchayat on compensation for construction of four lane
संघर्ष समिति
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Published : Nov 1, 2020, 9:20 PM IST

धर्मपुर/मंडी: जिला के एनएच 70 के निर्माण से प्रभावित होने वाले हजारों परिवार सम्मान जनक मुआवजे पर एकजुट हो चुके हैं. इन परिवारों का कहना है कि वह विकास की राह में रोड़ा नहीं अटका रहे और न ही प्रॉजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, लेकिन मुआवजे की घोषणा न होने पर भूमि-मालिकों में संशय बढ़ता जा रहा है.

बता दें कि रविवार को बनाल पंचायत में आयोजित बैठक में नेशनल हाईवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमेश ठाकुर ने कहा कि प्रशासन किसानों और भूमि-मालिकों मुआवजे के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है, जिससे प्रभावित परिवारों में असमंजस बना हुआ है. संघर्ष समिति चाहती है कि सरकार हमीरपुर से लेकर मंडी तक एक ही रेट निर्धारित करे. यह बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा कि फोरलेन में कोट, टौणीदेवी, पंजोत, समीरपुर, अवाहदेवी, चोलथरा, सरकाघाट, पाड़छु, लौंगणी, धर्मपुर समते हजारों ग्रामीणों को उनकी बेशकीमती जमीन का मुआवजा कौड़ियों में दिया जाए.उमेश ठाकुर ने कहा कि जमीन किसान की मां होती है, जिससे वह अपने परिवार का पेट भरता है. समिति चाहती है कि सरकार किसानों का दर्द समझकर मुआवजा निर्धारित करे.

बता दें कि नेशनल हाईवे 70 के निर्माण में हमीरपुर से मंडी तक 124 किलोमीटर सड़क से दस हजार से भी अधिक परिवार प्रभावित होंगे. संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार द्वारा जमीनों के सर्कल रेटों में भारी कमी कर देने से यह परिवार सदमे में हैं. अगर यह सर्कल रेट लागू कर दिए गए तो हजारों परिवार बर्बाद हो जाएंगे. 1112.18 करोड़ के इस पैकेज को तीन पैकेज में बांटा गया है और लैंड एक्वीजीशन की प्रक्रिय में रोड़ा नहीं अटकाएंगे, लेकिन कौड़ियों के भाव भी नहीं देंगे.

ये भी पढ़ें: प्रदेश सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस बनाएगी रणनीति, पार्टी को मजबूत करने पर होगा मंथन

धर्मपुर/मंडी: जिला के एनएच 70 के निर्माण से प्रभावित होने वाले हजारों परिवार सम्मान जनक मुआवजे पर एकजुट हो चुके हैं. इन परिवारों का कहना है कि वह विकास की राह में रोड़ा नहीं अटका रहे और न ही प्रॉजेक्ट का विरोध कर रहे हैं, लेकिन मुआवजे की घोषणा न होने पर भूमि-मालिकों में संशय बढ़ता जा रहा है.

बता दें कि रविवार को बनाल पंचायत में आयोजित बैठक में नेशनल हाईवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष उमेश ठाकुर ने कहा कि प्रशासन किसानों और भूमि-मालिकों मुआवजे के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है, जिससे प्रभावित परिवारों में असमंजस बना हुआ है. संघर्ष समिति चाहती है कि सरकार हमीरपुर से लेकर मंडी तक एक ही रेट निर्धारित करे. यह बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा कि फोरलेन में कोट, टौणीदेवी, पंजोत, समीरपुर, अवाहदेवी, चोलथरा, सरकाघाट, पाड़छु, लौंगणी, धर्मपुर समते हजारों ग्रामीणों को उनकी बेशकीमती जमीन का मुआवजा कौड़ियों में दिया जाए.उमेश ठाकुर ने कहा कि जमीन किसान की मां होती है, जिससे वह अपने परिवार का पेट भरता है. समिति चाहती है कि सरकार किसानों का दर्द समझकर मुआवजा निर्धारित करे.

बता दें कि नेशनल हाईवे 70 के निर्माण में हमीरपुर से मंडी तक 124 किलोमीटर सड़क से दस हजार से भी अधिक परिवार प्रभावित होंगे. संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार द्वारा जमीनों के सर्कल रेटों में भारी कमी कर देने से यह परिवार सदमे में हैं. अगर यह सर्कल रेट लागू कर दिए गए तो हजारों परिवार बर्बाद हो जाएंगे. 1112.18 करोड़ के इस पैकेज को तीन पैकेज में बांटा गया है और लैंड एक्वीजीशन की प्रक्रिय में रोड़ा नहीं अटकाएंगे, लेकिन कौड़ियों के भाव भी नहीं देंगे.

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