मंडी: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण ब्यास नदी ने जब रौद्र रूप धारण किया तो मनाली से लेकर मंडी तक दर्जनों पुल इस नदी में समा गए. इनमें से एक पुल ब्यास नदी और सुकेती खड्ड के संगम पर बना हुआ था. यह पुल मंडी शहर के पड्डल वार्ड और शहर को आपस में जोड़ने का काम करता था, जिसे पंचवक्त्र मंदिर के पास बनाया गया था. इस पुल के टूट जाने के बाद लोगों को आने-जाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
इस पुल के टूट जाने से लोगों को आमने-सामने जाने के लिए पूरे बाजार का चक्कर काटकर जाना पड़ रहा था. 4 माह बीत जाने के बाद भी नए पुल का कार्य शुरु नहीं हुआ तो स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से सुकेती खड्ड के बीच एक पगडंडी बनाने की सोची. स्थानीय निवासी दीपक वैद्य और हरीश शर्मा ने इस पगडंडी को बनाने की सोची और अपने स्तर पर इस कार्य की शुरूआत कर दी. देखते ही देखते लोग भी इस कार्य में सहयोग करने लगे और फिर आसपास बिखरे पड़े टूटे-फूटे सामान को इकट्ठा करके पगडंडी का निर्माण कर डाला.
पगडंडी बनाने में लोहे के टूटे हुए पुराने जंगले, टूटी-फूटी चादरें और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. अब यह अस्थायी रास्ता लोगों को आमने-सामने जाने के लिए तैयार हो गया है, जिससे लोगों को काफी ज्यादा सुविधा मिल रही है. स्थानीय निवासी हरीश शर्मा, नरेश वैद्य और रोशन लाल ने बताया कि अस्थायी रास्ते से वे सुकेती खड्ड को पार कर पा रहे हैं, लेकिन यहां पर जल्द से जल्द स्थायी पुल का निर्माण किया जाए.
उन्होंने बताया कि जब यह पुल टूटा तो को 3 माह के भीतर बनाने की बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही थी, लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक पुल नहीं बन पाया है. आने वाले समय में शिवरात्रि का महोत्सव शुरू होने जा रहा है. यदि उससे पहले यह पुल नहीं बना तो महोत्सव में आने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. इन्होंने सरकार और विभाग से इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की गुहार लगाई है.
वहीं, इस बारे में ईटीवी भारत ने जल शक्ति विभाग के अधिशाषी अभियंता राजकुमार सैनी से बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि पुल निर्माण के लिए विभाग को 33 लाख की धनराशि प्राप्त हो चुकी है और इसका टेंडर लगा दिया गया है. जल्द ही इस कार्य को शुरू कर दिया जाएगा. विभाग का प्रयास रहेगा कि पुल का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े.
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