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अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए रवाना हुए महर्षि पराशर, सदियों से चली आ रही परंपरा - himachal update

महर्षि पराशर अपने मूल भंडार से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए रवाना हो गए हैं. राजा अजबर सेन के समय से महर्षि पराशर सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत का कुलदेवता होने के कारण महर्षि पराशर लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर मंडी रियासत की खुशहाली के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं.

Maharishi Parashar left for International Shivaratri Festival in mandi
फोटो.
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Published : Mar 9, 2021, 3:20 PM IST

मंडीः हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महर्षि पराशर अपने मूल भंडार कोठी गांव बांधी से अपने कारकूनों एवं हरियान के लोगों के साथ जिला प्रशासन के निमंत्रण पर मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए रवाना हो गए हैं. राजा अजबर सेन के समय से महर्षि पराशर सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. मंडी मे जिला प्रशासन और सर्व देवता सेवा समिति की तरफ से पराशर ऋषि के रहने खाने-पीने और ठहरने की उचित व्यवस्था की जाती है.

मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत के कुलदेवता हैं महर्षि पराशर

मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत का कुलदेवता होने के कारण महर्षि पराशर लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर मंडी रियासत की खुशहाली के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं. मंडी राजघराने का कुलदेवता होने के कारण पूरे महर्षि पराशर शिवरात्रि महोत्सव में राज बेहडे में ही नरोल के देवता के रूप में निवास करते हैं.

ये भी पढ़ें: मुकेश अग्निहोत्री का जयराम सरकार पर तंज, कहा: बॉडी विदाउट सोल

अंतिम संध्या के दिन जाग का आयोजन

पुजारी पराशर ऋषि बांधी अमर सिंह भंडारी ने बताया कि शिवरात्रि मेले की अंतिम संध्या के दिन जाग का आयोजन महर्षि पराशर करते हैं. जिला मंडी की देव संस्कृति में जाग का विशेष महत्व होता है. जाग का महत्व इसलिए विशेष होता है कि महर्षि पराशर अपने गुर के माध्यम से अदृश्य दुष्ट शक्तियों का हनन करके अग्निकुंड में भस्म कर देते हैं.

ये भी पढ़ें: सड़क सुविधा का अभाव, 25 किमी पैदल चलकर मरीज को पहुंचाया अस्पताल

मंडीः हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महर्षि पराशर अपने मूल भंडार कोठी गांव बांधी से अपने कारकूनों एवं हरियान के लोगों के साथ जिला प्रशासन के निमंत्रण पर मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए रवाना हो गए हैं. राजा अजबर सेन के समय से महर्षि पराशर सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. मंडी मे जिला प्रशासन और सर्व देवता सेवा समिति की तरफ से पराशर ऋषि के रहने खाने-पीने और ठहरने की उचित व्यवस्था की जाती है.

मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत के कुलदेवता हैं महर्षि पराशर

मंडी राजघराने एवं मंडी रियासत का कुलदेवता होने के कारण महर्षि पराशर लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर मंडी रियासत की खुशहाली के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं. मंडी राजघराने का कुलदेवता होने के कारण पूरे महर्षि पराशर शिवरात्रि महोत्सव में राज बेहडे में ही नरोल के देवता के रूप में निवास करते हैं.

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अंतिम संध्या के दिन जाग का आयोजन

पुजारी पराशर ऋषि बांधी अमर सिंह भंडारी ने बताया कि शिवरात्रि मेले की अंतिम संध्या के दिन जाग का आयोजन महर्षि पराशर करते हैं. जिला मंडी की देव संस्कृति में जाग का विशेष महत्व होता है. जाग का महत्व इसलिए विशेष होता है कि महर्षि पराशर अपने गुर के माध्यम से अदृश्य दुष्ट शक्तियों का हनन करके अग्निकुंड में भस्म कर देते हैं.

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