मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की अंतिम सांस्कृतिक संध्या तो समाप्त हो गई, लेकिन कई यादों को छोड़ गई जिन्हे हम सालभर गुनगुनाकर और महसूस करके फिर अपने आप को शिवरात्रि महोत्सव में ही पाएंगे. लोक कलाकारों की नाटियां हों, रफी साहब का परदा है परदा गीत या फिर पंजाबी गीतों पर थिरकते लोग. यहां हिमाचली नाटी के साथ पंजाबी-हिंदी गानों का ऐसा कॉक्टेल देखने को मिला की लोग देर रात तक झूमते नजर आए.
नाटी किंग कुलदीप शर्मा ने अपनी बेहतरीन नाटियों से दर्शकों को नचाया. वहीं , स्थानीय कलाकारों ने भी बेहतरीन प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन किया. मंडी शिवात्रि की अंतिम सांस्कृतिक संध्या का आगाज रोज की तरह सूरजमणी की शहनाई वादन से हुआ. इसमे स्थानीय कलाकारों ने अपनी कला का परिचय करवाकर सबको प्रभावित किया.
इसके बाद नाटी किंग के नाम से मशहूर लोक एवं पाशर्व गायक कुलदीप शर्मा ने गुरु वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया. इसके बाद उन्होंने अपनी नॉन स्टॉप नाटियों पर विमला तेरे होटले, एक छोरी चंडीगढ़ा री, इन्हां बड़ियां जो तुड़का लाया ओ ठेकेदानिए, शिल्पा शिमले वालिए, रूमतिए, रोहड़ू जाना मेरी आमिए, मेरी मोनिका, गिरी रे गिरी-गिरी सिर से गागर गिरी, तेरी परौठणी लागा रेडिया, पाणी री टांकी हो भाई रामा, डब्बा टीन दा बनाणा आदि नाटियों से दर्शकों को अपना बनाकर देर रात तक जमे रहने पर मजबूर कर दिया.
मंडी के सुशील ने रफि साहब के परदा है परदा आदि गीतों पर लोगों से तालियां बटोरी. बल्ह के कुलदीप ने पंजाबी गीत अखिया उड़ीक दियां, नित खैर मंगा सोणेया मैं तेरी, मेरा पिया घर आया, जबकि जोगिंद्रगगर के लोक गायक सुभाष राणा ने मंडयाली लोक गीत उड़ी जायां कालेया कागा एक हो स्नेहा लई जायां और हुण ता कुताहि जो नसदा धूड़ुआ पर प्रस्तुत किया. बांसुरी वादक बीरी सिंह ने बांसुरी पर फिल्म गदर का गीत उड़ जा काले कावा पर अपना जलवा बिखेरा. इस दौरान दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर फैशन शो का आयोजन किया गया. इसमे बच्चों और युवतियों ने हिस्सा लिया.