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IIT Mandi New Discovery: पोर्क टेपवर्म से होने वाली मिर्गी की होगी रोकथाम, IIT मंडी ने बनाई वैक्सीन

आईटीआई मंडी के शोधकर्ताओें ने एक अद्भुत खोज करते हुए पोर्क टेपवर्म से होने वाली मिर्गी की रोकथाम के लिए एक वैक्सीन बना डाले हैं. आईआईटी मंडी ने इस खोज को एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद के नेतृत्व में किया है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन को बच्चे को जन्म के साथ भी लगाया जा सकेगा जिससे बच्चे को शुरूआत से ही इसकी रोकथाम में प्रोटेक्शन मिल पाएगी. पढ़ें पूरी खबर.. (IIT Mandi New Discovery) (IIT Mandi made vaccine to prevent epilepsy )

IIT Mandi New Discovery
आईआईटी ने बनाई वैक्सीन
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 9:37 PM IST

Updated : Sep 27, 2023, 5:05 PM IST

पोर्क टेपवर्म से होने वाली मिर्गी की होगी रोकथाम

मंडी: आईआईटी मंडी ने पोर्क टेपवर्म के कारण होने वाली मिर्गी की बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाई है. इस वैक्सीन पर स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद के नेतृत्व में शोध किया गया है. इस शोध को पंजाब के दयानंद मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों एवं हिमाचल प्रदेश के सीएसआईआर-हिमालयन बायोरिसोर्स प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया है.

दरअसल, पोर्क टेपवर्म एक प्रकार का कीड़ा होता है, जो शरीर के अंदर संक्रमणों के अलावा मस्तिष्क को गंभीर संक्रमण से फैलाता है. हालांकि मिर्गी बहुत से कारणों से होती है, लेकिन अध्ययन में पता चला है 45 प्रतिशत मिर्गी की बीमारी पोर्क टेपवर्म के कारण होती है. डॉ. अमित प्रसाद ने बताया कि जो वैक्सीन बनाई गई है वो इसकी रोकथाम में सहायक साबित होगी. यदि इस वैक्सीन को प्रोटेक्शन के तौर पर लगाया जाए तो पोर्क टेपवर्म के कारण होने वाली मिर्गी की बीमारी की संभावना कम हो जाएगी.

बता दें कि डब्ल्यूएचओ पोर्क टेपवर्म को खाद्य जनित बीमारियों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण मानता है. विकासशील देशों में 30 प्रतिशत मिर्गी के मामलों में इसका योगदान है, जो कि गंदगी और स्वतंत्र रूप से घूमते-फिरते सूअरों वाले क्षेत्रों में 45 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. उत्तर भारत में मस्तिष्क संक्रमण का आंकड़ा चिंताजनक रूप से 48.3 प्रतिशत है.

दरअसल, इसकी रोकथाम के लिए देश में बड़े स्तर पर एल्बेंडाजोल और प्राजिक्वेंटेल जैसी कृमिनाशक दवाओं का सेवन कराया जा रहा है, लेकिन इसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं. इसलिए डॉ. अमित प्रसाद ने लोगों को पोर्क टेपवर्म से बचाने के लिए एक टीके की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है. इस वैक्सीन को बच्चे को जन्म के साथ भी लगाया जा सकेगा जिससे बच्चे को शुरूआत से ही इसकी रोकथाम में प्रोटेक्शन मिल पाएगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश: IIT मंडी ने किया शोध, मेटामैटीरियल से बनेगी इमारत की नींव को भूकंप में होगा कम नुकसान

पोर्क टेपवर्म से होने वाली मिर्गी की होगी रोकथाम

मंडी: आईआईटी मंडी ने पोर्क टेपवर्म के कारण होने वाली मिर्गी की बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन बनाई है. इस वैक्सीन पर स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित प्रसाद के नेतृत्व में शोध किया गया है. इस शोध को पंजाब के दयानंद मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों एवं हिमाचल प्रदेश के सीएसआईआर-हिमालयन बायोरिसोर्स प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया है.

दरअसल, पोर्क टेपवर्म एक प्रकार का कीड़ा होता है, जो शरीर के अंदर संक्रमणों के अलावा मस्तिष्क को गंभीर संक्रमण से फैलाता है. हालांकि मिर्गी बहुत से कारणों से होती है, लेकिन अध्ययन में पता चला है 45 प्रतिशत मिर्गी की बीमारी पोर्क टेपवर्म के कारण होती है. डॉ. अमित प्रसाद ने बताया कि जो वैक्सीन बनाई गई है वो इसकी रोकथाम में सहायक साबित होगी. यदि इस वैक्सीन को प्रोटेक्शन के तौर पर लगाया जाए तो पोर्क टेपवर्म के कारण होने वाली मिर्गी की बीमारी की संभावना कम हो जाएगी.

बता दें कि डब्ल्यूएचओ पोर्क टेपवर्म को खाद्य जनित बीमारियों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण मानता है. विकासशील देशों में 30 प्रतिशत मिर्गी के मामलों में इसका योगदान है, जो कि गंदगी और स्वतंत्र रूप से घूमते-फिरते सूअरों वाले क्षेत्रों में 45 से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. उत्तर भारत में मस्तिष्क संक्रमण का आंकड़ा चिंताजनक रूप से 48.3 प्रतिशत है.

दरअसल, इसकी रोकथाम के लिए देश में बड़े स्तर पर एल्बेंडाजोल और प्राजिक्वेंटेल जैसी कृमिनाशक दवाओं का सेवन कराया जा रहा है, लेकिन इसके वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं. इसलिए डॉ. अमित प्रसाद ने लोगों को पोर्क टेपवर्म से बचाने के लिए एक टीके की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है. इस वैक्सीन को बच्चे को जन्म के साथ भी लगाया जा सकेगा जिससे बच्चे को शुरूआत से ही इसकी रोकथाम में प्रोटेक्शन मिल पाएगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश: IIT मंडी ने किया शोध, मेटामैटीरियल से बनेगी इमारत की नींव को भूकंप में होगा कम नुकसान

Last Updated : Sep 27, 2023, 5:05 PM IST
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