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हिमाचल किसान सभा की मांग, किसानों को मिले मक्की का उचित दाम

हिमाचल किसान सभा सरकाघाट कमेटी ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का उचित मूल्य प्रदान करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना और घटिया बीज की मार झेल रहा किसान और नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है. मौजूदा समय में स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.

Munish sharma
मुनीष शर्मा
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Published : Oct 14, 2020, 7:28 PM IST

सरकाघाट: हिमाचल किसान सभा सरकाघाट कमेटी ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का उचित मूल्य प्रदान करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना और घटिया बीज की मार झेल रहा किसान और नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है. मौजूदा समय में स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.

खंड सचिव मुनीष शर्मा ने कहा कि एक तरफ तो किसान कृषि विभाग द्वारा बेचे गए धान के बीजों की फसल को बिना सिल्लों के काटने के लिए मजबूर हैं. वहीं, मक्की के दाम गिरने पर चिंतित हैं. केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन स्थानीय किसान 7 रुपए से लेकर 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मक्की बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

मुनीष शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष किसानों ने स्थानीय स्तर पर ही मक्की 2000 रुपए से लेकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल बेची थी. किसान बीज बीजने से लेकर खाद आदि पर पैसे खर्च करता है और आवारा पशुओं, बंदरो व जंगली जानवरों से फसल बचाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, लेकिन फसल का सही दाम न मिलने पर वह हताश हो जाता है. इससे लोग खेतीबाड़ी छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

इसलिए किसान सभा ने मांग की है कि किसानों को मक्की का उचित दाम दिया जाए व धान की फसल के नुकसान का मुआवजा भी जल्द किसानों को दिया जाए.

ये भी पढ़ें: लाहौल स्पीति में खुलेगा बौद्ध अध्ययन केंद्र, सरकार से मिली सैद्धांतिक मंजूरी: मारकंडा

सरकाघाट: हिमाचल किसान सभा सरकाघाट कमेटी ने प्रदेश सरकार से किसानों को मक्की का उचित मूल्य प्रदान करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि कोरोना और घटिया बीज की मार झेल रहा किसान और नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है. मौजूदा समय में स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.

खंड सचिव मुनीष शर्मा ने कहा कि एक तरफ तो किसान कृषि विभाग द्वारा बेचे गए धान के बीजों की फसल को बिना सिल्लों के काटने के लिए मजबूर हैं. वहीं, मक्की के दाम गिरने पर चिंतित हैं. केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन स्थानीय किसान 7 रुपए से लेकर 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मक्की बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

मुनीष शर्मा ने कहा कि पिछले वर्ष किसानों ने स्थानीय स्तर पर ही मक्की 2000 रुपए से लेकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल बेची थी. किसान बीज बीजने से लेकर खाद आदि पर पैसे खर्च करता है और आवारा पशुओं, बंदरो व जंगली जानवरों से फसल बचाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, लेकिन फसल का सही दाम न मिलने पर वह हताश हो जाता है. इससे लोग खेतीबाड़ी छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

इसलिए किसान सभा ने मांग की है कि किसानों को मक्की का उचित दाम दिया जाए व धान की फसल के नुकसान का मुआवजा भी जल्द किसानों को दिया जाए.

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