करसोग: जिला मंडी के अंतर्गत करसोग तहसील मुख्यालय आने वाले लोग अब पारंपरिक मोटे अनाजों से बनने वाले कई तरह व्यंजनों के स्वाद का लुत्फ उठा रहे हैं. यहां सिविल अस्पताल के प्रदेश द्वार पर पहली हिम ईरा रसोई खुल गई है, जिसका शुभारंभ कुछ दिन पहले एडीसी मंडी निवेदिता गुप्ता ने किया था.
8 मोटे अनाज से तैयार होंगे व्यंजन: इस रसोई में प्राकृतिक खेती की तकनीक से पैदा किए गए 8 मोटे अनाजों से तैयार व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है. इसका मेन्यू भी तैयार किया गया है. हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकास कार्यालय करसोग के सहयोग से रसोई शुरू की गई है.
कोदे की काई और कंगनी के हलवे का ले स्वाद:करसोग में पंचायत समिति की दुकान में खुली हिम ईरा रसोई में लोग 8 तरह के पारंपरिक मोटे अनाजों जैसे कोदे की चाय , कोदे के बिस्किट, तिल के लड्डू , कंगनी का हलवा, सांभा की खीर, लाल चावल का पुलाव लाव, लिंगड के साग व घर में तैयार मक्खन आदि व्यजनों के स्वाद का मजा ले सकते हैं. रसोई में स्वयं सहायता समूह की तीन महिलाओं को रखा गया है.
पद्मश्री श्री नेकराम शर्मा ने उपलब्ध कराए मोटे अनाज:हिम ईरा रसोई के लिए अनाज गांव से पद्मश्री नेकराम शर्मा ने उपलब्ध कराया है. नेकराम शर्मा न सिर्फ 2 दशकों से पारंपरिक मोटे के संरक्षण का पुनीत कार्य कर रहे हैं ,बल्कि हजारों किसानों को मोटे अनाज की पैदावार लेने के लिए भी प्रेरित कर चुके हैं. इसके लिए नेकराम शर्मा लोगों को कई क्विंटल मोटा अनाज मुफ्त बांट चुके हैं.
जागरूकता के लिए लगाया था शिविर: इस दौरान पंचायत समिति सभागार में जागरूकता शिविर भी लगाया गया था, जिसमें नेकराम शर्मा ने स्वास्थ्य के लिए मोटे अनाजों के लाभों के बारे में भी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि करसोग में खुली हिम ईरा रसोई के लिए बीडीओ अमित कलथाईक का सहरानीय योगदान रहा है.
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