मंडी: हिमाचल में आई आपदा ने लोगों को कभी न भूलने वाले जख्म दिए हैं. अभी भी हिमाचल में भारी बारिश और लैंडस्लाइड की वजह से लोगों की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कई गांवों में लैंडस्लाइड और घरों में आई दरारों की वजह से लोगों को मजबूरन राहत शिविर में रहना पड़ रहा है. जहां लोग किसी तरह अपना जीवन बसर कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल है मंडी के कलखर में बनाए गए राहत शिविर का है. जहां कई लोगों ने शरण ले रखी है. वहीं, इनमें एक 8 माह की गर्भवती भी शामिल है. जिसकी 11 अक्टूबर की डिलीवरी की डेट है. ऐसे वक्त में इस महिला के पास सिवाय कपड़ों के अवाला कुछ भी नहीं है.
हिमाचल में आई आपदा ने सैंकड़ों लोगों को गहरे जख्म दिए हैं. किसी ने अपनों को खोया है तो किसी की जीवनभर की जमापूंजी से बना आशियान हमेशा के लिए जमींदोज हो गया. इन बदनसीब लोगों में मंडी के गुम्हू गांव निवासी मनमोहनी का परिवार भी शामिल है. 13 अगस्त से पहले गुम्हू में मनमोहनी पति ओम दत्त के साथ घर में खुशहाल जीवन जी रही थी. परिवार में नन्हें मेहमान की आने की तैयारियां चल रही थी. मनमोहनी वर्तमान में 8 माह की गर्भवती है और वह पहली बार मां बनने जा रही है. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 13 और 14 अगस्त की रात मानों आसमान से बरसी आफत मनमोहनी की खुशियों पर बिजली बनकर टूटी. भारी बारिश की वजह से उसका आशियाना ढह गया. जिसकी वजह से उसका सब कुछ मलबे में दब गया. अब मनमोहनी के पास सिवाय तन ढकने के कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है.
आपदा के बाद से मनमोहनी कलखर में बने राहत शिविर में 13 परिवार के लोगों के साथ रह रही है. मनमोहनी 8 माह की गर्भवती है और अगले महीने की 11 अक्टूबर को उसकी डिलीवरी होनी है. यह मनमोहनी का पहला बच्चा है. ऐसी स्थिति में जहां मनमोहनी को उचित देखभाल और बेहतरीन पोषाहार की जरूरत थी. वहीं, आसमानी आफत की वजह से वो स्कूल के एक कमरे में 13 परिवार के लोगों के साथ जिंदगी काटने को मजबूर है. मनमोहनी के पति ओम दत्त को भी चिंता सता रही है कि कहीं उसकी पत्नी की डिलीवरी स्कूल में ही न हो जाए. अगर डिलीवरी अस्पताल में भी हुई तो उसके बाद उन्हें अपने नवजात को लेकर स्कूल में बने राहत शिविर में ही लेकर आना पड़ेगा. क्योंकि न तो उनके पास घर बचा है और न ही जमीन.
ऐसे में ओम दत्त को चिंता है कि वो अपनी पत्नी और अपने बच्चे का ध्यान कैसे रख पाएंगे? इसलिए दोनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. ओम दत्त और मनमोहनी का कहना है कि सरकार इन्हें जल्द से जल्द जमीन और घर उपलब्ध करवाए. ताकि विपदा के इस दौर में ये अपनी जिंदगी सही ढंग से जी सकें. गौरतलब है कि राहत शिविर में किसी गर्भवती का रहना काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि ऐसे समय में महिला को आराम, उचित देखभाल और बेहतर पोषण की जरूरत है. वहीं, अगर अस्पताल में मनमोहनी की डिलीवरी होती भी है तो, उसके बाद मनमोहिनी फिर से राहत शिविर में ही नवजात को लेकर लौटेगी. वहीं, इस राहत शिविर में उनके अलावा 13 और परिवार यहां रह रहे हैं. यहां दो कमरों में करीब 35 लोग एक साथ रह रहे हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन को गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था करनी चाहिए.
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