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हिमाचल प्रदेश दिव्यांग संगठन की बैठक, सरकार को दिया 2 दिन का अल्टीमेटम

दिव्यांगजनों की सचिवालय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 5 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई. 8 अगस्त को मंत्रिमंडल ने लिए गए निर्णय दिव्यांग प्रकोष्ठ ही अभी तक कार्य करना प्रारंभ नहीं किया है.

दिव्यांग संगठन ने सरकार को दिया दो दिन का अल्टीमेटम
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Published : Nov 12, 2019, 3:48 PM IST

मंडी: जिला मंडी में दिव्यांगजनों की सचिवालय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 5 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई. बैठक में प्रदेश सरकार को दो टूक शब्दों में चेताया गया कि अगर दिव्यांगों के मामले में दो दिनों के भीतर विभागीय अधिकारियों ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो आने वाल दिनों में दिव्यांगजन आंदोलन का रास्ता अपनाने को विवश होंगे.

कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने बताया कि दिव्यांगों के मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की प्रगति किसी भी विभाग में नहीं हुई है. 8 अगस्त को मंत्रिमंडल ने लिए गए निर्णय दिव्यांग प्रकोष्ठ ही अभी तक कार्य करना प्रारंभ नहीं किया है.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने 8 नवंबर 2019 को सभी राज्यों के प्रिंसिपल सचिवों को 18 अप्रैल 2017 तक 3 प्रतिशत, 19 अप्रैल 2017 से 4 प्रतिशत के हिसाब से बैकलॉग दिव्यांगों का हर विभाग में ए, बी, सी, डी श्रेणी तक तुरंत भरने के कड़े निर्देश दिए गए हैं.

इसके साथ ही सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से 58 साल करने की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने राज्यों को दिशा निर्देश दिए गए हैं लेकिन उनकी पालना ना करना, उनकी अवहेलना के साथ ही उनका अपमान तिरस्कार कर रहे हैं.

वहीं, महामहिम राष्ट्रपति देश के न्यायाधीशों अदालतों का अपमान करने में जिसकी निंदा पूरे देश के साथ ही विश्व में भी हो रही है. दिव्यांगों के नाम पर आ रहे धन को खर्च करने के गलत तथ्य दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार में बैठी अफसारशाही ही सरकार की छवि को हर तरह से धूमिल करने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों के विरुद्ध अब माननीय अदालतों का अपमान करना, अदालतों को ही स्वयं कड़ा संज्ञान लेना होगा.

मंडी: जिला मंडी में दिव्यांगजनों की सचिवालय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 5 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई. बैठक में प्रदेश सरकार को दो टूक शब्दों में चेताया गया कि अगर दिव्यांगों के मामले में दो दिनों के भीतर विभागीय अधिकारियों ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो आने वाल दिनों में दिव्यांगजन आंदोलन का रास्ता अपनाने को विवश होंगे.

कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने बताया कि दिव्यांगों के मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की प्रगति किसी भी विभाग में नहीं हुई है. 8 अगस्त को मंत्रिमंडल ने लिए गए निर्णय दिव्यांग प्रकोष्ठ ही अभी तक कार्य करना प्रारंभ नहीं किया है.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने 8 नवंबर 2019 को सभी राज्यों के प्रिंसिपल सचिवों को 18 अप्रैल 2017 तक 3 प्रतिशत, 19 अप्रैल 2017 से 4 प्रतिशत के हिसाब से बैकलॉग दिव्यांगों का हर विभाग में ए, बी, सी, डी श्रेणी तक तुरंत भरने के कड़े निर्देश दिए गए हैं.

इसके साथ ही सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से 58 साल करने की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने राज्यों को दिशा निर्देश दिए गए हैं लेकिन उनकी पालना ना करना, उनकी अवहेलना के साथ ही उनका अपमान तिरस्कार कर रहे हैं.

वहीं, महामहिम राष्ट्रपति देश के न्यायाधीशों अदालतों का अपमान करने में जिसकी निंदा पूरे देश के साथ ही विश्व में भी हो रही है. दिव्यांगों के नाम पर आ रहे धन को खर्च करने के गलत तथ्य दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार में बैठी अफसारशाही ही सरकार की छवि को हर तरह से धूमिल करने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों के विरुद्ध अब माननीय अदालतों का अपमान करना, अदालतों को ही स्वयं कड़ा संज्ञान लेना होगा.

Intro:दिव्यांगों के हित में मंत्रीमंडल के निर्णय नहीं चढ़े सिरे

आज तक दिव्यांग प्रकोष्ठ नहीं कर सका काम

अफसरशाही धूमिल कर रही सरकार की छवि

दिव्यांग संगठन ने सरकार को दिया दो दिन का अल्टीमेटमBody:एकर : दिव्यांगजनों की सचिवालय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 5 अक्टूबर 2019 को बैठक हुई। लेकिन बिडंवना यह है कि इस बैठक में दिव्यांगों के हित के लिए जो भी निर्णय लिए गए है। वह आज दिन तक धरातल पर फलीभूत नहीं हुए है। जिसका दृष्टिहीन हिमाचल प्रदेश दिव्यांगजन संगठन के राज्य अध्यक्ष शोभू राम एवं दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार कुशल कुमार सकलानी ने कड़ा संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार को दो टूक शब्दों में चेताया है कि अगर दिव्यांगों के मामले में दो दिनों के भीतर विभागीय अधिकारियों ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो आने वाल दिनों में दिव्यांगजन आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने को विवश होंगे। जिसके बारे में दिव्यांगजन पहले ही चेता चुके है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगों के मामले में अभी तक किसी भी प्रकार की प्रगति किसी भी विभाग में नहीं हुई है। यहां तक की 8 अगस्त को मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय दिव्यांग प्रकोष्ठ ही अभी तक कार्य करना प्रारंभ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जबकि केंद्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा 8 नवंबर 2019 को सभी राज्यों के प्रिंसिपल सचिवों को 18 अप्रैल 2017 तक 3 प्रतिशत, 19 अप्रैल 2017 से 4 प्रतिशत के हिसाब से बैकलॉग दिव्यांगों का हर विभाग में ए, बी, सी डी श्रेणी तक तुरंत भरने के कड़े निर्देश दिए गए है। साथ ही सेवानिवृत की आयु सीमा 60 से 58 साल करने की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिशा निर्देश दिए गए हैं, लेकिन उनकी पालना ना करना, उनकी अवहेलना के साथ उनका अपमान तिरस्कार कर रहे हैं। वही महामहिम राष्ट्रपति देश के न्यायाधीशों अदालतों का अपमान करने में जिसकी निंदा पूरे देश के साथ साथ विश्व में भी हो रही है। जहां पर दिव्यांगों के नाम पर आ रहे धन को खर्च करने के गलत तथ्य दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठी अफसारशाही ही सरकार की छवि को हर तरह से धूमिल करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों के विरुद्ध अब माननीय अदालतों का अपमान करना, अदालतों को ही स्वयं कड़ा संज्ञान लेना होगा।Conclusion:बाइट : कुशल कुमार सकलानी
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