मंडी: सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नाकामी के कारण जोनल अस्पताल मंडी को डीएनबी यानी डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड की तरफ से मिली चार सीटें हाथ से खिसक गई हैं. डीएनबी की इन सीटों के लिए विभाग को संबंधित अस्पताल में दो कंसल्टेंट नियुक्त करने होते हैं, लेकिन जोनल अस्पताल मंडी में सिर्फ एक कंसल्टेंट ही तैनात होने के कारण इन सीटों को वापिस ले लिया गया है.
पीजी के बाद 8 साल की सेवा पर बनते हैं कंसल्टेंट
कंसल्टेंट सिर्फ उसी डॉक्टर को बनाया जाता है, जिनकी पीजी के बाद 8 साल की सेवा हो चुकी हो. गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अरूण भारद्वाज और डॉक्टर संदीप राठौर कंसल्टेंट की भूमिका निभा रहे थे, लेकिन कुछ समय पहले डॉक्टर संदीप राठौर का प्रमोशन के बाद यहां से तबादला हो गया. इसके बाद डॉक्टर अरूण भारद्वाज ही इकलौते कंसल्टेंट रह गए थे. डीएनबी की गाइडलाइन के अनुसार चार प्रशिक्षुओं पर एक कंसल्टेंट नहीं हो सकता.
बार-बार कहने पर भी नियुक्त नहीं हुआ कंसल्टेंट
जोनल अस्पताल मंडी की तरफ से प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग और सरकार को कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए कई बार लिखा गया. हाल ही में राज्य सरकार ने डॉक्टर अनु देवी को यहां तैनात भी किया, लेकिन मात्र चार दिनों में ही उनका तबादला कर दिया गया. डीएनबी की तरफ से बार-बार कहने के बाद भी जब यहां कंसल्टेंट नियुक्त नहीं हो पाया.
ट्रेनिंग ले रहे चार प्रशिक्षु डॉक्टरों को वापिस बुलाया
अब यहां ट्रेनिंग ले रहे चार प्रशिक्षु डॉक्टरों को वापिस बुला लिया गया है और यह की सीटें भी वापिस ले ली गई हैं. अब इन्हें किसी दूसरे अस्पतालों में भेजा जाएगा. बता दें कि यह प्रशिक्षु डॉक्टर जोनल अस्पताल मंडी में गायनी की ओपीडी और आईपीडी में बेहतरीन सेवाएं दे रहे थे. मौजूदा समय में जोनल अस्पताल में 5 गायनेकोलॉजिस्ट हैं जिनमें से 4 सेवाएं दे रहे हैं.
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