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सुकेती खड्ड में लगातार खनन से घट रहा जलस्तर, विरोध में उतरे किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी - खनन

सुकेती खड्ड में खनन अनुमति रद्द करने की मांग को लेकर छात्र पंचायत के किसानों एक प्रतिनिधिमंडल मंडी सदर एसडीएम सन्नी शर्मा से मिला. जिनके माध्यम से माइनिंग ऑफिसर मंडी, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन भेजा गया है.

सुकेती खड्ड में खनन के विरोध में किसान
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Published : Jun 1, 2019, 5:25 PM IST

मंडी: जिला मंडी के किसानों ने सुकेती खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द करने मांग उठाई है. किसानों ने मामले की अनदेखी करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

पढ़ें- मंडी से है अनुराग का गहरा नाता, मंडयालों को केंद्रीय मंत्री से ये है उम्मीदें

किसानों ने मांग उठाई है कि सुकेती खड्ड में दी गई खनन की अनुमति को रद्द किया जाए. छात्र पंचायत के उपप्रधान रुपलाल ने कहा कि खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द किया जाए ताकि उसके चारों ओर बसे किसानों को किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े.

सुकेती खड्ड में खनन के विरोध में किसान

किसानों का कहना है कि सरकार से खनन की अनुमति मिलने के बाद ठेकेदार यहां मशीनों द्वारा अत्यधिक मात्रा में खनन करते हैं. जिस कारण पानी का स्तर नीचे चला जाएगा और किसानों की खेती योग्य भूमि बंजर हो जाएगी. खनन के कारण प्राकृतिक कुंए, बावड़ी और अन्य जल स्त्रोत सूख जाएंगे. जिसके चलते लोगों को पीने का पानी, सिंचाई के लिए पानी और पशुओं तक के लिए पानी नसीब नहीं हो पाएगा.

पढ़ें- वित्त वर्ष की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, मनरेगा के तहत काम शुरु तो हुए पर खत्म नहीं

किसानों ने प्रशासन और सरकार से आग्रह किया है कि खनन करने की अनुमति को जल्द से जल्द रद्द किया जाए नहीं तो सभी किसानों को मजबूर होकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करना पड़ेगा.

farmers against excess mining in suketi khadd
सुकेती खड्ड में खनन के विरोध में किसान

बता दें कि सुकेती खड्ड के पास उपजाऊ भूमि में खेती कर अपनी आजीविका चला रहे किसान अत्याधिक खनन को लेकर चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि खनन के कारण जलस्तर गिरने पर सिंचाई की दिक्कत शुरू होगी और किसान बंजर भूमि में कुछ नहीं उगा पाएंगे.

मंडी: जिला मंडी के किसानों ने सुकेती खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द करने मांग उठाई है. किसानों ने मामले की अनदेखी करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

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किसानों ने मांग उठाई है कि सुकेती खड्ड में दी गई खनन की अनुमति को रद्द किया जाए. छात्र पंचायत के उपप्रधान रुपलाल ने कहा कि खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द किया जाए ताकि उसके चारों ओर बसे किसानों को किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े.

सुकेती खड्ड में खनन के विरोध में किसान

किसानों का कहना है कि सरकार से खनन की अनुमति मिलने के बाद ठेकेदार यहां मशीनों द्वारा अत्यधिक मात्रा में खनन करते हैं. जिस कारण पानी का स्तर नीचे चला जाएगा और किसानों की खेती योग्य भूमि बंजर हो जाएगी. खनन के कारण प्राकृतिक कुंए, बावड़ी और अन्य जल स्त्रोत सूख जाएंगे. जिसके चलते लोगों को पीने का पानी, सिंचाई के लिए पानी और पशुओं तक के लिए पानी नसीब नहीं हो पाएगा.

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किसानों ने प्रशासन और सरकार से आग्रह किया है कि खनन करने की अनुमति को जल्द से जल्द रद्द किया जाए नहीं तो सभी किसानों को मजबूर होकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करना पड़ेगा.

farmers against excess mining in suketi khadd
सुकेती खड्ड में खनन के विरोध में किसान

बता दें कि सुकेती खड्ड के पास उपजाऊ भूमि में खेती कर अपनी आजीविका चला रहे किसान अत्याधिक खनन को लेकर चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि खनन के कारण जलस्तर गिरने पर सिंचाई की दिक्कत शुरू होगी और किसान बंजर भूमि में कुछ नहीं उगा पाएंगे.

Intro:मंडी। सुकेती खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द करने की किसानों ने मांग उठाई है। छात्र पंचायत का एक प्रतिनिधिमंडल एसडीएम सदर मंडी सन्नी शर्मा से मिला। उनके माध्यम से ज्ञापन माइनिंग आफिसर मंडी, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश और प्रधानमंत्री को भेजा। अनदेखी पर किसानों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।


Body:ज्ञापन के माध्यम से किसानों ने मांग उठाई है कि सुकेती खड्ड में दी गई खनन की अनुमति को रद्द किया जाए। छात्र पंचायत के उपप्रधान रुपलाल ने कहा कि खड्ड में खनन की अनुमति को रद्द किया जाए ताकि उसके चारों ओर बसे किसानों को किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े। उन्होंने कहा कि इन लोगों को सरकार द्वारा खनन की अनुमति तो दे दी जाती है, लेकिन यहां मशीनों द्वारा अत्यधिक मात्रा में खनन करते हैं। जिस कारण पानी का स्तर और नीचे चला जाएगा और जो किसान अपनी भूमि में फसल उगाते हैं वह नहीं उगा पाएंगे क्योंकि पानी का स्तर नीचे जाने से भूमि बंजर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि खनन होने के कारण प्राकृतिक कुएं, बावड़ी और अन्य जल स्त्रोत सूख जाएंगे। जिस कारण पीने के लिए पानी व सिंचाई करने के लिए और पशु आदि के लिए पानी की दिक्कतें शुरू हो जाएगी। उन्होंने प्रशासन और सरकार से आग्रह किया है कि खनन करने की अनुमति को यथाशीघ्र रद्द किया जाए नहीं तो सभी किसानों को मजबूर होकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करना पड़ेगा।




Conclusion:बता दें कि उपजाऊ भूमि में खेती कर अपनी आजीविका चला रहे किसान अत्याधिक खनन को लेकर चिंतित हैं। जलस्तर गिरने पर सिंचाई की दिक्कत शुरू होगी और किसान बंजर भूमि में कुछ न उगा पाएंगे।

बाइट-- रूपलाल उपप्रधान छात्र पंचायत
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