सराज: जिला मंडी की सराज घाटी में फागली और बिठ देव उत्सवों के समाप्त होने के बाद मेलों की आमद शुरू हो गई है. इन मेलों में जहां देव रथों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है. वहीं, सर्दियों के दौरान घरों में कैद होकर बैठे बड़े बुजुर्ग और महिलाएं इन मेलों में बड़े पैमाने पर शामिल होते हैं.
सराज घाटी के कांढी में रविवार को चेच मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान सराज घाटी के प्रसिद्ध देवता देव श्री चुंजवाला के देव रथ को सैकड़ों देवलुओं ने माणी गांव से शोभायात्रा के द्वारा मेला मैदान में पहुंचाया. मेले में स्थानीय ग्राम देवता देव श्री घटोत्कच्च व देवी अंबिका के देव रथ भी शामिल हुए.
इस दौरान स्थानीय लोगों ने सराजी नाटी के परंपरागत पहनावे चोले, टोपी और कलगी लगा कर नृत्य भी किया. इस मेले को बसंत के आगमन के तुरंत बाद आयोजित किया जाता है. देव श्री चुंजवाला के खूंढा छापेराम ने बताया कि कांढी चेच के बाद ही सराज घाटी में गर्मी के दौरान मनाए जाने वाले मेलों की शुरुआत होती है.
देव छांझणु भी हुए शामिल
मंडी शिवरात्रि की जलेब की अगुवाई करने वाले भाटकीहार के देवता छांझणु इस मेले में बतौर मेहमान देवता के रूप के शामिल हुए. इस दौरान 200 देवलुओं के साथ देवता ने 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर मेले में शिरकत की. देवता के साथ आए देवलुओं को स्थानीय लोगों के घरों में 'खींडू ' के रूप में ठहराया जाएगा. बता दें कि उक्त देवता को नौ गढ़ सराज का गढ़पति देवता भी माना जाता है.
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