मंडी: आईआईटी मंडी में जारी जी20-एस20 मीट के दूसरे दिन समग्र स्वास्थ्य के अंतर्गत स्वास्थ्य और बेहतर सेहत के लिए संपूर्ण दृष्टिकोण थीम पर शुक्रवार को चर्चा आयोजित की गई. जिसमें पारंपरिक और आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल की कार्य प्रणालियों पर एकीकरण को अपने जीवन में लाने पर जोर दिया गया. इस थीम का लक्ष्य साक्ष्य आधारित प्रथाओं, रोकथाम उपायों और व्यक्तिगत देखभाल के बीच संतुलन को बढ़ावा देना है. इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय वक्ताओं द्वारा संपूर्ण स्वास्थ्य के प्रति अपना दृष्टिकोण, अनुसंधान और अनुभव भी सांझा किया गया. इस दौरान वक्ताओं द्वारा बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में संपूर्ण स्वास्थ्य के महत्व पर व्याख्यान दिया गया.
समग्र स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने पर किया गया विचार विमर्श: दरअसल, इस थीम का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य और बेहतर सेहत के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण का पता लगाकर उसे बढ़ावा देना तथा पारंपरिक व आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को एकीकृत करने के उद्देश्य से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को शामिल करने वाली व्यापक रणनीतियों पर चर्चा करना था. इस चर्चा में प्रदेश और केंद्र सरकार की मदद से आईआईटी मंडी में एक समग्र स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने पर भी विचार विमर्श किया गया. वही आईआईटी मंडी के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रोफेसर प्रेमव्रत ने कहा कि समग्र स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय है और स्वास्थ्य को समग्रता से देखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इसमें समग्र स्वास्थ्य के लिए आचार-विचार, आहार और व्यवहार तथा शरीर, दिमाग व आत्मा का मिलन अनिवार्य है. प्रेमव्रत ने कहा कि मानव शरीर भी एक समग्र सिस्टम है और इसे एकीकृत समग्र स्वास्थ्य से ठीक किया जा सकता है.
भारतीय संस्कृति कई वर्षों से कर रही समग्र स्वास्थ्य पर कार्य: आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि जी20-एस20 मीट के दूसरे दिन समग्र स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के प्रसिद्ध वक्ताओं द्वारा व्याख्यान दिया गया. उन्होंने कहा कि किसी शरीर का इलाज सिर्फ खून, मांस और हड्डियों की जानकारी से नहीं किया जा सकता है. इसलिए पूर्ण रूप से स्वास्थ्य रहने के लिए इनसे आगे जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मन और चेतना को एक साथ लाने के साथ दिनचर्या को ठीक करना पड़ेगा. प्रोफेसर लक्ष्मीधर मेहरा ने कहा कि भारतीय संस्कृति कई वर्षों से समग्र स्वास्थ्य पर कार्य कर रही है, लेकिन हम इसे भूल गए हैं. इसे अब संपूर्ण विश्व पहचान रहा है.
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