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आत्मनिर्भर देवेंद्र की कहानी, CM स्वावलंबन योजना की मदद से शुरू किया कैरी बैग का कारोबार - कैरी बैग बनाने का कारोबार

उपमंडल सुंदरनगर के देवेंद्र कुमार ने स्वरोजगार से खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किया और दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. देवेंद्र ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत 45 लाख रुपए की मदद लेकर कैरी बैग बनाने का कारोबार शुरू किया है.

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Devendra kumar
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Published : Aug 19, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 9:52 PM IST

सुंदरनगर: हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को अपना रोजगार लगाने को प्रेरित करने में बड़ी कामयाब साबित हो रही है. ऐसे अनेक युवा हैं जिन्होंने इस योजना से बल पाकर नौकरी के बजाय स्वरोजगार को तरजीह दी है और अपना कामधंधा शुरू कर दूसरों के लिए नजीर बने हैं. ऐसे ही एक नौजवान हैं उपमंडल सुंदरनगर के गांव भांगला के रहने वाले देवेंद्र कुमार. जो इस पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हैं.

स्वरोजगार लगाकर वे खुद तो आर्थिक रूप से मजबूत हुए ही, दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. 30 साल के देवेंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत 45 लाख रुपए की मदद लेकर जड़ोल में आनंद इंडस्ट्री नाम से कैरी बैग बनाने का कारोबार शुरू किया. साल 2019 में शुरू इस व्यवसाय में वे रोजाना करीब ढाई क्विंटल उत्पाद तैयार करते हैं. उन्होंने यहां 4 लोगों को सीधे तौर पर और आसपास के 3 गांवों की अनेक महिलाओं को अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया करवाया है.

anand industri
देवेंद्र कुमार

जम्मू-कश्मीर तक होती है कैरी बैग्स की सप्लाई

देवेंद्र कुमार का कहना है कि साल 2018 के आखिर में उन्होंने किसी अखबार में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के बारे में पढ़ा और अपने पिता को इस बारे में बताया. दोनों पिता-पुत्र मंडी में उद्योग विभाग के कार्यालय पहुंचे और योजना की विस्तार से जानकारी लेकर आवेदन कर दिया. उन्हें उद्यम लगाने के लिए 35 लाख रुपये का ऋण मिला, जिस पर उन्हें 25 प्रतिशत सरकारी अनुदान प्राप्त हुआ. साथ ही 3 साल के लिए 5 प्रतिशत ऋण अनुदान भी मिला. वहीं, उन्हें कच्चा माल खरीदने के लिए 10 लाख का लोन भी मिला.

साल 2019 में शुरू काम ने धीरे धीरे रफ्तार पकड़ी और फिर चल निकला. आज वे समूचे हिमाचल प्रदेश के साथ साथ जम्मू-कश्मीर तक कैरी बैग्स की सप्लाई देते हैं. अपनी मेहनत और सरकार से मिली मदद से वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बने हैं. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का दिल से आभार जताया है.

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देवेंद्र के पिता सुभाष ठाकुर.

क्या कहते हैं देवेंद्र के पिता

वहीं, देवेंद्र के पिता सुभाष ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ने उनके बेटे और परिवार का जीवन बदल दिया है. सरकार की मदद से साल भर पहले शुरू किया काम अब एक स्थाई आमदनी का जरिया बन गया है. सारा खर्चा निकाल कर और कर्मचारियों की सैलरी देने के बाद बेटा अभी 30 से 40 हजार रुपये महीना कमा रहा है. आजकल कोरोनाकाल के चलते कामकाज की गति थोड़ी धीमी है, पर आगे काम बढ़ेगा तो पैसा बढ़ना भी लाजमी है.

वीडियो रिपोर्ट.

योजना के तहत सब्सिडी का प्रावधान

बता दें कि प्रदेश सरकार ने राज्य के युवाओं को स्वरोजगार और रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना शुरू की है. सरकार ने यह योजना राज्य के 18 से 45 वर्ष के उन युवाओं के लिए शुरू की है जो उद्योग, सर्विस सेक्टर, व्यापार स्थापित करना चाहते हैं. योजना के अंतर्गत उचित सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. हिमाचल सरकार स्थानीय उद्यम को बढ़ावा देने और युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाने की दृष्टि से वित्तीय बजट 2018-19 में इस योजना को शामिल किया था.

विशेष बात यह है कि योजना के तहत 60 लाख रुपए तक के प्रोजेक्ट स्थापित करने का प्रावधान है. ऐसे में यह कहना लाजमी होगा कि इस अब राज्य का युवा नौकरी तलाशने वाला नहीं बल्कि अन्यों को रोजगार प्रदान करने वाला हो सकेगा.

ये भी पढ़ें- किराएदारों से मिल रहे पैसों से मकान मालिक चुका रहे थे बैंक की किश्तें, कोरोना ने बढ़ाई मुश्किलें

सुंदरनगर: हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना युवाओं को अपना रोजगार लगाने को प्रेरित करने में बड़ी कामयाब साबित हो रही है. ऐसे अनेक युवा हैं जिन्होंने इस योजना से बल पाकर नौकरी के बजाय स्वरोजगार को तरजीह दी है और अपना कामधंधा शुरू कर दूसरों के लिए नजीर बने हैं. ऐसे ही एक नौजवान हैं उपमंडल सुंदरनगर के गांव भांगला के रहने वाले देवेंद्र कुमार. जो इस पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए रोल मॉडल बने हैं.

स्वरोजगार लगाकर वे खुद तो आर्थिक रूप से मजबूत हुए ही, दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. 30 साल के देवेंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत 45 लाख रुपए की मदद लेकर जड़ोल में आनंद इंडस्ट्री नाम से कैरी बैग बनाने का कारोबार शुरू किया. साल 2019 में शुरू इस व्यवसाय में वे रोजाना करीब ढाई क्विंटल उत्पाद तैयार करते हैं. उन्होंने यहां 4 लोगों को सीधे तौर पर और आसपास के 3 गांवों की अनेक महिलाओं को अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया करवाया है.

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देवेंद्र कुमार

जम्मू-कश्मीर तक होती है कैरी बैग्स की सप्लाई

देवेंद्र कुमार का कहना है कि साल 2018 के आखिर में उन्होंने किसी अखबार में मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के बारे में पढ़ा और अपने पिता को इस बारे में बताया. दोनों पिता-पुत्र मंडी में उद्योग विभाग के कार्यालय पहुंचे और योजना की विस्तार से जानकारी लेकर आवेदन कर दिया. उन्हें उद्यम लगाने के लिए 35 लाख रुपये का ऋण मिला, जिस पर उन्हें 25 प्रतिशत सरकारी अनुदान प्राप्त हुआ. साथ ही 3 साल के लिए 5 प्रतिशत ऋण अनुदान भी मिला. वहीं, उन्हें कच्चा माल खरीदने के लिए 10 लाख का लोन भी मिला.

साल 2019 में शुरू काम ने धीरे धीरे रफ्तार पकड़ी और फिर चल निकला. आज वे समूचे हिमाचल प्रदेश के साथ साथ जम्मू-कश्मीर तक कैरी बैग्स की सप्लाई देते हैं. अपनी मेहनत और सरकार से मिली मदद से वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बने हैं. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का दिल से आभार जताया है.

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देवेंद्र के पिता सुभाष ठाकुर.

क्या कहते हैं देवेंद्र के पिता

वहीं, देवेंद्र के पिता सुभाष ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना ने उनके बेटे और परिवार का जीवन बदल दिया है. सरकार की मदद से साल भर पहले शुरू किया काम अब एक स्थाई आमदनी का जरिया बन गया है. सारा खर्चा निकाल कर और कर्मचारियों की सैलरी देने के बाद बेटा अभी 30 से 40 हजार रुपये महीना कमा रहा है. आजकल कोरोनाकाल के चलते कामकाज की गति थोड़ी धीमी है, पर आगे काम बढ़ेगा तो पैसा बढ़ना भी लाजमी है.

वीडियो रिपोर्ट.

योजना के तहत सब्सिडी का प्रावधान

बता दें कि प्रदेश सरकार ने राज्य के युवाओं को स्वरोजगार और रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना शुरू की है. सरकार ने यह योजना राज्य के 18 से 45 वर्ष के उन युवाओं के लिए शुरू की है जो उद्योग, सर्विस सेक्टर, व्यापार स्थापित करना चाहते हैं. योजना के अंतर्गत उचित सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. हिमाचल सरकार स्थानीय उद्यम को बढ़ावा देने और युवाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाने की दृष्टि से वित्तीय बजट 2018-19 में इस योजना को शामिल किया था.

विशेष बात यह है कि योजना के तहत 60 लाख रुपए तक के प्रोजेक्ट स्थापित करने का प्रावधान है. ऐसे में यह कहना लाजमी होगा कि इस अब राज्य का युवा नौकरी तलाशने वाला नहीं बल्कि अन्यों को रोजगार प्रदान करने वाला हो सकेगा.

ये भी पढ़ें- किराएदारों से मिल रहे पैसों से मकान मालिक चुका रहे थे बैंक की किश्तें, कोरोना ने बढ़ाई मुश्किलें

Last Updated : Aug 19, 2020, 9:52 PM IST
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