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कोरोना ने पहलवान को चटाई धूल, कुली का काम कर पेट पाल रहा गोलू

हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते सरकार ने सभी आयोजनों और प्रतियोगिताओं पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिससे कई पहलवानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. ऐसी ही कुछ कांगड़ा के नूरपुर के रहने वाले गोलू के साथ हुआ है...

wrestlers have to work as porter Due to Corona virus
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Published : Aug 24, 2020, 7:42 PM IST

मंडी: कोरोना वायरस ने इस साल भारत की अर्थव्यवस्था पर ऐसा दांव मारा कि देश की आर्थिकी चारों खाने चित हो गई. पांच महीने का समय बीतने को है, लेकिन जिंदगी अभी भी सही रफ्तार नहीं पकड़ पाई है. अभी भी कई लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है.

कोरोना ने लाखों कमाने वाले पहलवानों को भी धूल चटा दी. आलम यह है कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए पहलवानों को कुली काम करना पड़ रहा है. हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है. प्रदेश के कई कोनों में कुश्ती आयोजित की जाती थी, लेकिन कोरोना की वजह से सभी कार्यक्रमों पर बैन गया है, जिसका खामियाजा गरीब तबके को भुगतना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

कांगड़ा जिला के नूरपुर का रहने वाला 29 वर्षीय गोलू पहलवान है. 90 किलो भार और 5 फीट 9 इंच हाईट वाले गोलू पहलवान ने पांच साल पहले पहलवानी शुरू की थी. उस वक्त शायद ही गोलू ने ऐसा सोचा होगा की एक दिन ऐसा भी आएगा जब कुश्ती में सामने कोरोना उनके प्रतिद्वंधी के रूप में खड़ा होगा, जिसे हरा पाना लगभग नामुमकिन है.

उत्तरी भारत की कोई भी बड़ी प्रतियोगिता ऐसी नहीं जिसमें गोलू पहलवान ने अपना दमखम न दिखाया हो, लेकिन कोरोना के कारण जब से देश में लॉकडाउन हुआ तभी से गोलू पहलवान की पहलवानी भी लॉक हो गई. इस पहलवान की जो कुछ जमा पुंजी थी उससे गोलू ने लॉकडाउन के दौरान अपना और अपने परिवार का पालन पोषण किया, लेकिन जब जमापूंजी खत्म हो गई तो मजबूरी में एक पहलवान को कुली का काम करना पड़ा.

गोलू पहलवान मंडी में एक सरकारी गोदाम में कुली का काम कर रहा है. जहां उसे एक क्विंटल भार ढोने के बदले में पांच रूपये मिलते हैं. इस तरफ मुश्किल से वह महीने में 8 से 10 हजार कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा है. कभी दंगल में दूसरे पहलवानों को धूल चटाने वाले गोलू आज खुद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन हालातों के आगे वो अभी भी हार मानने तो तैयार नहीं है.

गोलू पहलवान ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि कुश्ती प्रतियोगिताओं पर लगे प्रतिबंध को सरकार तुरंत प्रभाव से हटाए ताकि प्रदेश के पहलवान अपना दमखम दिखाकर रोजी रोटी कमा सकें. सरकार भविष्य में कुश्ती पर कब तक निर्णय लेती है ये तो सरकार पर ही निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि कोरोना और लॉकडाउन ने पहलवान की किस्मत पर भी ताला लगा दिया है. गोलू ने सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि प्रदेश में सिर्फ स्थानीय पहलवानों के बीच ही दंगल करवाए जाएं और बाहरी पहलवानों को फिलहाल न बुलाया जाए.

मंडी: कोरोना वायरस ने इस साल भारत की अर्थव्यवस्था पर ऐसा दांव मारा कि देश की आर्थिकी चारों खाने चित हो गई. पांच महीने का समय बीतने को है, लेकिन जिंदगी अभी भी सही रफ्तार नहीं पकड़ पाई है. अभी भी कई लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है.

कोरोना ने लाखों कमाने वाले पहलवानों को भी धूल चटा दी. आलम यह है कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए पहलवानों को कुली काम करना पड़ रहा है. हिमाचल के बहुत से पहलवान ऐसे हैं, जिनकी रोजी-रोटी कुश्ती प्रतियोगिताओं पर ही टिकी हुई है. प्रदेश के कई कोनों में कुश्ती आयोजित की जाती थी, लेकिन कोरोना की वजह से सभी कार्यक्रमों पर बैन गया है, जिसका खामियाजा गरीब तबके को भुगतना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

कांगड़ा जिला के नूरपुर का रहने वाला 29 वर्षीय गोलू पहलवान है. 90 किलो भार और 5 फीट 9 इंच हाईट वाले गोलू पहलवान ने पांच साल पहले पहलवानी शुरू की थी. उस वक्त शायद ही गोलू ने ऐसा सोचा होगा की एक दिन ऐसा भी आएगा जब कुश्ती में सामने कोरोना उनके प्रतिद्वंधी के रूप में खड़ा होगा, जिसे हरा पाना लगभग नामुमकिन है.

उत्तरी भारत की कोई भी बड़ी प्रतियोगिता ऐसी नहीं जिसमें गोलू पहलवान ने अपना दमखम न दिखाया हो, लेकिन कोरोना के कारण जब से देश में लॉकडाउन हुआ तभी से गोलू पहलवान की पहलवानी भी लॉक हो गई. इस पहलवान की जो कुछ जमा पुंजी थी उससे गोलू ने लॉकडाउन के दौरान अपना और अपने परिवार का पालन पोषण किया, लेकिन जब जमापूंजी खत्म हो गई तो मजबूरी में एक पहलवान को कुली का काम करना पड़ा.

गोलू पहलवान मंडी में एक सरकारी गोदाम में कुली का काम कर रहा है. जहां उसे एक क्विंटल भार ढोने के बदले में पांच रूपये मिलते हैं. इस तरफ मुश्किल से वह महीने में 8 से 10 हजार कमाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहा है. कभी दंगल में दूसरे पहलवानों को धूल चटाने वाले गोलू आज खुद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन हालातों के आगे वो अभी भी हार मानने तो तैयार नहीं है.

गोलू पहलवान ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि कुश्ती प्रतियोगिताओं पर लगे प्रतिबंध को सरकार तुरंत प्रभाव से हटाए ताकि प्रदेश के पहलवान अपना दमखम दिखाकर रोजी रोटी कमा सकें. सरकार भविष्य में कुश्ती पर कब तक निर्णय लेती है ये तो सरकार पर ही निर्भर करेगा, लेकिन इतना तय है कि कोरोना और लॉकडाउन ने पहलवान की किस्मत पर भी ताला लगा दिया है. गोलू ने सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि प्रदेश में सिर्फ स्थानीय पहलवानों के बीच ही दंगल करवाए जाएं और बाहरी पहलवानों को फिलहाल न बुलाया जाए.

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