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शिवरात्रि मेला कमेटी को फंड जुटाना हुआ मुश्किल, प्लॉट आवंटन में पेश आ रही दिक्कतें - Mela committee

इस बार शिवरात्रि मेला कमेटी को आय जुटाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. आय का मुख्य स्रोत मेला मैदान का आवंटन रहता है, लेकिन मेला मैदान के आवंटन से कमेटी को कुछ रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है.

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Published : Mar 2, 2019, 12:48 PM IST

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आय व व्यय लगभग बराबर रहता है. इस बार शिवरात्रि मेला कमेटी को आय जुटाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. आय का मुख्य स्रोत मेला मैदान का आवंटन रहता है, लेकिन मेला मैदान के आवंटन से कमेटी को कुछ रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है.
पूर्व में प्रशासन पड्डल को दो हिस्सों में बांटता था. इसमें एक कमर्शियल एक्टिविटी व दूसरा झूले वाला भाग था. कमर्शियल भाग लेने वाली पार्टी डोम स्थापित करती थी और आगे लोगों को डोम में स्टॉल लगाती थी, लेकिन बोली लगाने पर किसी ने झूलों व व्यावसायिक हिस्सा खरीदने को भाग नहीं लिया. प्रतिभागियों का तर्क था कि रिजर्व प्राइस बेहद ज्यादा है.

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डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर
हालांकि प्रशासन का दावा है कि रिजर्व प्राइस गत वर्ष के बराबर ही था, लेकिन टैक्स की वजह से बदलाव हुआ है. यह योजना न चलने पर व सबके मिले हुए होने की आशंका से कमेटी ने सील टेंडर कॉल किए. जिस पर झूले वाला भाग 29 लाख में बिक गया. जबकि, दूसरे मुख्य भाग लेने के लिए प्राइस बेहद कम आया. यह करीब 1.70 करोड़ था जोकि गत वर्ष के मुकाबले 40 लाख कम थी. इस वजह से इस पर विचार नहीं किया गया. अब अलग-अलग डोम का आवंटन शुरू किया गया है. जिससे अब तक जीएसटी के साथ करीब 1.28 करोड़ की आय अर्जित हो चुकी है. जबकि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने को कुछ भाग को प्लॉट वाइज बेचने का प्लान किया जा रहा है.
डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर
डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. पड्डल मेला मैदान सेल करने को लेकर इस बार कठिनाई पेश आई है. आय व व्यय लगभग बराबर होने के कारण आय गत वर्ष के मुकाबले बराबर होना जरूरी है. ताकि सब चीजें सुचारू चल सके. इसके लिए कुछ जगहों में कटौती भी की जा रही है लेकिन, किन मदों पर कटौती की जाए, यह भी चुनौती बना हुआ है.

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आय व व्यय लगभग बराबर रहता है. इस बार शिवरात्रि मेला कमेटी को आय जुटाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. आय का मुख्य स्रोत मेला मैदान का आवंटन रहता है, लेकिन मेला मैदान के आवंटन से कमेटी को कुछ रिस्पॉन्स नहीं मिल रहा है.
पूर्व में प्रशासन पड्डल को दो हिस्सों में बांटता था. इसमें एक कमर्शियल एक्टिविटी व दूसरा झूले वाला भाग था. कमर्शियल भाग लेने वाली पार्टी डोम स्थापित करती थी और आगे लोगों को डोम में स्टॉल लगाती थी, लेकिन बोली लगाने पर किसी ने झूलों व व्यावसायिक हिस्सा खरीदने को भाग नहीं लिया. प्रतिभागियों का तर्क था कि रिजर्व प्राइस बेहद ज्यादा है.

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डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर
हालांकि प्रशासन का दावा है कि रिजर्व प्राइस गत वर्ष के बराबर ही था, लेकिन टैक्स की वजह से बदलाव हुआ है. यह योजना न चलने पर व सबके मिले हुए होने की आशंका से कमेटी ने सील टेंडर कॉल किए. जिस पर झूले वाला भाग 29 लाख में बिक गया. जबकि, दूसरे मुख्य भाग लेने के लिए प्राइस बेहद कम आया. यह करीब 1.70 करोड़ था जोकि गत वर्ष के मुकाबले 40 लाख कम थी. इस वजह से इस पर विचार नहीं किया गया. अब अलग-अलग डोम का आवंटन शुरू किया गया है. जिससे अब तक जीएसटी के साथ करीब 1.28 करोड़ की आय अर्जित हो चुकी है. जबकि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने को कुछ भाग को प्लॉट वाइज बेचने का प्लान किया जा रहा है.
डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर
डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. पड्डल मेला मैदान सेल करने को लेकर इस बार कठिनाई पेश आई है. आय व व्यय लगभग बराबर होने के कारण आय गत वर्ष के मुकाबले बराबर होना जरूरी है. ताकि सब चीजें सुचारू चल सके. इसके लिए कुछ जगहों में कटौती भी की जा रही है लेकिन, किन मदों पर कटौती की जाए, यह भी चुनौती बना हुआ है.
Intro:मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आय व व्यय लगभग बराबर रहता है। इस बार शिवरात्रि मेला कमेटी को आय जुटाने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। आय का मुख्य स्रोत मेला मैदान का आवंटन रहता है, लेकिन मेला मैदान के आवंटन से कमेटी को कुछ रिस्पांस नहीं मिल पाता है।


Body:पूर्व में प्रशासन पड्डल को दो हिस्सों में बांटता था। इसमें एक कमर्शियल एक्टिविटी व दूसरा झूले वाला भाग था। कमर्शियल भाग लेने वाली पार्टी डोम स्थापित करती थी और आगे लोगों को डोम में स्टाल लगाती थी, लेकिन बोली लगाने पर किसी ने झूलों व व्यवसायिक भाग खरीदने को भाग नहीं लिया। प्रतिभागियों के तर्क था कि रिज़र्व प्राइस बेहद अधिक है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि रिज़र्व प्राइस गत वर्ष के बराबर ही था, लेकिन टैक्स की वजह से बदलाव हुआ है। यह योजना न चलने पर व सबके मिले हुए होने की आशंका से कमेटी ने सील टेंडर कॉल किए। जिस पर झूले वाला भाग 29 लाख में बिक गया। जबकि दूसरे मुख्य भाग लेने के लिए प्राइस बेहद कम आया। यह करीब 1.70 करोड़ था जोकि गत वर्ष के मुकाबले 40 लाख कम थी। इस वजह से इस पर विचार न किया गया। जिस पर अब अलग अलग डोम का आवंटन शुरू किया गया। जिससे अब तक जीएसटी के साथ करीब 1.28 करोड़ की आय अर्जित हो चुकी है। जबकि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने को कुछ भाग को प्लाट वाइज बेचने का प्लान किया जा रहा है।


Conclusion:बाइट : ऋग्वेद ठाकुर, डीसी मंडी।

डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष के मुकाबले आय अर्जित करने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। पड्डल मेला मैदान सेल करने को लेकर इस बार कठिनाई पेश आई है। आय व व्यय लगभग बराबर होने के कारण आय गत वर्ष के मुकाबले बराबर होना जरूरी है। ताकि सब चीजें सुचारू चल सके। इसके लिए कुछ जगहों में कटौती भी की जा रही है, लेकिन किन मदों पर कटौती की जाए, यह भी चुनौती बना हुआ है।
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