मंडी: देव आस्था के अनूठे संगम अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी में शिरकत करने वाले देवी देवताओं का अपना विशेष महत्व है. राज दरबार में यह देवी देवता अपना विशेष स्थान रखते हैं. ऐसे ही एक देवता सराज से आते हैं. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से बिठ्ठू नारायण भी एक अवतार हैं. इस देवता को मंडी शिवरात्रि में कलश देवता का दर्जा प्राप्त है.
देवता के पुजारी लक्ष्मण दास ने ईटीवी भारत के संवाददाता कमलेश भारद्वाज से विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने मंडी रियासत से देवता के गहरे नाते के बारे में जानकारी दी.
पुजारी लक्ष्मण दास ने बताया कि देवता को मंडी रियासत और शिवरात्रि महोत्सव में कलश देवता का दर्जा प्राप्त है. राजाओं के दौर में जब एक बड़ा यज्ञ मंडी जनपद पर किया गया था, तो कलश की जगह देवता बिठ्ठू नारायण को दी गई थी. इसके अलावा देवता के समक्ष दो मुखौटे भी रक्त के सामने रखे होते हैं.
पुजारी ने कहा कि इन मुकदमों के बिना देवता एक कदम नहीं चलते हैं. रियासत के बाहर देवता के निकलने पर यह मुखौटे आगे चलते हैं और देवता इनके पीछे पीछे चलते हैं, जबकि किसी नदी नाले को पार करते वक्त भी यह मुखौटे देवता के आगे ही होते हैं.
फागली उत्सव में इन मुखौटों का विशेष महत्व है. बताया जाता है कि देवता के फागली उत्सव में करीब 400 देवलू इन मुखौटों को पहन कर आसुरी शक्तियों को दूर भगाते हैं.
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