मंडी: कोरोना महामारी के दौरान लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने आयुष काढ़े को इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. इस पर जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. गोविंद राम ने बताया कि कई तरह का काढ़ा बाजार में उपलब्ध है. उन सभी में अलग-अलग तरह के घटक द्रव्य हैं.
काढ़े के नाम से इसका ज्यादा इस्तेमाल करने से नुकसान भी हो सकता है. जिला आयुर्वेद अधिकारी ने लोगों से आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के बिना काढ़े का इस्तेमाल न करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि जिला में स्थापित डेडिकेटिड कोविड केयर सेंटरों में उपचाराधीन रोगियों को आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श पर ही काढ़ा दिया जा रहा है. आयुर्वेद वात, पित एवं कफ (त्रिदोष) पर आधारित है.
डॉ. गोविंद राम ने बताया कि अलग-अलग प्रकृति के मरीजों में मात्रा को ध्यान में रख कर ही इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ द्रव्य पित वर्धक होने के कारण पित वाले मरीजों को नुकसान कर सकता है. इसके अलावा समान्य लोगों को आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श पर ही रोगानुसार काढ़े का प्रयोग करना चाहिए. आयुष मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आयुष काढ़े में तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ और मुन्नका घटक द्रव्य है.
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. गोविंद राम ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 मई, 2020 को कोविड पॉजिटिव रोगियों की डाइट प्लान के लिए एक सर्कुलर जारी किया है.
इसके तहत ही कोविड केयर सेंटर में काढ़े के संदर्भ में प्रोटोकॉल के अनुसार आयुर्वेदिक विभाग काढ़े का प्रयोग कर रहा है. उन्होंने बताया कि जिला में कोविड केयर सेंटरों में काढ़े को आवश्यकतानुसार आयुर्वेदिक चिकित्सकों के परामर्श पर ही दिया जा रहा है. आयुष काढ़े के प्रयोग के अच्छे परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं. साथ ही मरीज जल्दी ठीक हो कर अपने घरों को लौट रहे हैं.
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