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करसोग के कामाक्षा मंदिर में नहीं होगा प्रसिद्ध अष्टमी मेला, हजारों लोगों की जुड़ी है आस्था - Temples in karsog

कामाक्षा मंदिर में इस बार प्रसिद्ध अष्टमी मेला नहीं होगा. सरकार की ओर जारी एडवाइजरी को देखते हुए मंदिर कमेटी ने ये फैसला लिया

Kamaksha temple
कामाक्षा मंदिर
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Published : Oct 22, 2020, 1:37 PM IST

करसोग: कामाक्षा मंदिर में इस बार प्रसिद्ध अष्टमी मेला नहीं होगा. सरकार की ओर जारी एडवाइजरी को देखते हुए मंदिर कमेटी ने ये फैसला लिया है.

कामाक्षा माता मंदिर में हर साल अष्टमी की रात्रि को मेला लगता था, जो अगले दिन भी जारी रहता था. इस मेले के लिए प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में इस बार मंदिर में अष्टमी के दिन ऐसा कोई भी बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा, जिसमें लोगों की अधिक भीड़ जुटती हो.

वीडियो

उपमंडल में कामाक्षा एक मात्र माता का सबसे बड़ा मंदिर है. शारदीय नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती थी. खासकर अष्टमी पर्व के दिन तो मंदिर परिसर में भक्तों की सबसे अधिक भीड़ रहती थी. माता रानी के पवित्र दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें लगती थी, लेकिन इस बार कामाक्षा मंदिर में बहुत कम संख्या में ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

हालांकि, मंदिर कमेटी ने कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए मंदिर में पूरे इंतजाम किए है. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही माता के दर्शनों के लिए भेजा जा रहा है. इसके अतिरिक्त मंदिर में सेनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है. ऐसे में मंदिर कमेटी सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी की पूरी पालना कर रही है.

मान्यता है कि अष्ठमी की रात को माता किसी शरीर में प्रवेश करती है, जिससे वह व्यक्ति बेसुध होकर जमीन पर गिरता था. उस व्यक्ति को श्रद्धालु कंधे पर उठाकर हाथों में मशालें लेकर सुबह के वक्त कामाक्षा नगरी परिक्रमा करते थे, लेकिन इस बार ये मेला सिर्फ परम्परा तक ही सीमित रहेगा.

कामाक्षा मंदिर कमेटी के प्रधान पम्मी शर्मा का कहना है कि इस बार कोरोना की वजह से अष्टमी का मेला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि नवरात्रि में श्रद्धालु भी बहुत कम संख्या में ही पहुंच रहे हैं. मंदिर में सरकार और प्रशासन की एडवाइजरी की पूरी पालना की जा रही है.

करसोग: कामाक्षा मंदिर में इस बार प्रसिद्ध अष्टमी मेला नहीं होगा. सरकार की ओर जारी एडवाइजरी को देखते हुए मंदिर कमेटी ने ये फैसला लिया है.

कामाक्षा माता मंदिर में हर साल अष्टमी की रात्रि को मेला लगता था, जो अगले दिन भी जारी रहता था. इस मेले के लिए प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में इस बार मंदिर में अष्टमी के दिन ऐसा कोई भी बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा, जिसमें लोगों की अधिक भीड़ जुटती हो.

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उपमंडल में कामाक्षा एक मात्र माता का सबसे बड़ा मंदिर है. शारदीय नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती थी. खासकर अष्टमी पर्व के दिन तो मंदिर परिसर में भक्तों की सबसे अधिक भीड़ रहती थी. माता रानी के पवित्र दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें लगती थी, लेकिन इस बार कामाक्षा मंदिर में बहुत कम संख्या में ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

हालांकि, मंदिर कमेटी ने कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए मंदिर में पूरे इंतजाम किए है. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को थर्मल स्कैनिंग के बाद ही माता के दर्शनों के लिए भेजा जा रहा है. इसके अतिरिक्त मंदिर में सेनिटाइजर की भी व्यवस्था की गई है. ऐसे में मंदिर कमेटी सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी की पूरी पालना कर रही है.

मान्यता है कि अष्ठमी की रात को माता किसी शरीर में प्रवेश करती है, जिससे वह व्यक्ति बेसुध होकर जमीन पर गिरता था. उस व्यक्ति को श्रद्धालु कंधे पर उठाकर हाथों में मशालें लेकर सुबह के वक्त कामाक्षा नगरी परिक्रमा करते थे, लेकिन इस बार ये मेला सिर्फ परम्परा तक ही सीमित रहेगा.

कामाक्षा मंदिर कमेटी के प्रधान पम्मी शर्मा का कहना है कि इस बार कोरोना की वजह से अष्टमी का मेला नहीं होगा. उन्होंने कहा कि नवरात्रि में श्रद्धालु भी बहुत कम संख्या में ही पहुंच रहे हैं. मंदिर में सरकार और प्रशासन की एडवाइजरी की पूरी पालना की जा रही है.

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