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HP Election 2022: लाहौल स्पीति में मुकाबला दिलचस्प, बदलेगा रिवाज या बनेगा इतिहास?

लाहौल स्पीति विधानसभा में 73.75 प्रतिशत मतदान हुआ है. साल 2017 में यहां 72.65 फीसदी मतदान हुआ था. यहां भीजपा की ओर से तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने रवि ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है. तो वहीं, आम आदमी पार्टी से सुदर्शन जसपा मैदान में हैं. (himachal assembly elections 2022)

himachal assembly elections 2022
लाहौल स्पीति
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Published : Nov 18, 2022, 8:55 PM IST

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल स्पीति की एकमात्र सीट का मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प है. इस बार लाहौल स्पीति विधानसभा में 73.75 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां पर भाजपा की ओर से तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा चुनावी मैदान में थे. तो वहीं, कांग्रेस ने रवि ठाकुर पर अपना भरोसा जताया. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी सुदर्शन जसपा को चुनावी मैदान में उतारा था. (Lahaul Spiti Assembly Constituency)

लाहौल स्पीति के प्रमुख मुद्दे: लाहौल स्पीति विधानसभा क्षेत्र में इस चुनावों में पर्यटन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा. तो वहीं, किसानों की समस्याओं पर भी खूब प्रतिक्रिया दी गई. लाहौल में अटल टनल बनने के बाद पर्यटन तो बढ़ा है लेकिन यहां पर सुविधाओं को लेकर कोई खास प्रयास नहीं किए गए हैं. इसके अलावा सड़कों की बदहाली व सिंचाई व्यवस्था को लेकर भी कांग्रेस पार्टी ने खूब प्रचार किया, जिसका फायदा यहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार को आने वाले दिनों में मिल सकता है.

अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी की मुश्किलें काफी कम हुई हैं. टनल बनने के बाद अब घाटी के लोगों की निगाहें पर्यटन गतिविधियों पर टिक गई हैंस ताकि शीत वादियों में भी कृषि के अलावा पर्यटन लोगों की आर्थिकी का आधार बन सके. अटल टनल के शुभारंभ के बाद से ही हजारों सैलानियों का लाहौल घाटी जाना शुरू हो गया है. लाहौल घूमने के बाद सैलानियों को वापस मनाली का रुख करना पड़ता है. इसका कारण है लाहौल में बेहतरीन पर्यटन सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में इन विधानसभा चुनावों में जनता ने पर्यटन मुद्दे को भी ध्यान में रखते हुए मतदान किया है.

लाहौल स्पीति में लोगों की आर्थिकी का मुख्य आधार अभी भी कृषि है. हालांकि, अब लाहौल घाटी में लोगोों ने सेब के बागान भी लगाए हैं. लेकिन कृषि के क्षेत्र में भी लोगों को आज भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहां पर सिंचाई व्यवस्था भी बेहतर ना होने के चलते लोगों को हर साल सूखे का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा सर्दियों में लाहौल की भीतरी इलाके बर्फबारी के कारण भी बंद रहते हैं. वहीं, पर्यटन का मुद्दा भी अब लाहौल घाटी में सामने आने लगा है. हालांकि, स्थानीय लोग अपने स्तर पर यहां पर होटल व होम स्टे तैयार कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले डरी कांग्रेस! विक्रमादित्य सिंह ने जताई हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल स्पीति की एकमात्र सीट का मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प है. इस बार लाहौल स्पीति विधानसभा में 73.75 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां पर भाजपा की ओर से तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा चुनावी मैदान में थे. तो वहीं, कांग्रेस ने रवि ठाकुर पर अपना भरोसा जताया. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी सुदर्शन जसपा को चुनावी मैदान में उतारा था. (Lahaul Spiti Assembly Constituency)

लाहौल स्पीति के प्रमुख मुद्दे: लाहौल स्पीति विधानसभा क्षेत्र में इस चुनावों में पर्यटन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा. तो वहीं, किसानों की समस्याओं पर भी खूब प्रतिक्रिया दी गई. लाहौल में अटल टनल बनने के बाद पर्यटन तो बढ़ा है लेकिन यहां पर सुविधाओं को लेकर कोई खास प्रयास नहीं किए गए हैं. इसके अलावा सड़कों की बदहाली व सिंचाई व्यवस्था को लेकर भी कांग्रेस पार्टी ने खूब प्रचार किया, जिसका फायदा यहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार को आने वाले दिनों में मिल सकता है.

अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी की मुश्किलें काफी कम हुई हैं. टनल बनने के बाद अब घाटी के लोगों की निगाहें पर्यटन गतिविधियों पर टिक गई हैंस ताकि शीत वादियों में भी कृषि के अलावा पर्यटन लोगों की आर्थिकी का आधार बन सके. अटल टनल के शुभारंभ के बाद से ही हजारों सैलानियों का लाहौल घाटी जाना शुरू हो गया है. लाहौल घूमने के बाद सैलानियों को वापस मनाली का रुख करना पड़ता है. इसका कारण है लाहौल में बेहतरीन पर्यटन सुविधाओं का अभाव है. ऐसे में इन विधानसभा चुनावों में जनता ने पर्यटन मुद्दे को भी ध्यान में रखते हुए मतदान किया है.

लाहौल स्पीति में लोगों की आर्थिकी का मुख्य आधार अभी भी कृषि है. हालांकि, अब लाहौल घाटी में लोगोों ने सेब के बागान भी लगाए हैं. लेकिन कृषि के क्षेत्र में भी लोगों को आज भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यहां पर सिंचाई व्यवस्था भी बेहतर ना होने के चलते लोगों को हर साल सूखे का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा सर्दियों में लाहौल की भीतरी इलाके बर्फबारी के कारण भी बंद रहते हैं. वहीं, पर्यटन का मुद्दा भी अब लाहौल घाटी में सामने आने लगा है. हालांकि, स्थानीय लोग अपने स्तर पर यहां पर होटल व होम स्टे तैयार कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से अभी तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है.

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