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लाहौल स्पीति में मतदान करवाना चुनाव आयोग के लिए टेढी खीर, 75 फीसदी पोलिंग बूथ की सड़कें बंद

लाहौल-स्पीति जिला में अभी भी 75 फीसदी मतदान केंद्रों तक पहुंचना बड़ी चुनौती. लाहौल स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण सड़कें बंद.

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Published : Mar 19, 2019, 6:56 AM IST

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कुल्लू: लोकसभा चुनाव की तारीख फाइनल हो चुकी है. हिमाचल में 19 मई को चार संसदीय सीट के लिए मतदान होने हैं. जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार अभियान शुरू कर दिया है. वहीं, प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिला में अभी भी 75 फीसदी मतदान केंद्रों तक पहुंचना चुनाव आयोग की टीम के लिए बड़ी चुनौती है.

लोकसभा चुनाव के लिए लाहौल स्पीति में 92 पोलिंग बूथ स्थापित किए गए हैं, लेकिन चुनाव आयोग की टीम के लिए इन बूथों तक पहुंचना टेढ़ी खीर बन गया है. लाहौल स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण 75 फीसदी मतदान केंद्रों को जाने वाली सड़कें बंद हैं. केलांग-दारचा, केलांग-तिंदी और केलांग-कोकसर सड़कें अभी तक बहाल नहीं हो पाई हैं. वहीं, घाटी में अभी भी कई पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां छह से आठ फीट तक बर्फ की मोटी परत जमी हुई है.

लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की टीमें देशभर के पोलिंग बूथ का जायजा ले रही है. चुनाव आयोग की टीम मतदाताओं को वोटिंग के लिए जागरूक करने के साथ ही वोटर्स को वोटिंग को लेकर प्रशिक्षण दे रही है. साथ ही जो मतदाता अभी तक पंजीकृत नहीं हो पाए हैं, उन्हें वोटर लिस्ट में जोड़ने का काम कर रही है. पोलिंग बूथ में बिजली व्यवस्था और पानी की आपूर्ति व सभी मूलभूत सुविधाओं का जायजा भी चुनाव आयोग की टीम ले रही है.

हिमाचल के लाहौल-स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण सैकड़ों सड़क मार्ग अभी भी बंद हैं. ऐसे में चुनाव आयोग की टीम के लिए जिला के हर पोलिंग बूथ तक पहुंचना और उसका जायजा लेना मुश्किल हो गया है. वहीं, सड़क मार्ग बंद होने के कारण जिला प्रशासन भी पोलिंग बूथ का जायजा नहीं ले पा रहा है. संपर्क मार्गों को बहाल करने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है, फिर भी जिला में मतदान केंद्रों जो जोड़ने वाली 75 फीसदी सड़कें बंद हैं.

स्पीति घाटी में हालात लाहौल से बेहतर हैं. यहां बीआरओ ने 90 फीसदी हिस्से को सड़क से जोड़ दिया है. लाहौल स्पीति में स्थित देश के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र टशीगंग को जाने वाली सड़क भी अभी तक नहीं खुली है, जिसे बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. लोक निर्माण विभाग का कहना है कि मुख्य मार्ग से बर्फ हटाने का जिम्मा बीआरओ के पास है. ऐसे में जब तक मुख्य सड़क से बर्फ नहीं हटाई जाती, संपर्क मार्गों को बहाल नहीं किया जा सकता.

कुल्लू: लोकसभा चुनाव की तारीख फाइनल हो चुकी है. हिमाचल में 19 मई को चार संसदीय सीट के लिए मतदान होने हैं. जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने जोरों-शोरों से प्रचार-प्रसार अभियान शुरू कर दिया है. वहीं, प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिला में अभी भी 75 फीसदी मतदान केंद्रों तक पहुंचना चुनाव आयोग की टीम के लिए बड़ी चुनौती है.

लोकसभा चुनाव के लिए लाहौल स्पीति में 92 पोलिंग बूथ स्थापित किए गए हैं, लेकिन चुनाव आयोग की टीम के लिए इन बूथों तक पहुंचना टेढ़ी खीर बन गया है. लाहौल स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण 75 फीसदी मतदान केंद्रों को जाने वाली सड़कें बंद हैं. केलांग-दारचा, केलांग-तिंदी और केलांग-कोकसर सड़कें अभी तक बहाल नहीं हो पाई हैं. वहीं, घाटी में अभी भी कई पोलिंग बूथ ऐसे हैं, जहां छह से आठ फीट तक बर्फ की मोटी परत जमी हुई है.

लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की टीमें देशभर के पोलिंग बूथ का जायजा ले रही है. चुनाव आयोग की टीम मतदाताओं को वोटिंग के लिए जागरूक करने के साथ ही वोटर्स को वोटिंग को लेकर प्रशिक्षण दे रही है. साथ ही जो मतदाता अभी तक पंजीकृत नहीं हो पाए हैं, उन्हें वोटर लिस्ट में जोड़ने का काम कर रही है. पोलिंग बूथ में बिजली व्यवस्था और पानी की आपूर्ति व सभी मूलभूत सुविधाओं का जायजा भी चुनाव आयोग की टीम ले रही है.

हिमाचल के लाहौल-स्पीति में भारी बर्फबारी के कारण सैकड़ों सड़क मार्ग अभी भी बंद हैं. ऐसे में चुनाव आयोग की टीम के लिए जिला के हर पोलिंग बूथ तक पहुंचना और उसका जायजा लेना मुश्किल हो गया है. वहीं, सड़क मार्ग बंद होने के कारण जिला प्रशासन भी पोलिंग बूथ का जायजा नहीं ले पा रहा है. संपर्क मार्गों को बहाल करने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है, फिर भी जिला में मतदान केंद्रों जो जोड़ने वाली 75 फीसदी सड़कें बंद हैं.

स्पीति घाटी में हालात लाहौल से बेहतर हैं. यहां बीआरओ ने 90 फीसदी हिस्से को सड़क से जोड़ दिया है. लाहौल स्पीति में स्थित देश के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र टशीगंग को जाने वाली सड़क भी अभी तक नहीं खुली है, जिसे बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. लोक निर्माण विभाग का कहना है कि मुख्य मार्ग से बर्फ हटाने का जिम्मा बीआरओ के पास है. ऐसे में जब तक मुख्य सड़क से बर्फ नहीं हटाई जाती, संपर्क मार्गों को बहाल नहीं किया जा सकता.

दिल्ली दरबार में नहीं हुआ कांग्रेस प्रत्याशियों का फैसला, अब होली के बाद ही लगेगी नामों पर मुहर
शिमला। लोकसभा चुनाव में हिमाचल की चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को लेकर दिल्ली दरबार में कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस संदर्भ में कांग्रेस की उच्च स्तरीय बैठक में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया। माना जा रहा है कि अब होली के पर्व के बाद ही कांग्रेस टिकट वितरण पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी। कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की अब अगली मीटिंग में कोई फैसला लिया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने पुष्टि की है कि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। हिमाचल कांग्रेस में टिकट को लेकर खींचतान का भी असर है कि कोई फैसला नहीं हो पा रहा है। कांगड़ा व हमीरपुर सीट पर कई पेंच फंसे हैं। शिमला में भी कड़वाहट चल रही है। मंडी सीट पर भी अनिर्णय की सी स्थिति है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस की तरफ से कुछ नाम तय किए गए हैं, लेकिन हाईकमान की मुहर नहीं लग रही है। होली के बाद अथवा मार्च के अंतिम दिनों में नाम फाइनल हो सकते हैं। मंडी सीट पर एक रोचक जंग सामने आ रही है। कांग्रेस के दिग्गज रहे पंडित सुखराम, जिन्हें राजनीति में तुंगल का शेर भी कहा जाता है, वे अपने पोते आश्रय शर्मा को चुनाव लड़वाना चाहते हैं। भाजपा ने तो साफ कह दिया है कि आश्रय शर्मा को टिकट नहीं मिलेगा। ऐसे में सुगबुगाहट है कि आश्रय कांग्रेस से टिकट हासिल करने की कोशिश भी कर सकते हैं। लेकिन न तो भाजपा और न ही कांग्रेस के सूत्र इसकी पुष्टि करते हैं। सुखराम अपने स्तर पर भी आश्रय के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। यहां तक कि सोनिया गांधी के पास भी मामला पहुंचाया गया। दरअसल, कांग्रेस के भीतर कई खेल चल रहे हैं। हमीरपुर में अनुराग ठाकुर व प्रेम कुमार धूमल ने अपनी सारी ताकत झोंक रखी है। ऐसे में कांग्रेस के नेता, चाहे वो सुखविंद्र सिंह सुक्खू हों, मुकेश अग्निहोत्री या फिर कोई और, ये नहीं चाहते कि चुनाव में हार का सामना करना पड़े। ऐसा इसलिए कि सबके आने वाले समय के अपने पॉलिटिकल इंट्रस्ट हैं। अभिषेक राणा जरूर हमीरपुर से फाइट देने की स्थिति में खुद को मानते हैं। इसी तरह शिमला सीट पर धनीराम शांडिल, अमित नंदा जोर लगा रहे हैं। कांगड़ा से सुधीर शर्मा, जीएस बाली का नाम है। देखना है कि खींचतान से निकल कर कांग्रेस हाईकमान किस पर भरोसा जताती है। फिलहाल, तो फैसला होली के बाद तक के लिए टल गया है। 

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