लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश के सफेद मरुस्थल कहे जाने वाले जिला लाहौल स्पीति में इस बार जमकर हिमपात हुआ है. ऐसे में अब वन्य प्राणी भोजन की तलाश में जिले के निचले इलाकों का रुख करने लगे हैं. बीते दिनों स्नो लेपर्ड भी ग्रामीण इलाकों के आसपास नजर आए थे. तो वहीं, अब हिमालयन रेड फॉक्स भी भोजन की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. लाहौल घाटी के मालंग गांव में भी एक हिमालयन रेड फॉक्स ग्रामीण इलाकों में पहुंचा. जहां पर स्थानीय लोगों के द्वारा उसे भोजन दिया गया.
वाइल्ड लाइफ के लिए अच्छी खबर- बीते कुछ दिन पहले भी चंद्रा घाटी में एक हिमालयन रेड फॉक्स खाने की तलाश में पहुंचा था. जहां पर ग्रामीणों के द्वारा उसे खाना भी खिलाया गया था. ऐसे में स्नो लेपर्ड के बाद अब हिमालयन रेड फॉक्स भी लाहौल घाटी के ग्रामीण इलाकों में नजर आने लगे हैं, जो कि लाहौल स्पीति के वन्य प्राणी विभाग के लिए राहत भरी खबर है. वनमंडलाधिकारी लाहौल दिनेश शर्मा ने कहा कि यह वाइल्ड लाइफ के लिए अच्छी बात है. उन्होंने बताया कि वन विभाग की पेट्रोलिंग टीम इन पर नजर रखे हुए है.
बेशकीमती होता है रेड फॉक्स का फर- वहीं, उन्होंने घाटी के लोगों से भी उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न करने की अपील की है. रेड फॉक्स के नाम से जाने जानें वाली हिमालयन लोमड़ी आमतौर पर आठ हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर पाई जाती है. उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी यह लोमड़ी मिलती हैं. शर्मीली प्रकृति का यह जीव दिन में कभी-कभार ही नजर आता है और ज्यादातर ये रात को ही निकलती हैं. इनका फर बेशकीमती होने के कारण इनका शिकार किया जाता है. जिस कारण इनकी संख्या काफी कम रह गई है.
लुप्तप्राय प्रजाति हिमालयन रेड फॉक्स- डीएफओ दिनेश का कहना है कि लाहौल घाटी में इस लोमड़ी का दिखाई देना उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लिए अच्छा संकेत है. हिमालयन रेड फॉक्स मुख्य रूप से भारत के हिमालय पर्वतमाला में पाए जाते हैं और एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध हैं. यह घरेलू बिल्ली की तुलना में थोड़ा बड़ा है. यह बहुत आसानी से पेड़ों पर चढ़ सकते हैं.
60cm तक लंबाई होती है रेड फॉक्स की पूंछ- यह 50 से 60 सेंटीमीटर की लंबाई तक बढ़ता है. इसकी एक लंबी पूंछ होती है जो लगभग 30 से 60 सेंटीमीटर की होती है. रेड फॉक्स का पसंदीदा निवास स्थान एक मिश्रित परिदृश्य है. जो जंगलों, घास के मैदानों और अन्य भूमि-उपयोग के प्रकारों से बनता है, लेकिन यह बर्फीले इलाकों से लेकर शुष्क रेगिस्तान तक के वातावरण में रहते हैं. हर परिस्थिति में अनुकूल रेड फॉक्स जंगलों, रेगिस्तानों और पहाड़ों सहित कई प्रकार के आवासों में रहते हैं.
रेड फॉक्स की तीन उप-प्रजातियां हैं- यह मानव बस्तियों के पास भी पनपते हैं. इसी तरह, उनके पास एक लचीला आहार होता है और वे कीड़ों पक्षियों, फलों, सब्जियों और छोड़े गए भोजन को खाते हैं. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहने के दौरान उनकी पूंछ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसका उपयोग वे खुद को ढंकने और ठंड के मौसम से बचाने के लिए करते हैं. रेड फॉक्स की तीन उप-प्रजातियां हैं जो डेजर्ट फॉक्स, तिब्बती रेड फॉक्स और कश्मीर रेड फॉक्स या कश्मीर हिल रेड फॉक्स के नाम से जानी जाती हैं.
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