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'अपनी मंडी' में किसान बेच रहे सब्जियां, मिल रहे अच्छे दाम

काजा उपमंडल में किसान 'अपनी मंडी' में अपनी सब्जियां अच्छे दामों पर बेच रहे हैं. स्थानीय लोग यहां से भारी मात्रा में सब्जियां खरीद रहे हैं. दरअसल, स्थानीय प्रशासन ने प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए 'अपनी मंडी' स्थापित की है.

अपनी मंडी
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Published : Aug 21, 2020, 8:06 PM IST

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल-स्पीति के काजा उपमंडल में किसान 'अपनी मंडी' में अपनी सब्जियां अच्छे दामों पर बेच रहे हैं. स्थानीय लोग यहां से भारी मात्रा में सब्जियां खरीद रहे हैं. दरअसल, स्थानीय प्रशासन ने प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए 'अपनी मंडी' स्थापित की है.

पहली बार कृषि विभाग ने 'अपनी मंडी' का स्टॉल लगाया है. दुर्गम क्षेत्र लाहौल स्पीति में पिछले कई सालों से प्राकृतिक खेती हो रही है, लेकिन यहां पर फसल विविधीकरण इतने व्यापक स्तर पर नहीं था. कृषि विभाग ने विविधीकरण का भी विस्तार करते हुए किसानों को जागरूक किया और प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को और बारीकियां सिखाई .

'अपनी मंडी’ स्टॉल पर ब्रोकली, बंद गोभी, धनिया ,मूली, देसी शलगम, लेट्यूस आदि प्रमुख सब्जियां बेची जा रही हैं. इस बार लॉकडाउन में प्रगतिशील किसानों को तैयार हुई फसल को बेचे जाने को लेकर चिंता सता रही थी. इसलिए किसानों ने कृषि विभाग के सामने अपने उत्पाद बेचने में दिक्कत होने का मामला उठाया. इसी मामले को कृषि विभाग ने सुलझाते हुए 'अपनी मंडी' नाम से काजा में स्टॉल लगाने का फैसला लिया और एडीएम ज्ञान सागर नेगी से स्टाल लगाने की अनुमति ली.

वीडियो

'अपनी मंडी' में यीशे डोलमा और उर्गेन, अंकित, नवांग, दिलीप, टाशी नवांग आदि किसानों ने स्टाल पर सब्जियां बेच रहे हैं. सूचना प्रौद्योगिकी, जनजातीय, तकनीकी शिक्षा जन शिकायत मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा भी यहां पर फसल विविधीकरण को लेकर कृषि विभाग को आदेश दे चुके थे. बता दें कि स्पीति में हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. ऐसे में यहां पर स्थापित होटल होम स्टे में प्राकृतिक सब्जियों की मांग काफी अधिक रहती है. इसलिए किसानों को अपने उत्पादों की चिंता कभी भी सताने वाली नहीं हैं.

प्राकृतिक खेती के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

काजा उपमंडल में कृषि विभाग के तहत चल रहे 'आत्मा प्रोजेक्ट' में स्पीति क्षेत्र के किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अधीन प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती से कम लागत में स्वास्थ्य और अधिक उत्पाद कैसे तैयार किया जाता है. इसके बारे में यहां के किसानों को सिखाया जा रहा है. इसी वजह से स्पीति में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है. यहां किसान पहले सब्जियां केवल अपने गुजारे के लिए उगाते थे, लेकिन अब रोजगार के तौर पर भी इन्हें उगाया जा रहा है. गौरतलब है कि प्राकृतिक सब्जियों की मांग काफी अधिक है .

बिचोलियों से बच रहे किसान

पहले किसान अपनी फसल आढ़तियों को बेचते थे. ऐसे में किसानों को सही दाम नहीं मिलता था, लेकिन अब 'अपनी मंडी' में सीधे तौर पर किसान अपनी फसल उपभोक्ताओं को बेच पा रहे हैं. ऐसे में किसानों को 'अपनी मंडी' से काफी लाभ हो रहा है.

'अपनी मंडी' में बेची चालीस हजार रूपये की सब्जियां

स्पीति क्षेत्र के लिदांग की रहने वाली यीशे डोलमा ने प्राकृतिक खेती के तहत उगाई हुई सब्जियों को लॉकडाउन के चलते भी अच्छे दामों पर बेच रही हैं. डोलमा अभी तक 'अपनी मंडी' में चालीस हजार रूपये की सब्जियां बेच चुकी हैं. उन्होंने कहा कि पहले भी मटर को छोड़ कर कई सब्जियां उगाती थीं, लेकिन केवल अपने खाने के लिए ये सब्जियां लगाई जाती थी, लेकिन इस बार कृषि विभाग ने व्यापक स्तर पर सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया था. वहीं, लॉकडाउन लगने पर फसल बिजाई की चिंता हो रही थी. इस पर विभाग ने सब्जियों की पनीरी मुहैया करवाई. जीवामृत का इस्तेमाल करके सारी सब्जियों को उगाया गया है.

यीशे डोलमा ने बताया कि लॉकडाउन लगने पर सभी ने डरा दिया था कि कई महीनों तक ये चलेगा. ऐसे में सब्जी की कमी होना लाजमी था. विभाग के अधिकारी स्टाफ हमारे पास आते रहे और हमें जागरूक करते रहे. इस बार हम सीधे बाजार में सब्जी बेच रहे हैं. मुझे अच्छे दाम 'अपनी मंडी' स्टॉल पर मिले. इसके लिए प्रशासन का आभार व्यक्त करती हूं. हर साल इसी तरह स्पीति के किसानों के 'अपनी मंडी' लगते रहने पर हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

क्या कहते है प्रगतिशील किसान

'अपनी मंडी' में अपनी सब्जियां बेच रहे ढंखर के दिलीप कुमार ने बताया कि 'अपनी मंडी' बहुत अच्छा मंच है. इससे किसानों को अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ किसानों को सब्जियां खराब होने का डर भी नहीं है. इसी तरह मंडी लगते रहने पर हम हर साल इसी तरह सब्जियां उगाते रहेंगे.

रंगरीक के रहने वाले किसान टाशी नामज्ञयाल ने कहा कि आज कल पर्यटन सीजन भी नहीं है, लेकिन फिर भी हमें उपभोक्ताओं को सीधे सब्जियों को बेचने पर अच्छे दाम मिल रहे हैं. कृषि विकास अधिकारी काजा सुभाष ने कहा कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत किसानों को प्रशिक्षित किया गया है. फसल विविधिकरण के तहत यहां की परंपरागत फसलों को छोड़ कर अन्य सब्जियों को उगा रहे हैं. इसलिए किसानों को केवीके ताबो से पनीरी लाकर दी गई और इन्हें पहले ही तैयार फसल को बाजार में सही दामों पर बेचने का प्रयास करवाने का आश्वासन दिया गया. इसके बाद 'अपनी मंडी' स्थापित करके किसान अपनी सब्जियों की सीधे उपभोक्ताओं को बेच रहे है. हर साल इसी तरह 'अपनी मंडी' लगाई जाएगी.

एडीएम ज्ञान सागर नेगी ने बताया कि यहां पर सालों से प्राकृतिक खेती हो रही है, लेकिन प्राकृतिक खेती में भी बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है. इसके बारे में कृषि विभाग ने स्पीति के किसानों को प्रशिक्षित किया है. उन्होंने कहा कि आजकल लोग केमिकल से तैयार होने वाले सब्जियों, उत्पादों को प्राथमिकता नहीं देते हैं, बल्कि प्राकृतिक तौर पर तैयार होने वाले उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं. इसलिए 'अपनी मंडी' स्टाल लगाकर यहां के उत्पाद को सीधे मार्केट में बेचना बहुत अच्छा प्रयास है. इससे किसान बिचौलियों के चंगुल से बच पाएगा और सही दाम किसान को मिल सकेगा.

लाहौल स्पीति: जिला लाहौल-स्पीति के काजा उपमंडल में किसान 'अपनी मंडी' में अपनी सब्जियां अच्छे दामों पर बेच रहे हैं. स्थानीय लोग यहां से भारी मात्रा में सब्जियां खरीद रहे हैं. दरअसल, स्थानीय प्रशासन ने प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए 'अपनी मंडी' स्थापित की है.

पहली बार कृषि विभाग ने 'अपनी मंडी' का स्टॉल लगाया है. दुर्गम क्षेत्र लाहौल स्पीति में पिछले कई सालों से प्राकृतिक खेती हो रही है, लेकिन यहां पर फसल विविधीकरण इतने व्यापक स्तर पर नहीं था. कृषि विभाग ने विविधीकरण का भी विस्तार करते हुए किसानों को जागरूक किया और प्राकृतिक खेती के बारे में किसानों को और बारीकियां सिखाई .

'अपनी मंडी’ स्टॉल पर ब्रोकली, बंद गोभी, धनिया ,मूली, देसी शलगम, लेट्यूस आदि प्रमुख सब्जियां बेची जा रही हैं. इस बार लॉकडाउन में प्रगतिशील किसानों को तैयार हुई फसल को बेचे जाने को लेकर चिंता सता रही थी. इसलिए किसानों ने कृषि विभाग के सामने अपने उत्पाद बेचने में दिक्कत होने का मामला उठाया. इसी मामले को कृषि विभाग ने सुलझाते हुए 'अपनी मंडी' नाम से काजा में स्टॉल लगाने का फैसला लिया और एडीएम ज्ञान सागर नेगी से स्टाल लगाने की अनुमति ली.

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'अपनी मंडी' में यीशे डोलमा और उर्गेन, अंकित, नवांग, दिलीप, टाशी नवांग आदि किसानों ने स्टाल पर सब्जियां बेच रहे हैं. सूचना प्रौद्योगिकी, जनजातीय, तकनीकी शिक्षा जन शिकायत मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा भी यहां पर फसल विविधीकरण को लेकर कृषि विभाग को आदेश दे चुके थे. बता दें कि स्पीति में हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. ऐसे में यहां पर स्थापित होटल होम स्टे में प्राकृतिक सब्जियों की मांग काफी अधिक रहती है. इसलिए किसानों को अपने उत्पादों की चिंता कभी भी सताने वाली नहीं हैं.

प्राकृतिक खेती के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

काजा उपमंडल में कृषि विभाग के तहत चल रहे 'आत्मा प्रोजेक्ट' में स्पीति क्षेत्र के किसानों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अधीन प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती से कम लागत में स्वास्थ्य और अधिक उत्पाद कैसे तैयार किया जाता है. इसके बारे में यहां के किसानों को सिखाया जा रहा है. इसी वजह से स्पीति में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है. यहां किसान पहले सब्जियां केवल अपने गुजारे के लिए उगाते थे, लेकिन अब रोजगार के तौर पर भी इन्हें उगाया जा रहा है. गौरतलब है कि प्राकृतिक सब्जियों की मांग काफी अधिक है .

बिचोलियों से बच रहे किसान

पहले किसान अपनी फसल आढ़तियों को बेचते थे. ऐसे में किसानों को सही दाम नहीं मिलता था, लेकिन अब 'अपनी मंडी' में सीधे तौर पर किसान अपनी फसल उपभोक्ताओं को बेच पा रहे हैं. ऐसे में किसानों को 'अपनी मंडी' से काफी लाभ हो रहा है.

'अपनी मंडी' में बेची चालीस हजार रूपये की सब्जियां

स्पीति क्षेत्र के लिदांग की रहने वाली यीशे डोलमा ने प्राकृतिक खेती के तहत उगाई हुई सब्जियों को लॉकडाउन के चलते भी अच्छे दामों पर बेच रही हैं. डोलमा अभी तक 'अपनी मंडी' में चालीस हजार रूपये की सब्जियां बेच चुकी हैं. उन्होंने कहा कि पहले भी मटर को छोड़ कर कई सब्जियां उगाती थीं, लेकिन केवल अपने खाने के लिए ये सब्जियां लगाई जाती थी, लेकिन इस बार कृषि विभाग ने व्यापक स्तर पर सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया था. वहीं, लॉकडाउन लगने पर फसल बिजाई की चिंता हो रही थी. इस पर विभाग ने सब्जियों की पनीरी मुहैया करवाई. जीवामृत का इस्तेमाल करके सारी सब्जियों को उगाया गया है.

यीशे डोलमा ने बताया कि लॉकडाउन लगने पर सभी ने डरा दिया था कि कई महीनों तक ये चलेगा. ऐसे में सब्जी की कमी होना लाजमी था. विभाग के अधिकारी स्टाफ हमारे पास आते रहे और हमें जागरूक करते रहे. इस बार हम सीधे बाजार में सब्जी बेच रहे हैं. मुझे अच्छे दाम 'अपनी मंडी' स्टॉल पर मिले. इसके लिए प्रशासन का आभार व्यक्त करती हूं. हर साल इसी तरह स्पीति के किसानों के 'अपनी मंडी' लगते रहने पर हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

क्या कहते है प्रगतिशील किसान

'अपनी मंडी' में अपनी सब्जियां बेच रहे ढंखर के दिलीप कुमार ने बताया कि 'अपनी मंडी' बहुत अच्छा मंच है. इससे किसानों को अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ किसानों को सब्जियां खराब होने का डर भी नहीं है. इसी तरह मंडी लगते रहने पर हम हर साल इसी तरह सब्जियां उगाते रहेंगे.

रंगरीक के रहने वाले किसान टाशी नामज्ञयाल ने कहा कि आज कल पर्यटन सीजन भी नहीं है, लेकिन फिर भी हमें उपभोक्ताओं को सीधे सब्जियों को बेचने पर अच्छे दाम मिल रहे हैं. कृषि विकास अधिकारी काजा सुभाष ने कहा कि सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के तहत किसानों को प्रशिक्षित किया गया है. फसल विविधिकरण के तहत यहां की परंपरागत फसलों को छोड़ कर अन्य सब्जियों को उगा रहे हैं. इसलिए किसानों को केवीके ताबो से पनीरी लाकर दी गई और इन्हें पहले ही तैयार फसल को बाजार में सही दामों पर बेचने का प्रयास करवाने का आश्वासन दिया गया. इसके बाद 'अपनी मंडी' स्थापित करके किसान अपनी सब्जियों की सीधे उपभोक्ताओं को बेच रहे है. हर साल इसी तरह 'अपनी मंडी' लगाई जाएगी.

एडीएम ज्ञान सागर नेगी ने बताया कि यहां पर सालों से प्राकृतिक खेती हो रही है, लेकिन प्राकृतिक खेती में भी बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है. इसके बारे में कृषि विभाग ने स्पीति के किसानों को प्रशिक्षित किया है. उन्होंने कहा कि आजकल लोग केमिकल से तैयार होने वाले सब्जियों, उत्पादों को प्राथमिकता नहीं देते हैं, बल्कि प्राकृतिक तौर पर तैयार होने वाले उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं. इसलिए 'अपनी मंडी' स्टाल लगाकर यहां के उत्पाद को सीधे मार्केट में बेचना बहुत अच्छा प्रयास है. इससे किसान बिचौलियों के चंगुल से बच पाएगा और सही दाम किसान को मिल सकेगा.

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