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इस गांव में बिजली व सड़क का अभाव, भारी बारिश में 5KM कंधे पर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है मरीज - Demand for road facilities

कुल्लू उपतहसील सैंज की रैला पंचायत के पाशी ,खड़गचा, थाटीधार, ठाकुराआगे ,कुन्दर, मझान कुटला, क्षेत्र के लोगों को आज दिन तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है. रैला पंचायत के पाशी गांव निवासियों ने कहा कि देश की आजादी के सात दशकों बाद भी हम गुलामी का जीवन जी रहे हैं. लोगों को खाने पीने का सामान भी पांच किलोमीटर तक पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

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Published : Sep 5, 2020, 9:05 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में आए छह दशक से अधिक का समय हो गया है, लेकिन यहां आज भी ऐसे क्षेत्र हैं, जो सरकारी तंत्र की पहुंच से बाहर हैं. जिला कुल्लू उपतहसील सैंज की रैला पंचायत के पाशी, खड़गचा, थाटीधार, ठाकुराआगे ,कुन्दर, मझान कुटला, क्षेत्र के लोगों को आज दिन तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है.

हालात यह है कि इन लोगों को उप तहसील कार्यालय तक पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर सफर पैदल तय करना पड़ता है. इतना ही नहीं पंचायत के पाशी, खड़गचा ,ठाकुरा आगे, कुटला, मझारणा, मझान जैसे अति दुर्गम गांवों में लोगों को अभी तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाई हैं.

वीडियो.

हिमाचल सरकार की इस लापरवाही के कारण शुक्रवार को रैला पंचायत के खड़गचा गांव के 32 वर्षीय युवक यशवंत का घर की पौड़ियों से फिसलकर पैर टूट गया. गांव में न तो किसी तरह का अस्पताल है और न ही यातायात के लिए सड़क. वहीं, मूसलाधार बारिश होने से लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया. मरीज यशवंत की बिगड़ती हालत को देख कर लोगों ने हौसला करते हुए भारी बारिश के बीच युवक को चारपाई पर उठाकर करीब पांच किलोमीटर के खतरनाक रास्ते पर सफर किया.

रैला पंचायत के पाशी गांव निवासियों ने कहा कि देश की आजादी के सात दशकों बाद भी हम गुलामी का जीवन जी रहे हैं. लोगों को खाने पीने का सामान भी पांच किलोमीटर तक पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

वहीं, असुविधा का दंश झेल रहे पाशी खड़गचा के लोगों को स्वास्थ्य के नाम पर भी कुछ हासिल नहीं है. गांवों में कोई बीमार हो जाए या गर्भवती महिला हो तो, गांववासियों को इकठ्ठा हो करके कुर्सी या चारपाई पर उठाकर पांच किलोमीटर दूर तक सफर करना पड़ता है.

इतना ही नहीं संकरे रास्ते से गुजरना खतरे से खाली नहीं है. जिस कारण लोगों को घर से सड़क तक पहुंचने में ही तीन घंटे लगते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि सरकार की 102 या 108 एंबुलेंस सेवा की जानकारी बेशक उन्हें है, लेकिन सड़क न होने से वह इसका लाभ भी नहीं ले सकते.

स्थानिय निवासी केशव राम का कहना है कि पंचायत के कुंदर मझान गांव में न तो बिजली है और न ही सड़क सुविधा है. जिसे लेकर वर्षों से सरकार के समक्ष मांग उठाई जा रही है. ग्रामीणों ने मांग की है कि रैला पंचायत के दुर्गम गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए ताकि यहां के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सके.

पढ़ें: वायरल वीडियो: CCTV में कैद हुई एक्सीडेंट की घटना

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में आए छह दशक से अधिक का समय हो गया है, लेकिन यहां आज भी ऐसे क्षेत्र हैं, जो सरकारी तंत्र की पहुंच से बाहर हैं. जिला कुल्लू उपतहसील सैंज की रैला पंचायत के पाशी, खड़गचा, थाटीधार, ठाकुराआगे ,कुन्दर, मझान कुटला, क्षेत्र के लोगों को आज दिन तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है.

हालात यह है कि इन लोगों को उप तहसील कार्यालय तक पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर सफर पैदल तय करना पड़ता है. इतना ही नहीं पंचायत के पाशी, खड़गचा ,ठाकुरा आगे, कुटला, मझारणा, मझान जैसे अति दुर्गम गांवों में लोगों को अभी तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाई हैं.

वीडियो.

हिमाचल सरकार की इस लापरवाही के कारण शुक्रवार को रैला पंचायत के खड़गचा गांव के 32 वर्षीय युवक यशवंत का घर की पौड़ियों से फिसलकर पैर टूट गया. गांव में न तो किसी तरह का अस्पताल है और न ही यातायात के लिए सड़क. वहीं, मूसलाधार बारिश होने से लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया. मरीज यशवंत की बिगड़ती हालत को देख कर लोगों ने हौसला करते हुए भारी बारिश के बीच युवक को चारपाई पर उठाकर करीब पांच किलोमीटर के खतरनाक रास्ते पर सफर किया.

रैला पंचायत के पाशी गांव निवासियों ने कहा कि देश की आजादी के सात दशकों बाद भी हम गुलामी का जीवन जी रहे हैं. लोगों को खाने पीने का सामान भी पांच किलोमीटर तक पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

वहीं, असुविधा का दंश झेल रहे पाशी खड़गचा के लोगों को स्वास्थ्य के नाम पर भी कुछ हासिल नहीं है. गांवों में कोई बीमार हो जाए या गर्भवती महिला हो तो, गांववासियों को इकठ्ठा हो करके कुर्सी या चारपाई पर उठाकर पांच किलोमीटर दूर तक सफर करना पड़ता है.

इतना ही नहीं संकरे रास्ते से गुजरना खतरे से खाली नहीं है. जिस कारण लोगों को घर से सड़क तक पहुंचने में ही तीन घंटे लगते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि सरकार की 102 या 108 एंबुलेंस सेवा की जानकारी बेशक उन्हें है, लेकिन सड़क न होने से वह इसका लाभ भी नहीं ले सकते.

स्थानिय निवासी केशव राम का कहना है कि पंचायत के कुंदर मझान गांव में न तो बिजली है और न ही सड़क सुविधा है. जिसे लेकर वर्षों से सरकार के समक्ष मांग उठाई जा रही है. ग्रामीणों ने मांग की है कि रैला पंचायत के दुर्गम गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए ताकि यहां के लोगों को भी सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सके.

पढ़ें: वायरल वीडियो: CCTV में कैद हुई एक्सीडेंट की घटना

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