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अटल टनल बनने के बाद रोहतांग की जगह बारालाचा और शिंकुला दर्रा बना सैलानियों की पसंद - बारालाचा दर्रे

मनाली घूमने आ रहे पर्यटक अब अटल टनल होते हुए शीत मरुस्थल से आगे निकलकर कुछ ही घंटों में इन दर्रों में पहुंच सकते हैं और बर्फ का दीदार कर सकते हैं. सीमा सड़क संगठन ने मनाली-लेह मार्ग भी मार्च में बहाल कर रिकॉर्ड बनाया है. कुछ ही दिनों में सैलानी मनाली-लेह मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा सकेंगे.

baralacha lahaul
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Published : Apr 4, 2021, 12:08 PM IST

कुल्लू: कुल्लू-मनाली घूमने आ रहे सैलानियों को बर्फ के दीदार करने को अब रोहतांग पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. अटल टनल रोहतांग ने 15 हजार फीट से अधिक ऊंचे बारालाचा और शिकुला दर्रे पर्यटकों की पहुंच में ला दिए हैं. मनाली घूमने आ रहे पर्यटक अब अटल टनल होते हुए शीत मरुस्थल के दीदार कर कुछ ही घंटों में इन दर्रों में पहुंच सकते हैं और बर्फ का मजा उठा सकते हैं.

जल्द सैलानी मनाली-लेह मार्ग पर कर पाएंगे सफर

सैलानियों को दोनों दर्रे नए पर्यटन स्थल के रूप में मिले हैं. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मनाली-लेह मार्ग भी मार्च में बहाल कर रिकॉर्ड बनाया है. कुछ ही दिनों में सैलानी मनाली-लेह मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा सकेंगे. मनाली से 101 किलोमीटर दूर लेह मार्ग के दारचा तक दोनों दर्रो का रास्ता एक ही है. दारचा से जांस्कर और पदुम मार्ग पर 40 किलोमीटर दूर शिकुला दर्रा है. साढे़ 15 हजार फीट ऊंचा यह दर्रा लेह लद्दाख को हिमाचल से जोड़ता है. सैलानी यहां गर्मी में बर्फ का आनंद ले सकते हैं. इस दर्रे के पार करते ही लद्दाख की जांस्कर घाटी शुरू हो जाती है. दारचा से 45 किलोमीटर दूर लेह मार्ग पर बारालाचा दर्रा पड़ता है. इस दर्रे की ऊंचाई भी 15 हजार से अधिक है.

लाहौल घाटी में पर्यटकों के लिए होम स्टे योजना

बारालाचा दर्रे के रास्ते में पटेसेउ, जिनजिग बार, भरतपुर सिटी जैसे पर्यटन स्थल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. गर्मी में पर्यटक रोहतांग दर्रे के साथ साथ बारालाचा में भी बर्फ का दीदार कर सकते हैं. रोहतांग दर्रे को निहारने के लिए परमिट की जरूरत है, जबकि बारालाचा और शिकुला दर्रे के लिए ऐसी कोई औपचारिकता नहीं है. मनाली से सुबह चलकर शाम को दोनों दर्रे निहार कर लौट सकते हैं. लाहौल के दारचा, जिस्पा, गेमुर, केलांग और सिस्सू में भी रहने की व्यवस्था है. प्रदेश सरकार ने लाहौल घाटी में चार सौ से अधिक घर होम स्टे योजना के तहत पंजीकृत किए हैं. सैलानी इन घरों में भी रह सकते हैं.

शिंकुला दर्रे का दीदार कर पाएंगे सैलानी

लाहौल स्पीति उपायुक्त पंकज राय ने बताया कि बीआरओ ने मनाली-लेह मार्ग बहाल कर दिया है. मार्ग पर वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो गई है. जल्द ही यह मार्ग सैलानियों के लिए भी बहाल कर दिया जाएगा. सैलानी बारालाचा दर्रे सहित शिंकुला दर्रे के दीदार कर सकेंगे. जिला प्रशासन सैलानियों के स्वागत की तैयारी में जुटा हुआ है. आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है.

पढ़ें: नगर निगम चुनाव: सोलन में जनता से बोले सीएम जयराम, बस एक बार मदद कर दीजिए

पढ़ें: अपनी ही सरकार पर निकला MLA अनिल का गुबार, सीएम साहब! काम किया होता तो गलियों की खाक न छानते आपके मंत्री

कुल्लू: कुल्लू-मनाली घूमने आ रहे सैलानियों को बर्फ के दीदार करने को अब रोहतांग पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. अटल टनल रोहतांग ने 15 हजार फीट से अधिक ऊंचे बारालाचा और शिकुला दर्रे पर्यटकों की पहुंच में ला दिए हैं. मनाली घूमने आ रहे पर्यटक अब अटल टनल होते हुए शीत मरुस्थल के दीदार कर कुछ ही घंटों में इन दर्रों में पहुंच सकते हैं और बर्फ का मजा उठा सकते हैं.

जल्द सैलानी मनाली-लेह मार्ग पर कर पाएंगे सफर

सैलानियों को दोनों दर्रे नए पर्यटन स्थल के रूप में मिले हैं. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मनाली-लेह मार्ग भी मार्च में बहाल कर रिकॉर्ड बनाया है. कुछ ही दिनों में सैलानी मनाली-लेह मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा सकेंगे. मनाली से 101 किलोमीटर दूर लेह मार्ग के दारचा तक दोनों दर्रो का रास्ता एक ही है. दारचा से जांस्कर और पदुम मार्ग पर 40 किलोमीटर दूर शिकुला दर्रा है. साढे़ 15 हजार फीट ऊंचा यह दर्रा लेह लद्दाख को हिमाचल से जोड़ता है. सैलानी यहां गर्मी में बर्फ का आनंद ले सकते हैं. इस दर्रे के पार करते ही लद्दाख की जांस्कर घाटी शुरू हो जाती है. दारचा से 45 किलोमीटर दूर लेह मार्ग पर बारालाचा दर्रा पड़ता है. इस दर्रे की ऊंचाई भी 15 हजार से अधिक है.

लाहौल घाटी में पर्यटकों के लिए होम स्टे योजना

बारालाचा दर्रे के रास्ते में पटेसेउ, जिनजिग बार, भरतपुर सिटी जैसे पर्यटन स्थल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. गर्मी में पर्यटक रोहतांग दर्रे के साथ साथ बारालाचा में भी बर्फ का दीदार कर सकते हैं. रोहतांग दर्रे को निहारने के लिए परमिट की जरूरत है, जबकि बारालाचा और शिकुला दर्रे के लिए ऐसी कोई औपचारिकता नहीं है. मनाली से सुबह चलकर शाम को दोनों दर्रे निहार कर लौट सकते हैं. लाहौल के दारचा, जिस्पा, गेमुर, केलांग और सिस्सू में भी रहने की व्यवस्था है. प्रदेश सरकार ने लाहौल घाटी में चार सौ से अधिक घर होम स्टे योजना के तहत पंजीकृत किए हैं. सैलानी इन घरों में भी रह सकते हैं.

शिंकुला दर्रे का दीदार कर पाएंगे सैलानी

लाहौल स्पीति उपायुक्त पंकज राय ने बताया कि बीआरओ ने मनाली-लेह मार्ग बहाल कर दिया है. मार्ग पर वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो गई है. जल्द ही यह मार्ग सैलानियों के लिए भी बहाल कर दिया जाएगा. सैलानी बारालाचा दर्रे सहित शिंकुला दर्रे के दीदार कर सकेंगे. जिला प्रशासन सैलानियों के स्वागत की तैयारी में जुटा हुआ है. आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है.

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