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हिमाचल के मड हाउस की खासियत जान हो जाएंगे हैरान, माइनस 40°C में भी घर रहता है गर्म, इन वजहों से बना पर्यटकों की पसंद - हिमाचल प्रदेश में मड हाउस निर्माण

Lahaul Spiti Mud House Hostel Specialty: हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में मड हाउस का चलन काफी पुराना है. वहीं, अब काजा में छात्राओं के लिए पहला मड हाउस छात्रावास बनाया जाएगा. 1 करोड़ 86 लाख रुपए की लागत से यह मड हाउस होस्टल तैयार होगा. इस मड हाउस की खासियत है कि स्पीति घाटी में माइनस तापमान होने पर भी इसके कमरे अंदर से गर्म रहेगा. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 5:09 PM IST

Updated : Nov 23, 2023, 5:14 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के काजा में प्रदेश का पहला मड हाउस छात्रावास बनाया जाएगा. 1 करोड़ 86 लाख रुपए की लागत से इसका निर्माण किया जाएगा. इस मड हाउस छात्रावास में 12 कमरे तैयार किए जाएंगे. इस मड हाउस में स्पीति घाटी की विभिन्न इलाकों से आने वाली छात्राओं को रहने की सुविधा मिलेगी. वहीं मड हाउस के बनने से छात्राओं को माइनस तापमान में नहीं ठिठुरना होगा. लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने इसका शिलान्यास किया है. जल्द ही इसका निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा और यहां पर छात्राओं के रहने की व्यवस्था की जाएगी.

mud house hostel
मड हाउस छात्रावास का किया जाएगा निर्माण

माइनस तापमान में भी मड हाउस रहता अंदर से गर्म: लाहौल स्पीति की स्पीति घाटी सर्दियों में काफी ठंडी हो जाती है और यहां पर तापमान माइनस 40 डिग्री से नीचे चला जाता है. ऐसे में यहां पर पीने के पानी की दिक्कत उठानी पड़ती है. वही यहां पर रोजमर्रा का जीवन भी काफी मुश्किलों भरा हो जाता है. लाहौल स्पीति के स्पीति में सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या काफी कम है. ऐसे में दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए काजा आना पड़ता है. यहां पर छात्राओं को किराए के कमरों में रहकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है. ऐसे में अब छात्राओं के लिए एक मड हाउस का निर्माण किया जा रहा है. ताकि वहां पर रहकर छात्राएं अपनी शिक्षा को पूरा कर सके.

mud house hostel
माइनस तापमान में भी मड हाउस अंदर से रहता है गर्म

भूकंप-प्राकृतिक आपदा में भी मड हाउस रहता अडिग: हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला में बरसात राज्य के अन्य जिला से काफी कम होती है. ऐसे में यहां पर पारंपरिक तकनीक से बनाए गए यह मिट्टी के घर काफी मजबूत होते हैं. मिट्टी से बने यह घर भूकंप या प्राकृतिक आपदा में भी इतनी जल्दी जमीन से अपना साथ नहीं छोड़ते हैं. वही इन घरों को बनाने में काफी कम लागत भी लगती है. आधुनिक घर के विपरीत इनके निर्माण में पत्थर व सीमेंट का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है. स्पीति घाटी में आज भी कई घर, बौद्ध मंदिर, गेस्ट हाउस व होमस्टे मिट्टी से ही बनाए जाते हैं. मिट्टी से बने इन भवनों को अधिक नुकसान भी नहीं होता है. घाटी में मिट्टी के मकान बनाने की पुरानी शैली तिब्बत से जुड़ी हुई है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ अब सैलानी भी इन घरों में रहना काफी पसंद कर रहे हैं.

मिट्टी और लकड़ी के गठजोड़ से निर्माण: स्पीति घाटी में मिट्टी का घर बनाने के लिए मिट्टी व लकड़ी का गठजोड़ किया जाता है. मिट्टी में जो का भूसा मिलकर ब्लॉक बनाए जाते हैं, जिससे दीवार तैयार की जाती है. दीवारों में मिट्टी का लेप किया जाता है और इन घरों में लकड़ी और मिट्टी से छत तैयार की जाती है. बर्फबारी के दिनों में जब अधिक बर्फ गिर जाती है तो ग्रामीण इन घरों की छत से बर्फ को भी हटाते रहते हैं. ताकि बर्फ के भार के चलते मकान को किसी प्रकार का नुकसान ना हो सके.

mud house hostel
1000 साल पुराना ताबो मठ और 700 साल पुराना कीह बौद्ध मठ

मिट्टी से बना 1000 साल पुराना ताबो मठ: स्पीति घाटी की अगर बात करें तो यहां पर 1000 साल पुराना ताबो मठ और 700 साल पुराना कीह बौद्ध मठ आज भी स्थिर है. यह दोनों बौद्ध मठ पर पूरी तरह से मिट्टी के बने हुए हैं और दोनों ही धार्मिक स्थल पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. पर्यटक यहां पर दोनों धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए आते हैं और मिट्टी के बनाए गए इन बड़े भवनों को देखकर वह काफी रोमांचित भी होते हैं. इन दोनों बौद्ध मठ पूरी तरह से मिट्टी के बने हुए है और कई आपदा झेलने के बाद भी वह स्थिर बने हुए हैं.

स्पीति घाटी में मड हाउस का चलन: स्पीति घाटी में मड हाउस बनाने का चलन कई दशकों पुराना है. वहीं, अब इन मड हाउस को सैलानियों के लिए भी तैयार किया जा रहा है. सर्दियों में यह इलाका बर्फबारी और माइनस तापमान के चलते सुनसान हो जाता है, लेकिन गर्मियों के दौरान स्पीति घाटी के दर्शन के लिए बाहरी राज्यों से सैलानी काफी संख्या में यहां पहुंचते हैं और मिट्टी के बने घरों में रहना पसंद करते हैं. इससे यहां के लोगों की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है और लोगों को मिट्टी के घरों के माध्यम से घर द्वार पर रोजगार भी मिल रहा है.

सांस्कृतिक पर्यटन को मिलता है बढ़ावा: स्पीति के मड हाउस विशेषज्ञ रिगजिन का कहना है कि स्पीति घाटी में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां के लोग मिट्टी के घरों को प्राथमिकता दे रहे हैं. इनके निर्माण में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. स्पीति घाटी में मिलने वाली तीन किस्म की मिट्टी में जौ का भूसा मिलकर ब्लॉक बनाए जाते हैं और घर की छत भी मिट्टी व लकड़ी से तैयार की जाती है.

कम लागत और बिना सीमेंट और स्टील के निर्माण: वही लाहौल स्पीति के वास्तुकार अजीत शर्मा का कहना है की मिट्टी के घर को बनाने में काफी कम लागत लगती है और इसमें सीमेंट और स्टील का प्रयोग नहीं किया जाता है. मिट्टी की दीवारें इंसुलेटेड होती है जो घर के अंदर थर्मल आराम प्रदान करती है. गर्मियों में अंदर का तापमान काफी कम होता है, जबकि सर्दियों में मिट्टी की दीवारें अपनी गर्मी से कमरे को गर्म रखती है. स्पीति घाटी में आज भी लोग इसी तकनीक के भवन के डिजाइन की मांग कर रहे हैं और यहां पर घर, होम स्टे, होटल भी मिट्टी के ही बनाए जा रहे हैं.

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स्पीति घाटी में मड हाउस बनाने का चलन कई दशकों पुराना

काजा में 1.86 करोड़ से बनेगा मड हाउस छात्रावास: वही, लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने बताया की काजा में एक करोड़ 86 लाख की लागत से मड हाउस छात्रावास का शिलान्यास किया गया है. यह छात्रावास पहले से बने छात्रावास के साथ ही बनेगा. उन्होंने बताया कि स्पीति घाटी में इस छात्रावास की लंबे समय से मांग उठाई जा रही थी. इस छात्रावास में 12 कमरे बनेंगे जो पूरी तरह से मिट्टी के होंगे. मिट्टी के होने के चलते यहां पर सर्दियों में ठंड का एहसास नहीं होगा और डेढ़ साल के भीतर इस छात्रावास को तैयार कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: Himachal Weather: हिमाचल में इस दिन से बिगड़ेगा मौसम का मिजाज, शुरू होगा बारिश-बर्फबारी का दौर

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के काजा में प्रदेश का पहला मड हाउस छात्रावास बनाया जाएगा. 1 करोड़ 86 लाख रुपए की लागत से इसका निर्माण किया जाएगा. इस मड हाउस छात्रावास में 12 कमरे तैयार किए जाएंगे. इस मड हाउस में स्पीति घाटी की विभिन्न इलाकों से आने वाली छात्राओं को रहने की सुविधा मिलेगी. वहीं मड हाउस के बनने से छात्राओं को माइनस तापमान में नहीं ठिठुरना होगा. लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने इसका शिलान्यास किया है. जल्द ही इसका निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा और यहां पर छात्राओं के रहने की व्यवस्था की जाएगी.

mud house hostel
मड हाउस छात्रावास का किया जाएगा निर्माण

माइनस तापमान में भी मड हाउस रहता अंदर से गर्म: लाहौल स्पीति की स्पीति घाटी सर्दियों में काफी ठंडी हो जाती है और यहां पर तापमान माइनस 40 डिग्री से नीचे चला जाता है. ऐसे में यहां पर पीने के पानी की दिक्कत उठानी पड़ती है. वही यहां पर रोजमर्रा का जीवन भी काफी मुश्किलों भरा हो जाता है. लाहौल स्पीति के स्पीति में सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की संख्या काफी कम है. ऐसे में दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए काजा आना पड़ता है. यहां पर छात्राओं को किराए के कमरों में रहकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है. ऐसे में अब छात्राओं के लिए एक मड हाउस का निर्माण किया जा रहा है. ताकि वहां पर रहकर छात्राएं अपनी शिक्षा को पूरा कर सके.

mud house hostel
माइनस तापमान में भी मड हाउस अंदर से रहता है गर्म

भूकंप-प्राकृतिक आपदा में भी मड हाउस रहता अडिग: हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला में बरसात राज्य के अन्य जिला से काफी कम होती है. ऐसे में यहां पर पारंपरिक तकनीक से बनाए गए यह मिट्टी के घर काफी मजबूत होते हैं. मिट्टी से बने यह घर भूकंप या प्राकृतिक आपदा में भी इतनी जल्दी जमीन से अपना साथ नहीं छोड़ते हैं. वही इन घरों को बनाने में काफी कम लागत भी लगती है. आधुनिक घर के विपरीत इनके निर्माण में पत्थर व सीमेंट का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होता है. स्पीति घाटी में आज भी कई घर, बौद्ध मंदिर, गेस्ट हाउस व होमस्टे मिट्टी से ही बनाए जाते हैं. मिट्टी से बने इन भवनों को अधिक नुकसान भी नहीं होता है. घाटी में मिट्टी के मकान बनाने की पुरानी शैली तिब्बत से जुड़ी हुई है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ अब सैलानी भी इन घरों में रहना काफी पसंद कर रहे हैं.

मिट्टी और लकड़ी के गठजोड़ से निर्माण: स्पीति घाटी में मिट्टी का घर बनाने के लिए मिट्टी व लकड़ी का गठजोड़ किया जाता है. मिट्टी में जो का भूसा मिलकर ब्लॉक बनाए जाते हैं, जिससे दीवार तैयार की जाती है. दीवारों में मिट्टी का लेप किया जाता है और इन घरों में लकड़ी और मिट्टी से छत तैयार की जाती है. बर्फबारी के दिनों में जब अधिक बर्फ गिर जाती है तो ग्रामीण इन घरों की छत से बर्फ को भी हटाते रहते हैं. ताकि बर्फ के भार के चलते मकान को किसी प्रकार का नुकसान ना हो सके.

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1000 साल पुराना ताबो मठ और 700 साल पुराना कीह बौद्ध मठ

मिट्टी से बना 1000 साल पुराना ताबो मठ: स्पीति घाटी की अगर बात करें तो यहां पर 1000 साल पुराना ताबो मठ और 700 साल पुराना कीह बौद्ध मठ आज भी स्थिर है. यह दोनों बौद्ध मठ पर पूरी तरह से मिट्टी के बने हुए हैं और दोनों ही धार्मिक स्थल पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. पर्यटक यहां पर दोनों धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए आते हैं और मिट्टी के बनाए गए इन बड़े भवनों को देखकर वह काफी रोमांचित भी होते हैं. इन दोनों बौद्ध मठ पूरी तरह से मिट्टी के बने हुए है और कई आपदा झेलने के बाद भी वह स्थिर बने हुए हैं.

स्पीति घाटी में मड हाउस का चलन: स्पीति घाटी में मड हाउस बनाने का चलन कई दशकों पुराना है. वहीं, अब इन मड हाउस को सैलानियों के लिए भी तैयार किया जा रहा है. सर्दियों में यह इलाका बर्फबारी और माइनस तापमान के चलते सुनसान हो जाता है, लेकिन गर्मियों के दौरान स्पीति घाटी के दर्शन के लिए बाहरी राज्यों से सैलानी काफी संख्या में यहां पहुंचते हैं और मिट्टी के बने घरों में रहना पसंद करते हैं. इससे यहां के लोगों की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है और लोगों को मिट्टी के घरों के माध्यम से घर द्वार पर रोजगार भी मिल रहा है.

सांस्कृतिक पर्यटन को मिलता है बढ़ावा: स्पीति के मड हाउस विशेषज्ञ रिगजिन का कहना है कि स्पीति घाटी में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां के लोग मिट्टी के घरों को प्राथमिकता दे रहे हैं. इनके निर्माण में सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. स्पीति घाटी में मिलने वाली तीन किस्म की मिट्टी में जौ का भूसा मिलकर ब्लॉक बनाए जाते हैं और घर की छत भी मिट्टी व लकड़ी से तैयार की जाती है.

कम लागत और बिना सीमेंट और स्टील के निर्माण: वही लाहौल स्पीति के वास्तुकार अजीत शर्मा का कहना है की मिट्टी के घर को बनाने में काफी कम लागत लगती है और इसमें सीमेंट और स्टील का प्रयोग नहीं किया जाता है. मिट्टी की दीवारें इंसुलेटेड होती है जो घर के अंदर थर्मल आराम प्रदान करती है. गर्मियों में अंदर का तापमान काफी कम होता है, जबकि सर्दियों में मिट्टी की दीवारें अपनी गर्मी से कमरे को गर्म रखती है. स्पीति घाटी में आज भी लोग इसी तकनीक के भवन के डिजाइन की मांग कर रहे हैं और यहां पर घर, होम स्टे, होटल भी मिट्टी के ही बनाए जा रहे हैं.

mud house hostel
स्पीति घाटी में मड हाउस बनाने का चलन कई दशकों पुराना

काजा में 1.86 करोड़ से बनेगा मड हाउस छात्रावास: वही, लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने बताया की काजा में एक करोड़ 86 लाख की लागत से मड हाउस छात्रावास का शिलान्यास किया गया है. यह छात्रावास पहले से बने छात्रावास के साथ ही बनेगा. उन्होंने बताया कि स्पीति घाटी में इस छात्रावास की लंबे समय से मांग उठाई जा रही थी. इस छात्रावास में 12 कमरे बनेंगे जो पूरी तरह से मिट्टी के होंगे. मिट्टी के होने के चलते यहां पर सर्दियों में ठंड का एहसास नहीं होगा और डेढ़ साल के भीतर इस छात्रावास को तैयार कर लिया जाएगा.

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Last Updated : Nov 23, 2023, 5:14 PM IST
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