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SPECIAL: यहां अपने पति संग विराजमान हैं भगवान राम की बड़ी बहन शांता - राम मंदिर भूमि पूजन

भगवान राम का संबंध हिमाचल से भी है. इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक राजा दशरथ ने अंग देश के राजा रोम पद को अपनी बेटी शांता गोद दी थी. जिनका विवाह श्रृंग ऋषि के साथ हुआ है. कुल्लू जिला में माता शांता और श्रृंग ऋषि का एक मंदिर है. जिससे कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हैं.

special story on  Lord Ram's elder sister Shanta
भगवान राम की बड़ी बहन शांता
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Published : Aug 5, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Aug 5, 2020, 6:39 PM IST

कुल्लू: अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर पूरे देश में उत्सव का माहौल है. ऐसा लग रहा है मानों पूरा भारत ही राम मय हो गया हो, देवभूमि हिमाचल में राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर खूशी का माहौल है क्योंकि भगवान राम का संबंध हिमाचल से भी है.

पूरी दुनिया को भगवान राम और उनके तीन भाइयों के बारे में पता है, लेकिन भगवान राम की एक बड़ी बहन भी थी, जिनका नाम शांता था. बहुत कम लोग ही इनके बारे में जानते हैं. भगवान राम की बहन शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ हुआ था.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक राजा दशरथ ने अंग देश के राजा रोम पद को अपनी बेटी शांता गोद दी थी. मान्यताओं के अनुसार कौशल्या और राजा रोम पद की पत्नी दोनों आपस में बहनें थी. दोनों बहनों ने यह निर्णय लिया था कि जिसकी भी जो पहली संतान होगी उसे वह दूसरे को सौंप देंगे.

वीडियो रिपोर्ट.

मान्यता है कि शादी के बाद श्रृंग ऋषि अपनी पत्नी शांता को लेकर बागा गांव आ गए थे. जहां पर ग्रामीणों के द्वारा इनकी आज भी भव्य तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है. ये बागा गांव जिला कुल्लू की चेहनी कोठी पंचायत में है. जहां आज भी शांता देवी का मंदिर स्थापित है. यहा के ग्रामीणों के द्वारा इनके पति श्रृंगी ऋषि और माता शांता को अपना आराध्य देव मानते हैं.

श्रृंगी ऋषि और माता शांता की पूरे इलाके में काफी मान्यता है. कहा जाता है कि माता शांता कि मूर्ति त्रेतायुग में स्थापित की गई थी. मंदिर के पौराणिक महत्व को देखते हुए दूर-दूर से श्रद्धालु माथा टेकने के लिए यहां पहुंचते हैं.

वहीं, श्रृंगी ऋषि कभी भी यात्रा पर निकलते हैं तो छड़ी रूप में माता शांता भी उनके साथ हर यात्रा पर जाती हैं. कहा जाता है कि बिना माता शांता के श्रृंगा ऋषि कहीं भी यात्रा नहीं करते और ग्रामीण आज भी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.

कुल्लू में मौजूद माता शांता और श्रृंगी ऋषि का यह मंदिर वाकई में अद्भुत है. कहा जाता है कि राजा दशरथ हिमाचल के कुल्लू से ही श्रृंगा ऋषि को पुत्रकामेष्टि यज्ञ के लिए ले गए थे. मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं इस बात को सिद्ध करती है कि भगवान राम की कथाएं अनंत हैं. शायद इसी लिए गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में इस बात को कहा होगा कि नाना भांति राम अवतारा, रामायण सत कोटि अपारा.

ये भी पढ़ें: बस किराए में कटौती का नहीं कोई प्रस्ताव, मजबूरी में लिया गया है फैसला: बिक्रम ठाकुर

कुल्लू: अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर पूरे देश में उत्सव का माहौल है. ऐसा लग रहा है मानों पूरा भारत ही राम मय हो गया हो, देवभूमि हिमाचल में राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर खूशी का माहौल है क्योंकि भगवान राम का संबंध हिमाचल से भी है.

पूरी दुनिया को भगवान राम और उनके तीन भाइयों के बारे में पता है, लेकिन भगवान राम की एक बड़ी बहन भी थी, जिनका नाम शांता था. बहुत कम लोग ही इनके बारे में जानते हैं. भगवान राम की बहन शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ हुआ था.

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक राजा दशरथ ने अंग देश के राजा रोम पद को अपनी बेटी शांता गोद दी थी. मान्यताओं के अनुसार कौशल्या और राजा रोम पद की पत्नी दोनों आपस में बहनें थी. दोनों बहनों ने यह निर्णय लिया था कि जिसकी भी जो पहली संतान होगी उसे वह दूसरे को सौंप देंगे.

वीडियो रिपोर्ट.

मान्यता है कि शादी के बाद श्रृंग ऋषि अपनी पत्नी शांता को लेकर बागा गांव आ गए थे. जहां पर ग्रामीणों के द्वारा इनकी आज भी भव्य तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है. ये बागा गांव जिला कुल्लू की चेहनी कोठी पंचायत में है. जहां आज भी शांता देवी का मंदिर स्थापित है. यहा के ग्रामीणों के द्वारा इनके पति श्रृंगी ऋषि और माता शांता को अपना आराध्य देव मानते हैं.

श्रृंगी ऋषि और माता शांता की पूरे इलाके में काफी मान्यता है. कहा जाता है कि माता शांता कि मूर्ति त्रेतायुग में स्थापित की गई थी. मंदिर के पौराणिक महत्व को देखते हुए दूर-दूर से श्रद्धालु माथा टेकने के लिए यहां पहुंचते हैं.

वहीं, श्रृंगी ऋषि कभी भी यात्रा पर निकलते हैं तो छड़ी रूप में माता शांता भी उनके साथ हर यात्रा पर जाती हैं. कहा जाता है कि बिना माता शांता के श्रृंगा ऋषि कहीं भी यात्रा नहीं करते और ग्रामीण आज भी इस परंपरा का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.

कुल्लू में मौजूद माता शांता और श्रृंगी ऋषि का यह मंदिर वाकई में अद्भुत है. कहा जाता है कि राजा दशरथ हिमाचल के कुल्लू से ही श्रृंगा ऋषि को पुत्रकामेष्टि यज्ञ के लिए ले गए थे. मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं इस बात को सिद्ध करती है कि भगवान राम की कथाएं अनंत हैं. शायद इसी लिए गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में इस बात को कहा होगा कि नाना भांति राम अवतारा, रामायण सत कोटि अपारा.

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Last Updated : Aug 5, 2020, 6:39 PM IST
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