ETV Bharat / state

पर्यटन नगरी मनाली में सायर उत्सव की धूम, इष्टदेव की पूजा-अर्चना का है विशेष विधान - सायर उत्सव

प्रदेश भर में सायर उत्सव को बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है. मनाली में इस त्योहार के दिन नई फसलों की पूजा अर्चना भी की जाती है.

सायर उत्सव
author img

By

Published : Sep 17, 2019, 1:05 PM IST

मनाली: जिला भर में सायर उत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है. स्थानीय लोग इस त्योहार का बेसब्री से इतंजार करते हैं और इस दिन लोग घरों में तरह-तरह के पारम्परकि पकवान बनाते हैं और रात के समय अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना कर व्यंजनों को प्रसाद के रूप में मेहमानों को बांटते हैं.


जिला कुल्लू में सायर उत्सव को स्थानीया भाषा में 'शौयरी साजा' के नाम से भी जाना जाता है. घाटी में सदियों से चली आ रही प्राचीन परम्परा को आज भी बखूबी निभाया जा रहा है. पौराणिक मान्यता है इस दिन हिन्दू महीनों के अनुसार भाद्रपक्ष समाप्त होने के साथ ही अश्विन महीना आरम्भ हो जाता है.

वीडियो

ये भी पढ़ें- नदी की उफनती लहरों ने ली एक की जान, दोस्तों के सामने पानी में डूबा युवक


बता दें कि इस त्योहार के दिन नई फसलों की पूजा अर्चना भी की जाती है और मान्यता है कि इस दिन से घाटी में सर्दियां शुरू होती हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि घाटी में यह त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और घर के छोटे सदस्य अपने से बड़ों को ध्रुव देकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.

मनाली: जिला भर में सायर उत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है. स्थानीय लोग इस त्योहार का बेसब्री से इतंजार करते हैं और इस दिन लोग घरों में तरह-तरह के पारम्परकि पकवान बनाते हैं और रात के समय अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना कर व्यंजनों को प्रसाद के रूप में मेहमानों को बांटते हैं.


जिला कुल्लू में सायर उत्सव को स्थानीया भाषा में 'शौयरी साजा' के नाम से भी जाना जाता है. घाटी में सदियों से चली आ रही प्राचीन परम्परा को आज भी बखूबी निभाया जा रहा है. पौराणिक मान्यता है इस दिन हिन्दू महीनों के अनुसार भाद्रपक्ष समाप्त होने के साथ ही अश्विन महीना आरम्भ हो जाता है.

वीडियो

ये भी पढ़ें- नदी की उफनती लहरों ने ली एक की जान, दोस्तों के सामने पानी में डूबा युवक


बता दें कि इस त्योहार के दिन नई फसलों की पूजा अर्चना भी की जाती है और मान्यता है कि इस दिन से घाटी में सर्दियां शुरू होती हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि घाटी में यह त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और घर के छोटे सदस्य अपने से बड़ों को ध्रुव देकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.

Intro:लोकेशन मनाली

पर्यटन नगरी मनाली में सायर उत्सव की धूम।
प्राचीन त्योंहारों में से एक है सायर उत्सव ।
अपने से बडों को ध्रुव देकर लिया जाता है आर्शिवाद।Body:एंकर :-हिमाचल प्रदेश जिसे अपनी संस्कृति और रिति रिवाजों के लिए जाना जाता है ।आज आधुनिकता के इस युग में जंहा हम अपने पुराने और रिति रिवाजों और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं वहीं हिमाचल प्रदेश के पर्यटन नगरी मनाली और जिला कुल्लू में आज भी हमें प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं। इसी प्राचीन संस्कृति में से एक है यंहा पर आज के दिन मनाया जाने वाला सायर उत्सव जिसे स्थानिया भाषा में शौयरी साजा के नाम से भी जाना जाता है । घाटी में सदियों से चली आ रही प्राचीन परम्परा को आज भी बखूबी निभाया जाता है । स्थानिय लोग इस त्यौहार का बेसब्री से इतंजार करते है और इस त्यौहार के एक दिन पहले घरों में तरह तरह के पारम्परकि पकवान भी बनाये जाते हैं। और रात के समय अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करते हैं तथा घर में पकाये हुए व्यंजनों कों प्रसाद के रूप में मेहमानों को बांटा जाता है ।

पौराणिक मान्यता है आज के दिन हिन्दु महीनों के अनुसार भाद्रपक्ष जिसे काले महीने के नाम से भी जाना जाता है उसका समापन्न होता है और अश्विन महीना आरम्भ होता है। बता दें कि भाद्रपक्ष जिसे घाटी में काले महीने के नाम से भी जाना जाता है इस महीने में कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता है और नई नवेली दुल्हनें भी इस महीने अपने मायके में ही रहती हैं और अश्विन महीने के आरम्भ होते ही वापिस अपने ससुराल आती हैं । आज से आरम्भ हुए अश्विन महीने में सभी तरह के धार्मिक कार्यों को भी आरम्भ किया जाता है और घरों में लोकल व्यंजनों को तैयार किया जाता है जिसकी खुशबु से पुरी घाटी महक उठती है साथ ही नई फसलों की पुजा अर्चना भी की जाती है और माना जाता है कि आज से अब घाटी में सर्दियां शुरू होती है । इस दिन को घाटी वासी त्यौहार के रूप में मानते हैं घर की महिलायें एवं पुरूष इस दिन अपने सभी व्यस्त कार्यो को छोड कर अपने मायके ,ससुराल और नाते रिशतेदारों के घर जाकर अपने से बडों को ध्रुव देते हैं जिसे स्थानिय भाषा में जूब भी कहा जाता है देते है और उनका आर्शिवाद लेते हैं तथा उनका हाल चाल जानते हैं। त्यौहार के बारे में जानकारी देते हुए स्थानिय लोगों ने कहा कि घाटी में यह त्यौहार बडी धूम धाम से मनाया जाता है इस दिन घरों में तरह तरह के पकवान बनाते है और घर के छोटे सदस्य अपने से बडों को ध्रुव देकर उनका आर्शिवाद लेते हैं । उन्होने बताया की आज के दिन घर की महिलाये अपने ससुराल और मायके में जाकर भी अपने माता पिता से मिलती है और उनका आशिर्वाद लेती है।

बाइट:- इन्द्र सिंह ठाकुर ,स्थानिय निवासी ।

बाइट:- रेशमा ठाकुर , स्थानिय निवासी

रिपोर्ट :- सचिन शर्मा ,मनाली

9418711004 , 8988288885Conclusion:आज के इस आधुनिकता के समय में भी जिला कुल्लू में इस तरह की प्राचीन संसकृति देखने को मिलती है जिसे देख कर मन खुशी से झृम उठता है।शायद यही वह कारण जिसके चलते देवभूमि हिमाचल और जिला कुल्लू को आज भी अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए जाना जाता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.