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कसोल मणिकर्ण आने वाले बाहरी वाहनों पर लगेगा 'साडा विकास शुल्क', Dc ने जारी किए निर्देश - Sada development Fee

पर्यावरण की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण कसोल और मणिकर्ण जैसे क्षेत्रों में बढ़ते वाहनों व सैलानियों के दबाव के कारण पारिस्थितिकी को हो रहे नुकसान की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने का निर्णय लिया गया है. साडा की बैठक में समस्त सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों से क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सृजन के लिए 'साडा विकास शुल्क' लगाया जाएगा.

Kullu dc meeting
कुल्लू डीसी की अध्यक्षता साडा की बैठक.
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Published : Jul 16, 2021, 8:48 PM IST

कुल्लू: जिले के विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों में इन दिनों पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है. जिले की खूबसूरत पार्वती घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों कसोल और मणिकर्ण में ढांचागत सुविधाओं के सृजन और इन क्षेत्रों के पर्यावरण व पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. इस संबंध में उपायुक्त आशुतोष गर्ग (DC Ashutosh Garg) की अध्यक्षता में साडा की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें विभिन्न मुद्दों पर बात हुई. पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों में बढ़ते वाहनों और सैलानियों के दबाव के कारण पारिस्थितिकी को नुकसान हो रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने का निर्णय लिया गया है.

आशुतोष गर्ग ने इस संबंध में बताया कि कसोल व मणिकर्ण क्षेत्रों में सैलानियों की सुविधा के लिए ढांचागत विकास और सृजन की जरूरत है. इसके लिए धनराशि का प्रावधान किया जाना जरूरी है. इसी के मद्देनजर साडा की बैठक में समस्त सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों से क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सृजन के लिए 'साडा विकास शुल्क' लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह शुल्क हिमाचल प्रदेश के वाहनों से नहीं वसूला जाएगा.

उपायुक्त ने कहा कि 'साडा विकास शुल्क' कितना होगा, इसका निर्धारण किया जा रहा है और कसोल से पहले किस स्थान पर शुल्क वसूली के लिए बैरियर स्थापित किया जाएगा, इसके लिए उपयुक्त स्थान का चयन जल्द कर लिया जाएगा. इन सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए साडा के अधिकारियों ने कार्य शुरू कर दिया है.

आशुतोष गर्ग ने कहा कि पार्वती घाटी के कसोल, मणिकर्ण और आस-पास के पर्यटन स्थलों पर हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. ये पर्यटक नदी-नालों के समीप खाद्य वस्तुओं के पैकेट हर कहीं पर फेंक देते हैं जिससे क्षेत्र के पर्यावरण को बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है. जगह-जगह पर कूड़ा-कचरा इकट्ठा होने के चलते क्षेत्र की सुंदरता में भी दाग लग रहा है. इस वजह से सैलानियों के अलावा स्थानीय लोगों को भी परेशानी हो रही है. स्थानीय लोगों को अब स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है. कसोल और मणिकर्ण में ठोस और तरल कचरे के उपयुक्त निष्पादन की मांग उठ रही है और इसके लिए धनराशि जुटाना जरूरी है.

डीसी ने कहा पार्वती घाटी के प्रमुख क्षेत्रों में कचरा निस्तारण संयंत्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा, सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाई जाएंगी. एक बेहतर प्रबंधन करके देश-विदेश के पर्यटकों के माध्यम से प्रदेश की अच्छी छवि बाहर जाए, इस प्रकार के ढांचे का विकास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सब कुछ तभी संभव होगा, जब बाहरी वाहनों पर एक उपयुक्त शुल्क लगाया जाए. शुल्क से जमा राशि से कसोल और मणिकर्ण का समग्र विकास किया जाएगा. इन क्षेत्रों के पर्यावरण के संरक्षण का कार्य किया जाएगा जो समय की मांग है.

उपायुक्त ने कहा साडा विकास शुल्क निर्धारण के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे. इस पर कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि साडा के पास नगरपालिका अधिनियम, 1994 के अंतर्गत क्षेत्र विशेष के विकास के लिए विकास शुल्क लगाने की शक्तियां निहित हैं और इसी के तहत साडा विकास शुल्क लगाने का फैसला लिया गया है.

ये भी पढ़ें: कैसे होगा कर्ज के मर्ज का इलाज, वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने पर और बिगड़ेगी हिमाचल की आर्थिक सेहत

कुल्लू: जिले के विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों में इन दिनों पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है. जिले की खूबसूरत पार्वती घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों कसोल और मणिकर्ण में ढांचागत सुविधाओं के सृजन और इन क्षेत्रों के पर्यावरण व पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. इस संबंध में उपायुक्त आशुतोष गर्ग (DC Ashutosh Garg) की अध्यक्षता में साडा की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें विभिन्न मुद्दों पर बात हुई. पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों में बढ़ते वाहनों और सैलानियों के दबाव के कारण पारिस्थितिकी को नुकसान हो रहा है. इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने का निर्णय लिया गया है.

आशुतोष गर्ग ने इस संबंध में बताया कि कसोल व मणिकर्ण क्षेत्रों में सैलानियों की सुविधा के लिए ढांचागत विकास और सृजन की जरूरत है. इसके लिए धनराशि का प्रावधान किया जाना जरूरी है. इसी के मद्देनजर साडा की बैठक में समस्त सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि बाहरी प्रदेशों से आने वाले वाहनों से क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के सृजन के लिए 'साडा विकास शुल्क' लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह शुल्क हिमाचल प्रदेश के वाहनों से नहीं वसूला जाएगा.

उपायुक्त ने कहा कि 'साडा विकास शुल्क' कितना होगा, इसका निर्धारण किया जा रहा है और कसोल से पहले किस स्थान पर शुल्क वसूली के लिए बैरियर स्थापित किया जाएगा, इसके लिए उपयुक्त स्थान का चयन जल्द कर लिया जाएगा. इन सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए साडा के अधिकारियों ने कार्य शुरू कर दिया है.

आशुतोष गर्ग ने कहा कि पार्वती घाटी के कसोल, मणिकर्ण और आस-पास के पर्यटन स्थलों पर हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. ये पर्यटक नदी-नालों के समीप खाद्य वस्तुओं के पैकेट हर कहीं पर फेंक देते हैं जिससे क्षेत्र के पर्यावरण को बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है. जगह-जगह पर कूड़ा-कचरा इकट्ठा होने के चलते क्षेत्र की सुंदरता में भी दाग लग रहा है. इस वजह से सैलानियों के अलावा स्थानीय लोगों को भी परेशानी हो रही है. स्थानीय लोगों को अब स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है. कसोल और मणिकर्ण में ठोस और तरल कचरे के उपयुक्त निष्पादन की मांग उठ रही है और इसके लिए धनराशि जुटाना जरूरी है.

डीसी ने कहा पार्वती घाटी के प्रमुख क्षेत्रों में कचरा निस्तारण संयंत्र स्थापित किए जाएंगे. इसके अलावा, सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाई जाएंगी. एक बेहतर प्रबंधन करके देश-विदेश के पर्यटकों के माध्यम से प्रदेश की अच्छी छवि बाहर जाए, इस प्रकार के ढांचे का विकास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सब कुछ तभी संभव होगा, जब बाहरी वाहनों पर एक उपयुक्त शुल्क लगाया जाए. शुल्क से जमा राशि से कसोल और मणिकर्ण का समग्र विकास किया जाएगा. इन क्षेत्रों के पर्यावरण के संरक्षण का कार्य किया जाएगा जो समय की मांग है.

उपायुक्त ने कहा साडा विकास शुल्क निर्धारण के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे. इस पर कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि साडा के पास नगरपालिका अधिनियम, 1994 के अंतर्गत क्षेत्र विशेष के विकास के लिए विकास शुल्क लगाने की शक्तियां निहित हैं और इसी के तहत साडा विकास शुल्क लगाने का फैसला लिया गया है.

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