कुल्लू: बर्फबारी के बाद देश दुनिया से कटी जनजातीय घाटी लाहौल में मंगलवार को लोगों ने सद्भावना की अनूठी मिसाल पेश की है. हिमखंड गिरने का खतरा होने के बावजूद लोगों ने एक बीमार बुजुर्ग को करीब 22 किमी का पैदल सफर तय कर केलांग अस्पताल पहुंचाया है. कठिनाइयों भरे रास्ते को तय करने में करीब 10 घंटे का समय लगा.
जानकारी के मुताबिक दो दिन पहले तिनो गांव के 86 वर्षीय बुजुर्ग लामा नवांग रिगजिन बर्फ हटाते समय घर के छत से गिर गए थे. इस घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी फ्रेक्चर हो गई थी. तिनो गांव केलांग से करीब 22 किमी दूर लेह के रास्ते में पड़ता है. जो फिलहाल सड़क संपर्क से पूरी तरह कटा हुआ है. इलाके में 4 से 5 फीट तक बर्फ पड़ी है.
मंगलवार को प्रशासन ने केलांग के आसपास रह रहे लोगों की एक टीम बुजुर्ग को रेस्क्यू के लिए तिनो गांव रवाना की. रेस्क्यू टीम में शामिल दोरजे सारंग, लमसा के सुनील ने बताया कि बर्फ और ग्लेशियर के बीच इतनी लंबी दूरी तय करना आसान नहीं था, लेकिन मामला किसी इंसान की जिंदगी को बचाने से जुड़ा होने कारण टीम ने हिम्मत नहीं हारी. टीम में तोद वैली के मेह, खंगसर, सारंग, किलद, रंगरिक, कोलंग, क्वारिंग और तिनो गांव के लोग शामिल रहे.
बड़ी बात यह है कि रेस्क्यू टीम के ये लोग पहले केलांग से तिनो गांव पहुंचे. मेह के कुंजनग अंगदुई ने बताया कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में गेमूर बोध मठ के भिक्षु भी शामिल हुए. टीम ने सुबह 8 बजे बीमार बुजुर्ग नवांग रिगजिन को स्ट्रेचर पर लिटा कर केलांग की तरफ कूच किया.
बुधवार को बुजुर्ग को हेलीकॉप्टर से कुल्लू के लिए लिफ्ट किया जाएगा. बताया जा रहा है कि बुजुर्ग के रीढ़ और जांघ की हड्डी टूटी है. केलांग अस्पताल लाने से पहले मरीज को मेडिकल उपचार के नाम पर महज पेन किलर दी जा रही थी. हादसे के चार दिन बाद आज एक्सरे किया गया है.
एसडीएम सुभाष गौतम ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह की सामुदायिक सद्भावना की मिसाल पूरे देश को संदेश देता है. गौतम ने बताया कि मरीज फिलहाल केलांग अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में है.