कुल्लू: सनातन धर्म में मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं. जिससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है. वहीं, पितरों के आशीर्वाद से जीवन में चल रहे पारिवारिक कलह दूर होते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में पितर यमलोक से धरती लोक पर आते हैं और अपने वंशजों को हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं. वही जिन्हें अपने पूर्वज की मौत का निर्धारित समय का पता ना हो तो वह पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर उनका आशीर्वाद ग्रहण कर सकते हैं.
पितृपक्ष में पूर्वजों के लिए किया जाता है तर्पण: सनातन धर्म के अनुसार पितृपक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के लिए कुशा, अक्षत, जौ और काले तिल का प्रयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से पूर्व में कर चुके गलतियों के लिए भी क्षमा मांगनी चाहिए. ताकि वे प्रसन्न हो और हमेशा खुश रहने का आशीर्वाद प्रदान करें.
तर्पण के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान: पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करते समय व्यक्ति को कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. श्राद्ध के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करके पितरों के चित्र पर पुष्प अर्पित करनी चाहिए. सबसे पहले पितृ देवताओं के लिए पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा और अक्षत से तर्पण किया जाना चाहिए. उसके बाद जो और कुशा लेकर ऋषियों के लिए तर्पण किया जाना चाहिए. फिर दक्षिण दिशा में अपना मुख करें और उसके बाद कुशा और जौ से तर्पण किया जाना चाहिए. अंत में दक्षिण दिशा में मुख करके कुशा, तिल और पुष्प अर्पण किया जाना चाहिए.
इन चीजों से श्राद्ध करने से पितर होते हैं खुश: पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय पूजन सामग्री में विशेष रूप से रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, शहद, काले तिल, तुलसी के पत्ते, जौ, हवन सामग्री, मिट्टी का दिया, अगरबत्ती, दही, कपास और गंगाजल खजूर इत्यादि चीजों को भी अवश्य शामिल करना चाहिए. पितृपक्ष में इन सामग्री के पूजन से पितृ प्रसन्न होते हैं.
कौवे और कुत्ते को भोजन करवाना चाहिए: आचार्य दीप कुमार का कहना है कि पितृपक्ष के दौरान घर मे हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और अच्छे से सभी श्राद्ध कर्म पूरे करने चाहिए. गरीब, अपंग व विधवा महिला को दान देना चाहिए. गीता के सातवें अध्याय का भी पाठ करना चाहिए. वही, इस दौरान मांस मदिरा से दूर रहना चाहिए और महिलाओं का सम्मान करना चाहिए. केसर या चंदन का तिलक लगाना चाहिए और पवित्र नदियों के तट पर जाकर भी पिंडदान करना चाहिए. पितृपक्ष में कुत्ते या फिर कौवे को भी भोजन करवाना चाहिए.