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पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता पर मंथन, जीबी पंत पर्यावरण संस्थान केंद्र में बैठक का आयोजन - पर्यटन उद्योग

जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं विकास संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में बैठक को आयोजन किया गया. बैठक में पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता के आकलन और स्थानीय पर्यावरण पर इनके प्रभाव के विषय पर चर्चा की गई.

पहाड़ी पर्यटन स्थलोंकी वहन क्षमता पर बैठक का आयोजन
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Published : Aug 3, 2019, 12:32 PM IST

कुल्लू: पहाड़ी पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता के आकलन व इससे संबंधित विभिन्न गतिविधियां और स्थानीय पर्यावरण पर इनके प्रभाव के संबंध में एक बैठक का अयोजन किया गया. बैठक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं विकास संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में आयोजित की गई थी. बैठक में क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ विभिन्न विभागों के अधिकारियों भाग लिया.

क्षेत्रीय केंद्र के संयोजक इंजीनियर आरके सिंह ने कहा कि पर्यटन स्थलों पर पर्यटन उद्योग के प्रसार के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन से संबंधित कई मुद्दे सामने आ रहे हैं. इन पर्यटन स्थलों के लिए एक वृहद, दीर्घकालीन और समग्र नीति की आवश्यकता है.

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संस्थान के वैज्ञानिकों कहा कि पर्यटन उद्योग के प्रसार के कारण पहाड़ी स्थलों में पर्यावरण से संबंधित समस्याएं और विभिन्न वर्गों के हितों का टकराव स्वभाविक है. उन्होंने बताया कि इन स्थानों की वहन क्षमता के आकलन को लेकर संस्थान दिशा-निर्देश तैयार करने पर अध्ययन कर रहा है. इसके लिए विभिन्न विभागों और अन्य हितधारकों से चर्चा की जा रही है.

कुल्लू: पहाड़ी पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता के आकलन व इससे संबंधित विभिन्न गतिविधियां और स्थानीय पर्यावरण पर इनके प्रभाव के संबंध में एक बैठक का अयोजन किया गया. बैठक जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं विकास संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में आयोजित की गई थी. बैठक में क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ विभिन्न विभागों के अधिकारियों भाग लिया.

क्षेत्रीय केंद्र के संयोजक इंजीनियर आरके सिंह ने कहा कि पर्यटन स्थलों पर पर्यटन उद्योग के प्रसार के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन से संबंधित कई मुद्दे सामने आ रहे हैं. इन पर्यटन स्थलों के लिए एक वृहद, दीर्घकालीन और समग्र नीति की आवश्यकता है.

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संस्थान के वैज्ञानिकों कहा कि पर्यटन उद्योग के प्रसार के कारण पहाड़ी स्थलों में पर्यावरण से संबंधित समस्याएं और विभिन्न वर्गों के हितों का टकराव स्वभाविक है. उन्होंने बताया कि इन स्थानों की वहन क्षमता के आकलन को लेकर संस्थान दिशा-निर्देश तैयार करने पर अध्ययन कर रहा है. इसके लिए विभिन्न विभागों और अन्य हितधारकों से चर्चा की जा रही है.

Intro:कुल्लू
पहाड़ी पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता पर किया मंथन
मौहल में जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के केंद्र में परामर्श बैठक आयोजितBody:

पहाड़ी पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता के आकलन, इनसे संबंधित विभिन्न गतिविधियों तथा स्थानीय पर्यावरण पर इनके प्रभाव के संबंध में व्यापक चर्चा के लिए मौहल स्थित जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं विकास संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में एक परामर्श बैठक आयोजित की गई। बैठक में क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारियों तथा पर्यावरण संरक्षण से संबंधित स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विभागीय अधिकारियों का स्वागत करते हुए क्षेत्रीय केंद्र के संयोजक इंजीनियर आरके सिंह ने कहा कि पहाड़ी पर्यटन स्थलों में पर्यटन उद्योग के प्रसार के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन और स्थानीय लोगों के हितों से संबंधित कई ज्वलंत मुद्दे सामने आ रहे हैं। इन पर्यटन स्थलों के लिए एक वृहद, दीर्घकालीन और समग्र नीति की आवश्यकता है। इसी के मद्देनजर संस्थान ने यह परामर्श बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया, ताकि संबंधित विभागों और अन्य हितधारकों के साथ मंथन किया जा सके।
इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिक इंजीनियर एकनाथ गोसावी, डा. लिपिका शर्मा, डा. अभय शर्मा और डा. शिवपाल ने कहा कि पर्यटन उद्योग के प्रसार के कारण पहाड़ी स्थलों में पर्यावरण से संबंधित समस्याएं और विभिन्न वर्गों के हितों का टकराव स्वभाविक है। उन्होंने बताया कि इन स्थानों की वहन क्षमता के आकलन हेतु दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए जीबी पंत संस्थान गहन अध्ययन कर रहा है। इसके लिए विभिन्न विभागों तथा अन्य हितधारकों से व्यापक चर्चा की जा रही है।
Conclusion:संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि वहन क्षमता के आकलन में पहाड़ी क्षेत्रों की जनसंख्या, ढांचागत विकास, पर्यावरण संतुलन, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव, स्थानीय लोगों की आजीविका, ग्राम व नगर नियोजन, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन, पेयजल, परिवहन, स्वास्थ्य और अन्य सभी आवश्यक पहलुओं को शामिल किया जा रहा है।
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