ETV Bharat / state

MahaShivratri 2023: इस बार महाशिवरात्रि पर महासंयोग, निशिता काल में महादेव की पूजा से मिलेगा लाभ

महाशिवरात्रि का व्रत सबसे बड़ा व्रत माना जाता है. इस बार की शिवरात्रि बहुत खास है क्योंकि इस बार एक महासंयोग शिवरात्रि पर बन रहा है. आखिर क्या है वो महासंयोग ? कब है महाशिवरात्रि और कैसे करें भोलेनाथ का पूजन ? (MahaShivratri 2023) (pradosh vrat shubh muhurat) (MahaShivratri shubh muhurat) (Mahashivratri and Pradosh Vrat)

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Feb 9, 2023, 8:30 PM IST

Updated : Feb 10, 2023, 6:14 AM IST

कुल्लू: देवों के देव महादेव की महाशिवरात्री फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इस बार महाशिवरात्रि के दिन दो बड़े संयोग बन रहे हैं. अहम बात ये है कि ये संयोग भगवान भोलेनाथ और उनके भक्तों के लिए बहुत खास है.

क्यों खास होती है महाशिवरात्रि- हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का प्राकट्य भी हुआ था. भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर महासंयोग- इस बार की महाशिवरात्रि भक्तों के लिए कई गुना फलदाई सिद्ध होगी. क्योंकि 18 फरवरी महाशिवरात्रि के साथ-साथ प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भी है. हर महीने आने वाली शिवरात्रि के अलावा शनिवार को प्रदोश व्रत भी है. जो इस साल का शनि प्रदोष व्रत है. इन दोनों मौकों पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए महादेव की पूजा अराधना के साथ व्रत भी करते हैं. महाशिवरात्र पर भगवान शिव से जुड़े 3 व्रत होने से इस दिन की अहमियत और बढ़ जाती है. इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि कई गुना फलदायी होगी.

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त- पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8:02 बजे शुरू होगी और रविवार 19 फरवरी को शाम 4:18 बजे तक होगी. महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल यानी मध्य रात्रि में की जाती है. निशिता काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना से सबसे ज्यादा लाभ मिलता है.

18 फरवरी को निशिता काल का समय- आचार्य राजकुमार शर्मा के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि पर निशिता काल का समय लगभग 50 मिनट का रहेगा. जो 18 फरवरी को रात 11:52 बजे से 12:42 बजे तक रहेगा. इस समय भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना आपके मनोरथ पूर्ण करेगी. इसके अलावा पूजा अर्चना और व्रत पारण के लिए भी विशेष समय है. रात्रि के समय के हर पहर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जा सकती है.

-पहले पहर में पूजा का समय 18 फरवरी को शाम 6:40 बजे से रात 9:46 बजे तक रहेगा.

-दूसरे पहर में पूजा का समय रात 18 फरवरी को रात 9:46 बजे से मध्य रात्रि 12:52 बजे तक रहेगा.

-तीसरे पहर में पूजा का समय मध्य रात्रि 12:52 बजे से 19 फरवरी को सुबह 3:59 बजे तक होगी.

-चौथा पहर 19 फरवरी सुबह 3:59 बजे से 7:05 बजे तक चलेगा

-व्रत पारण का समय 19 फरवरी सुबह 6:10 बजे से दोपहर 2:40 बजे तक रहेगा

महाशिवरात्रि के दिन महादेव को कैसे मनाएं- महाशिवरात्रि पर व्रत रखने और रात्रि जागरण का विधान है. ये सनातन धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक है. इस दिन भगवान शंकर कि मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर जलाभिषेक करें. भगवान शिव के समक्ष पूरी रात दीपक जलाएं रखें. भगवान भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र अति प्रिय है. इसके साथ-साथ महादेव को चंदन का तिलक लगाएं और गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, मिठाई, मीठा पान, फल, इत्र आदि का चढ़ाएं. पूजा अर्चना के बाद भगवान शंकर को केसर युक्त खीर का भोग लगाएं और प्रसाद जरूर बांटे. ऊं नम: शिवाय, ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्रों का जाप करें.

ये भी पढ़ें: ओम नमः शिवाय के जयकारों से गूंजेगी छोटी काशी, प्राचीन एकादश रुद्र मंदिर में रखा जाएगा अखंड जाप

कुल्लू: देवों के देव महादेव की महाशिवरात्री फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इस बार महाशिवरात्रि के दिन दो बड़े संयोग बन रहे हैं. अहम बात ये है कि ये संयोग भगवान भोलेनाथ और उनके भक्तों के लिए बहुत खास है.

क्यों खास होती है महाशिवरात्रि- हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि होती है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. साथ ही महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव का प्राकट्य भी हुआ था. भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए महाशिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है.

महाशिवरात्रि पर महासंयोग- इस बार की महाशिवरात्रि भक्तों के लिए कई गुना फलदाई सिद्ध होगी. क्योंकि 18 फरवरी महाशिवरात्रि के साथ-साथ प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भी है. हर महीने आने वाली शिवरात्रि के अलावा शनिवार को प्रदोश व्रत भी है. जो इस साल का शनि प्रदोष व्रत है. इन दोनों मौकों पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए महादेव की पूजा अराधना के साथ व्रत भी करते हैं. महाशिवरात्र पर भगवान शिव से जुड़े 3 व्रत होने से इस दिन की अहमियत और बढ़ जाती है. इसलिए इस बार की महाशिवरात्रि कई गुना फलदायी होगी.

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त- पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 8:02 बजे शुरू होगी और रविवार 19 फरवरी को शाम 4:18 बजे तक होगी. महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल यानी मध्य रात्रि में की जाती है. निशिता काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना से सबसे ज्यादा लाभ मिलता है.

18 फरवरी को निशिता काल का समय- आचार्य राजकुमार शर्मा के मुताबिक इस बार महाशिवरात्रि पर निशिता काल का समय लगभग 50 मिनट का रहेगा. जो 18 फरवरी को रात 11:52 बजे से 12:42 बजे तक रहेगा. इस समय भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना आपके मनोरथ पूर्ण करेगी. इसके अलावा पूजा अर्चना और व्रत पारण के लिए भी विशेष समय है. रात्रि के समय के हर पहर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जा सकती है.

-पहले पहर में पूजा का समय 18 फरवरी को शाम 6:40 बजे से रात 9:46 बजे तक रहेगा.

-दूसरे पहर में पूजा का समय रात 18 फरवरी को रात 9:46 बजे से मध्य रात्रि 12:52 बजे तक रहेगा.

-तीसरे पहर में पूजा का समय मध्य रात्रि 12:52 बजे से 19 फरवरी को सुबह 3:59 बजे तक होगी.

-चौथा पहर 19 फरवरी सुबह 3:59 बजे से 7:05 बजे तक चलेगा

-व्रत पारण का समय 19 फरवरी सुबह 6:10 बजे से दोपहर 2:40 बजे तक रहेगा

महाशिवरात्रि के दिन महादेव को कैसे मनाएं- महाशिवरात्रि पर व्रत रखने और रात्रि जागरण का विधान है. ये सनातन धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक है. इस दिन भगवान शंकर कि मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर जलाभिषेक करें. भगवान शिव के समक्ष पूरी रात दीपक जलाएं रखें. भगवान भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र अति प्रिय है. इसके साथ-साथ महादेव को चंदन का तिलक लगाएं और गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, मिठाई, मीठा पान, फल, इत्र आदि का चढ़ाएं. पूजा अर्चना के बाद भगवान शंकर को केसर युक्त खीर का भोग लगाएं और प्रसाद जरूर बांटे. ऊं नम: शिवाय, ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्रों का जाप करें.

ये भी पढ़ें: ओम नमः शिवाय के जयकारों से गूंजेगी छोटी काशी, प्राचीन एकादश रुद्र मंदिर में रखा जाएगा अखंड जाप

Last Updated : Feb 10, 2023, 6:14 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.