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कोदरा की चाय पीने के फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान, एक क्लिक में पढ़ें बनाने की विधि

कुल्लू के ढालपुर मैदान में जहां अंतरराष्ट्रीय दशहरे (Kullu Dussehra 2022) की धूम मची हुई है, तो वहीं दशहरा उत्सव को आकर्षक बनाने के लिए यहां विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनियां भी लगाई गई हैं. जिसमें कोदरा की चाय (Kodra tea in Kullu Dussehra festival) लोगों को काफी पसंद आ रही है. कोदरा की चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. आइए आपको बताते हैं की आखिर कोदरा होता क्या है और इसकी चाय कैसी बनती है...

Kodra tea in Kullu Dussehra festival
Kodra tea in Kullu Dussehra festival
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Published : Oct 9, 2022, 5:33 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरा (Kullu Dussehra 2022) उत्सव में कोदरा की चाय जनता के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई (Kodra tea in Kullu Dussehra festival) है. लोग इस चाय को काफी पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा कोदरा से बने अन्य उत्पाद भी यहां ग्राहकों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि इसके सेवन से लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें. कोदरे की चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. इसके कई फायदे भी हैं (Benefits of kodra) और 12 महीने पी जा सकती है.

क्या होता है कोदरा: कोदरा भारत की एक पारंपरिक फसल है, जो मिलेट्स की श्रेणी में आता है. जिसका सेवन हजारों सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, समय के बदलाव के चलते इसकी खेती काफी कम हो गई है. भारत में कोदरा महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ भाग, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड में भी उगाया जाता है.

कोदरा.
कोदरा.

इसे कोदों, कोदरा, हरका, वरगु, अरिकेलु जैसे नामों से भी जाना जाता है. वहीं, इसका वानस्पतिक नाम Paspalum Scrobiculatum है. कोदो का पौधा देखने में धान के पौधे की तरह ही होता है. खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है. एक अनुमान के मुताबिक 3 हजार साल पहले इसे भारत लाया गया. (Kodra Production in India) (What is Kodo Millet).

दक्षिणी भारत में इसे कोद्रा कहा जाता है और साल में एक बार उगाया जाता है. यह पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में एक बारहमासी फसल के रूप में उगता है और वहां इसे अकाल भोजन के रूप में जाना जाता है. अकसर यह धान के खेतों में घास के समान उग जाता है. पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोदो की मांग बढ़ी है. इसे ‘शुगर फ्री चावल’ के नाम से जाना जा रहा है और इसलिए अब फूड आउटलेट और होटलों में भी परोसा जा रहा है.

कोदरा.
कोदरा.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोदरा: कोदरा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. कोदो के नियमित सेवन से ब्लड में उपस्थित ग्लूकोस के स्तर को कम किया जा सकता हैं, क्योंकि कोदो में मधुमेह विरोधी कंपाउंड क्वेरसेटिन, फेरुलिक एसिड, पी-हाइड्रोक्सी बेंजोइक एसिड, वैनिलिक एसिड और सिरींजिक एसिड पाया जाता हैं. इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि के लिए कोदो में पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. पॉलीफेनॉल्स मानव शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, ल्यूकोनोस्ट ल्यूकोनोस्टोक मेसेन्टेरोइड्स, बेसिलस सेरेस और एंटरोकोकस फेसेलिस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता हैं. (Benefits of kodo Millet).

इन बीमारियों के लिए रामबाण: कोदरा कई बीमारियों के लिए रामबाण भी हैं. कोदो में उच्च में फाइबर है जिससे यह वजन को बढ़ने से रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है और वजन का प्रबंधन करने और वजन घटाने को बढ़ावा देता है. वहीं, हृदय रोग के लक्षण, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से पीड़ित महिलाओं के लिए कोदो बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा यह रक्त को साफ करने, अनिद्रा में राहत देने खून को बढ़ाने, कैंसर को रोकने और बवासीर को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. इसके अलावा रक्तचाप, शुगर जैसी बीमारियों को ठीक करने में ये काफी सहायक माना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में बिक रहे उत्पाद.
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में बिक रहे उत्पाद.

ऐसे बनाएं कोदरा की चाय: कोदरा की चाय एक बार में ही कई दिनों के लिए तैयार की जा सकती (How to make kodra tea) है. इसके लिए 250 ग्राम कोदरे का आटा लें, जिसमें आठ अखरोट के पीस, 100 ग्राम मूंगफली, 50 ग्राम बादाम को कूटकर बारीक पीस लें. इसके बाद इन बारीक की गई सामग्री को कोदरे के आटे में सही तरीके से मिक्स कर लें और 150 ग्राम देसी घी के साथ धीमी आंच में भून लें. इसमें फिर मीठे के लिए शक्कर मिक्स करें. ऐसे में रोजाना दूध या पानी के कप में एक चम्मच मिलाकर कोदरे की चाय पी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: SHIMLA: ढली सब्जी मंडी से मुजफ्फरपुर के लिए निकला ट्रक 650 सेब की पेटियों के साथ गायब, FIR दर्ज

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरा (Kullu Dussehra 2022) उत्सव में कोदरा की चाय जनता के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई (Kodra tea in Kullu Dussehra festival) है. लोग इस चाय को काफी पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा कोदरा से बने अन्य उत्पाद भी यहां ग्राहकों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि इसके सेवन से लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें. कोदरे की चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. इसके कई फायदे भी हैं (Benefits of kodra) और 12 महीने पी जा सकती है.

क्या होता है कोदरा: कोदरा भारत की एक पारंपरिक फसल है, जो मिलेट्स की श्रेणी में आता है. जिसका सेवन हजारों सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, समय के बदलाव के चलते इसकी खेती काफी कम हो गई है. भारत में कोदरा महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ भाग, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड में भी उगाया जाता है.

कोदरा.
कोदरा.

इसे कोदों, कोदरा, हरका, वरगु, अरिकेलु जैसे नामों से भी जाना जाता है. वहीं, इसका वानस्पतिक नाम Paspalum Scrobiculatum है. कोदो का पौधा देखने में धान के पौधे की तरह ही होता है. खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है. एक अनुमान के मुताबिक 3 हजार साल पहले इसे भारत लाया गया. (Kodra Production in India) (What is Kodo Millet).

दक्षिणी भारत में इसे कोद्रा कहा जाता है और साल में एक बार उगाया जाता है. यह पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में एक बारहमासी फसल के रूप में उगता है और वहां इसे अकाल भोजन के रूप में जाना जाता है. अकसर यह धान के खेतों में घास के समान उग जाता है. पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोदो की मांग बढ़ी है. इसे ‘शुगर फ्री चावल’ के नाम से जाना जा रहा है और इसलिए अब फूड आउटलेट और होटलों में भी परोसा जा रहा है.

कोदरा.
कोदरा.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोदरा: कोदरा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. कोदो के नियमित सेवन से ब्लड में उपस्थित ग्लूकोस के स्तर को कम किया जा सकता हैं, क्योंकि कोदो में मधुमेह विरोधी कंपाउंड क्वेरसेटिन, फेरुलिक एसिड, पी-हाइड्रोक्सी बेंजोइक एसिड, वैनिलिक एसिड और सिरींजिक एसिड पाया जाता हैं. इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि के लिए कोदो में पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. पॉलीफेनॉल्स मानव शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, ल्यूकोनोस्ट ल्यूकोनोस्टोक मेसेन्टेरोइड्स, बेसिलस सेरेस और एंटरोकोकस फेसेलिस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता हैं. (Benefits of kodo Millet).

इन बीमारियों के लिए रामबाण: कोदरा कई बीमारियों के लिए रामबाण भी हैं. कोदो में उच्च में फाइबर है जिससे यह वजन को बढ़ने से रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है और वजन का प्रबंधन करने और वजन घटाने को बढ़ावा देता है. वहीं, हृदय रोग के लक्षण, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से पीड़ित महिलाओं के लिए कोदो बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा यह रक्त को साफ करने, अनिद्रा में राहत देने खून को बढ़ाने, कैंसर को रोकने और बवासीर को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. इसके अलावा रक्तचाप, शुगर जैसी बीमारियों को ठीक करने में ये काफी सहायक माना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में बिक रहे उत्पाद.
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में बिक रहे उत्पाद.

ऐसे बनाएं कोदरा की चाय: कोदरा की चाय एक बार में ही कई दिनों के लिए तैयार की जा सकती (How to make kodra tea) है. इसके लिए 250 ग्राम कोदरे का आटा लें, जिसमें आठ अखरोट के पीस, 100 ग्राम मूंगफली, 50 ग्राम बादाम को कूटकर बारीक पीस लें. इसके बाद इन बारीक की गई सामग्री को कोदरे के आटे में सही तरीके से मिक्स कर लें और 150 ग्राम देसी घी के साथ धीमी आंच में भून लें. इसमें फिर मीठे के लिए शक्कर मिक्स करें. ऐसे में रोजाना दूध या पानी के कप में एक चम्मच मिलाकर कोदरे की चाय पी जा सकती है.

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