कुल्लू: जिला मुख्यालय के ढालपुर मैदान में हर साल अंतरराष्ट्रीय दशहरा धूमधाम के साथ मनाया जाता है. बीते साल कोरोना संक्रमण के कारण दशहरा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका. वहीं, देव परंपराओं को निभाने के लिए भी कुछ देवी देवताओं को बुलाया गया. जिसके चलते घाटी के देवी देवताओं में भी काफी रोष रहा और उन्होंने अपने गुर के माध्यम से भी इस रोष व्यक्त किया. गुरुवार को ढालपुर मैदान की शुद्धि की तैयारियों पर देव समाज ने चर्चा की.
वहीं, बीते माह नग्गर में हुई जगती में देवी देवताओं ने ढालपुर मैदान की शुद्धिकरण के आदेश भी जारी किए थे. जिसे देखते हुए 17 अक्टूबर को कुष्ठू काहिका का भी आयोजन किया जाएगा. देव आदेश में पिछले दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं को न बुलाने, दशहरा में बजाई गई देवधुन तथा देवस्थलों से थड़ियों को हटाने आदि से रुष्ट देवी-देवताओं ने इसके निवारण के लिए कुष्ठू काहिका करवाने को कहा था.
इस साल कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है. ऐसे में कुष्ठू काहिका को 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसका आयोजन देव विधि के अनुसार होगा. इसमें देवी-देवता उसी रास्ते में परिक्रमा करेंगे, जहां दशहरा में भगवान नरसिंह की जलेब यात्रा निकलती है.
गौर रहे कि पिछले साल दशहरा पर्व में जिलाभर से मात्र सात देवी-देवताओं को बुलाया गया था. हर बार दशहरा में करीब 300 देवी-देवताओं को बुलाया जाता है. ऐसे में दशहरा में आई देवी हिडिंबा के साथ देवता धूमल नाग सहित कई देवी देवताओं ने इसका विरोध जताया है. साथ ही, 2019 को ढालपुर में बजाई देवधुन तथा इसे पहले ढालपुर में देवी-देवताओं के बैठने वाली जगहों से उनकी छड़ियों को हटाने पर देवी-देवता नाराज हो गए थे.
भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि ढालपुर में 17 अक्टूबर को कुष्ठू काहिका का आयोजन होगा. पूजा अर्चना के साथ देव विधि के अनुसार काहिका की सभी परंपराओं को निभाया जाएगा. देवताओं के आदेश पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.