कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भांग की खेती को कानूनी दायरे में लाने संबंधी एक जनसुनवाई रखा गया. जिसमें बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भांग की खेती को कानूनी दायरे में लाने के लिए सभी की राय लेने की आवश्कता समझी है. ताकि जनसमुदायों के विचारों को भी नीति निर्माण में शामिल किया जा सके. उन्होंने कहा भांग की खेती को वैध करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जो सरकार को प्रदेश में भांग की खेती को मान्यता देने पर नीति बनाने से संबंधित सुझाव देगी.
किसानों-बागवानो की होगी आर्थिकी सुदृढ़: उन्होंने कहा कि भांग की खेती को कानूनी मान्यता देने के लिए आज उच्च स्तरीय कमेटी की यह पहली जनसुनवाई है. जगत सिंह नेगी ने कहा कि आज यह बहुत बड़ी चर्चा बन गई है कि भांग के पौधे से क्या-क्या फायदे हैं, कौन-कौन सी दवाइयां बनती है. उन्होंने कहा कि इस कमेटी द्वारा आज विभिन्न हित धारकों से चर्चा करने के बाद उनकी राय ली जा रही है. उन्होंने कहा कि भांग की खेती को कानूनी मान्यता मिलने से जहां प्रदेश के किसानों-बागवानो की आर्थिकी सुदृढ़ होगी. वहीं इससे बनने वाले अनेक प्रकार के उत्पादों और दवा के निर्माण में भी इनका उपयोग होगा.
भांग उत्पादन के लिए विशेष लाइसेंस देने का प्रावधान: मुख्य संसदीय सचिव सुन्दर सिंह ठाकुर ने कहा की सबसे राय लेने के बाद ही नीति बनाने का कार्य किया जाएगा. साथ ही इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए भी व्यवस्था की जाएगी. भांग का फूल, तना तथा बीज के उत्पादन के लिए विशेष लाइसेंस देने का प्रावधान किया जा सकता है. यह सब कार्य एक नियंत्रित नीति के तहत होगा. उन्होंने कहा कि कुल्लू जिले के हर घर में बुनाई का कार्य होता है और कमेटी के साथ सबसे पहली बैठक कुल्लू में रखी गई है.
इस दौरान भांग से बनने वाले विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों ने उत्पादों का अवलोकन किया व इसमें गहरी रुची दिखाई. वही ज़िले की पांचों विकास खंडों के पंचायतों द्वार भांग को खेती को कानूनी दायरे में लाने के समर्थन में प्रस्ताव कमेटी के अध्यक्ष को सौंपे और जनप्रतिनिधियों द्वारा बहुमूल्य सुझाव भी दिए गए.
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