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बागवानी विभाग के विशेषज्ञों की बागवानों को सलाह, सेब तुड़ान के बाद करे यूरिया का छिड़काव - यूरिया का छिड़काव

कुल्लू के निचले इलाकों में सेब सीजन समाप्त. तुड़ान के बाद बगीचे में रोगों के पनपने का खतरा. विशेषज्ञों ने दी यूरिया का छिड़काव करने की सलाह.

बागवानी विभाग
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Published : Oct 5, 2019, 10:27 AM IST

कुल्लूः जिले के निचले इलाकों में सेब सीजन समाप्त हो गया है. सेब तुड़ान के बाद पौधों के स्पर व टहनियां आदि टूट जाती हैं. इससे पौधे में कई रोग पनपने का खतरा रहता है.

बागवानी विभाग के विशेषज्ञों ने बागवानों को सलाह दी है कि जिन बगीचों में सेब का तुड़ान समाप्त हो गया है, वहां पर सेब बगीचों में कापर ऑक्सीक्लोराइड और यूरिया का छिड़काव करें. इससे पौधे को ताकत मिलेगी. आगामी सेब फसल पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा.

जिले में इस बार सेब की बंपर पैदावार हुई है. कुल्लू के सेब की लाखों पेटियां देश की विभिन्न मंडियों तक पहुंची हैं. बंपर फसल होने के कारण सेब के पौधों पर इसकी मार भी पड़ी है. घाटी के बागवान रमेश चंद, दिवान चंद, मोहन लाल, नितिन और पंकज ठाकुर ने कहा कि सेब सीजन लगभग समाप्ति की ओर है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर बागवानों ने सेब निकालने का काम पूरा कर दिया है. कहा कि बंपर फसल के कारण इस बार सेब की कई टहनियां भी टूटी. विभाग को सेब निकालने के बाद पौधे को स्वस्थ रखने के लिए बागवानों को जागरूक करना चाहिए.

उधर, इस संबंध में बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने कहा कि सेब तुड़ान के बाद तुरंत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 600 ग्राम और यूरिया दो किलोग्राम प्रति 200 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें. इससे सेब के पौधे को तुड़ान के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सेब, नाशपाती और जापानी फल की नर्सरी लगाने के लिए बागवान सेब, कैंथ और अमलूक के बीजों को इकट्ठा करें.

कुल्लूः जिले के निचले इलाकों में सेब सीजन समाप्त हो गया है. सेब तुड़ान के बाद पौधों के स्पर व टहनियां आदि टूट जाती हैं. इससे पौधे में कई रोग पनपने का खतरा रहता है.

बागवानी विभाग के विशेषज्ञों ने बागवानों को सलाह दी है कि जिन बगीचों में सेब का तुड़ान समाप्त हो गया है, वहां पर सेब बगीचों में कापर ऑक्सीक्लोराइड और यूरिया का छिड़काव करें. इससे पौधे को ताकत मिलेगी. आगामी सेब फसल पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा.

जिले में इस बार सेब की बंपर पैदावार हुई है. कुल्लू के सेब की लाखों पेटियां देश की विभिन्न मंडियों तक पहुंची हैं. बंपर फसल होने के कारण सेब के पौधों पर इसकी मार भी पड़ी है. घाटी के बागवान रमेश चंद, दिवान चंद, मोहन लाल, नितिन और पंकज ठाकुर ने कहा कि सेब सीजन लगभग समाप्ति की ओर है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर बागवानों ने सेब निकालने का काम पूरा कर दिया है. कहा कि बंपर फसल के कारण इस बार सेब की कई टहनियां भी टूटी. विभाग को सेब निकालने के बाद पौधे को स्वस्थ रखने के लिए बागवानों को जागरूक करना चाहिए.

उधर, इस संबंध में बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने कहा कि सेब तुड़ान के बाद तुरंत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 600 ग्राम और यूरिया दो किलोग्राम प्रति 200 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें. इससे सेब के पौधे को तुड़ान के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी. उन्होंने कहा कि सेब, नाशपाती और जापानी फल की नर्सरी लगाने के लिए बागवान सेब, कैंथ और अमलूक के बीजों को इकट्ठा करें.

Intro:सेब तुड़ान के बाद करे यूरिया का छिड़कावBody:

जिले के निचले इलाकों में सेब सीजन समाप्त हो गया है। सेब तुड़ान के बाद पौधों के स्पर व टहनियां आदि टूट जाती हैं। इससे पौधे में कई रोग पनपने का खतरा रहता है। ऐसे में बागवानी विभाग के विशेषज्ञों ने बागवानों को सलाह दी है कि जिन बगीचों में सेब का तुड़ान समाप्त हो गया है, वहां पर सेब बगीचों में कापर ऑक्सीक्लोराइड और यूरिया का छिड़काव करें। इससे पौधे को ताकत मिलेगी। आगामी सेब फसल पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा। जिले में इस बार सेब की बंपर पैदावार हुई है। कुल्लू के सेब की लाखों पेटियां देश की विभिन्न मंडियों तक पहुंची हैं। बंपर फसल होने के कारण सेब के पौधों पर इसकी मार भी पड़ी है। घाटी के बागवान रमेश चंद, दिवान चंद, मोहन लाल, नितिन और पंकज ठाकुर ने कहा कि सेब सीजन लगभग समाप्ति की ओर है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर बागवानों ने सेब निकालने का काम पूरा कर दिया है। कहा कि बंपर फसल के कारण इस बार सेब की कई टहनियां भी टूूटी। विभाग को सेब निकालने के बाद पौधे को स्वस्थ रखने के लिए बागवानों को जागरूक करना चाहिए।
Conclusion:उधर, इस संबंध में बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ उत्तम पराशर ने कहा कि सेब तुड़ान के बाद तुरंत कापर आक्सीक्लोराइड 600 ग्राम और यूरिया दो किलोग्राम प्रति 200 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। इससे सेब के पौधे को तुड़ान के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सेब, नाशपाती और जापानी फल की नर्सरी लगाने के लिए बागवान सेब, कैंथ और अमलूक के बीजों को इकट्ठा करें।
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