कुल्लू: दशहरा पर्व के बाद विश्व की सबसे बड़ी देव अदालत जगती हो सकती है. देवी-देवताओं ने आदेश देना शुरू कर दिए हैं. लग घाटी के आराध्य देव फलाणी नारायण ने भी भगवान रघुनाथ के कैंप में आकर छड़ीबरदार महेश्वर सिंह को आदेश दिए हैं.
कुल्लू के सभी देवी-देवताओं ने कहा है कि ढालपुर मैदान अठारह करडु देवी-देवताओं की भूमि है. यहां आने के लिए हमें किसी की इजाजत की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इस बार जिस तरह से दोहरे मापदंड अपना कर देवी-देवताओं पर लगाए हैं उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
सराज घाटी के भी सभी देवी-देवताओं ने दशहरा कमेटी से नाराजगी जाहिर की है. इस कारण अब देवी-देवता जगती की मांग कर रहे हैं. बता दें कि दशहरा पर्व में करीब 500 देवी-देवताओं को आने का अधिकार हैं, जिसमें 365 माफिदार व 122 गैर माफिदार देवता शामिल हैं.
पिछले वर्ष दशहरा पर्व में 280 के करीब देवता आए थे, लेकिन इस बार दशहरा कमेटी ने पहले दशहरा मनाने से ही इनकार कर दिया. इसके बाद सात देवी-देवताओं के सिर्फ निशान बुलाने को कहा और बाद में सिर्फ सात देवी-देवताओं के रथों को आने की अनुमति दी गई.
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सभी देवताओं को अपने हारियान क्षेत्र से बाहर आने की अनुमति तक नहीं दी गई, जिस कारण जिला के अधिष्ठाता देव यहां नहीं पहुंच सके. भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह का कहना है कि देवी देवता भगवान रघुनाथ के दरबार आ रहे हैं और अपनी नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं. ऐसे में वे सभी देवी-देवताओं से माफी भी मांग रहे हैं.
बता दें कि जब-जब देवी-देवताओं व सृष्टि पर कोई संकट आता है तो जगती का आयोजन होता है. जगती का आयोजन नगर के जगतिपट्ट में होता है और सभी देवी-देवताओं के निशान व गुर-पुजारी इसमें भाग लेते हैं. देवताओं की यह अदालत सबसे बड़ी अदालत हैं.
विश्व में कुल्लू को छोड़कर और कहीं भी इतनी बड़ी देव अदालत नहीं होती है. इससे पहले स्की विलेज के मामले को लेकर ही हाल के वर्षों में जगती हो चुकी है, जिसके चलते स्की विलेज स्थगित करना पड़ा था.
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