कुल्लू: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिए इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. विशेष पूजा-पाठ और उपाय करते हैं. 21 मार्च, मंगलवार को चैत्र अमावस्या है. मंगलवार का दिन होने के चलते चैत्र अमावस्या को भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा. भौमवती अमावस्या मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप भी मिट जाते हैं तथा पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है. इसके अलावा मंगल दोष के लिए की गई पूजा भी व्यक्ति को फल प्रदान करती है और मंगल के बुरे प्रभावों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है.
चैत्र अमावस्या 21 मार्च रात 1 बजकर 29 मिनट पर शुरू हो जाएगी और रात 10:53 मिनट पर ही खत्म हो जाएगी. अगर मेहनत करने के बाद भी आपको फल नहीं मिल रहा है तो आप भी चैत्र अमावस्या के दिन दूध, चीनी, चावल का दान कर सकते हैं. इस दिन दाम करने का बड़ा महत्त्व है. मान्यता है कि इस दिन दान करने से आपको मेहनत का फल मिलना शुरू हो जाता है.
इसके अलावा मंगल ग्रह की शांति के लिए भौमवती अमावस्या के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें. इन उपायों से व्यक्ति को नौकरी व कारोबार में भी उन्नति मिलती है. वहीं, अगर मंगल के बीज मंत्र का 108 बार जाप किया जाए और मंगल से जुड़ी हुई वस्तुएं सोना गुड, लाल मसूर की दाल, कस्तूरी, केसर, लाल वस्त्र, मूंगा, तांबे के बर्तनों को निर्धन व्यक्ति को दान किया जाए, तो इन उपायों से भी मंगल दोष से मुक्ति मिलती है.
आचार्य विजय शर्मा का कहना है कि पितरों की पूजा के लिए भी अमावस्या का दिन अहम माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से जहां व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है तो वहीं काले तिल का दान करने से पितृ दोष दूर होते हैं और शनि ग्रह भी प्रसन्न होते हैं. वहीं, संतान सुख पाने के लिए व्यक्ति को चैत्र अमावस्या के दिन लोटे में दूध, पानी, काले तिल और जौ मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाना चाहिए. सरसो के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाने और 7 बार पेड़ की परिक्रमा करने से नवग्रह शांत होते हैं.
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