कुल्लू: वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच चीन से 2300 टन सीबकथोर्न (छरमा) का आयात बंद हो गया है. इससे देश में 120 वस्तुओं के उत्पादन पर संकट खड़ा हो गया है. इनमें इम्युनिटी बूस्टर च्यवनप्राश, चाय, जूस और जैम जैसे उत्पाद शामिल हैं.
कच्चा माल न मिलने से परेशान हरियाणा के फरीदाबाद की कंपनी बॉयोसॉश बिजनेस प्राइवेट लि. ने हिमाचल सरकार को पत्र लिखकर जनजातीय जिलों में करीब 2000 हेक्टेयर वन क्षेत्र में सीबकथोर्न लगाकर देश में इसकी कमी को पूरा करने का आग्रह किया है.
कंपनी के निदेशक अर्जुन खन्ना की ओर से मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में कंपनी ने कहा है कि वर्तमान में देश में करीब 3000 टन सीबकथोर्न की जरूरत है, जबकि देश में मात्र 700 टन उपलब्ध है. वर्ष 2025 में देश में 5000 टन सीबकथोर्न की जरूरत होगी.
कंपनी की ओर से लाहौल-स्पीति सीबकथोर्न को-ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष बीएस परशीरा को भी यह पत्र भेजा गया है. परशीरा ने कहा कि एक दशक से भी अधिक समय से जनजातीय इलाकों में वन क्षेत्र में सीबकथोर्न लगाने को लेकर काम किया जा रहा है.
फाइलों में धूल फांक रहा प्रस्ताव
जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में सीबकथोर्न की खेती के लिए पिछले दो दशकों से काम चल रहा है. कुल्लू से शिमला तक कई कार्यशालाएं हो चुकी हैं लेकिन वन विभाग ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. डेढ़ साल पहले सीबकथोर्न एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सरकार के आदेश पर 250 करोड़ के प्रोजेक्ट का प्रस्ताव भी भेजा पर वह फाइलों में धूल फांक रहा है. लाहौल-स्पीति, किन्नौर और पांगी वन क्षेत्र की 6000 हेक्टेयर जमीन पर सीबकथोर्न को लगाने के लिए यह प्रस्ताव भेजा गया था.
पीएम मोदी भी कह चुके हैं सीबकथोर्न लगाने की बात
मई 2018 में जम्मू यूनिवर्सिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लेह-लद्दाख सहित बर्फीले क्षेत्रों में सीबकथोर्न लगाने की बात कही थी. बावजूद इसके सरकारी अमला नहीं जागा. सेवानिवृत्त खंड विकास अधिकारी बलबीर सिंह यार्की ने कहा कि सीबकथोर्न लगाने से लोगों को रोजगार मिलेगा, पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा.
ये भी पढे़ं: ग्रामीण इलाकों में शिक्षा को दिया जाएगा बढ़ावा: शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर