कुल्लू: जिला कुल्लू में बरसात शुरू होते ही ब्यास किनारे बसे लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. पिछले दो सालों से लगातार ब्यास नदी ने इन क्षेत्रों में कहर बरपाया था. बरसात के दौरान खासकर पतलीकूहल, जटेहड़ बिहाल, डोभी बिहाल, नेहरूकुंड बाहंग, रांगड़ी, 18 मील और 15 मील के लोग ब्यास का जलस्तर बढ़ते ही सुरक्षित जगह खोजने लगते हैं. वहीं, प्रशासन ने शनिवार तक बारिश की चेतावनी के साथ येलो अलर्ट जारी किया है.
इस बार भी कोरोना के बीच जुलाई से लेकर सितंबर तक लोगों को सावधानी से रहना होगा. पिछले साल बाढ़ के चलते पतलीकूहल का इंडो-नार्वेजियन ट्राउट फिश फार्म बह गया था. साथ ही कई नेपालियों के घर बह गए थे. इसके अलावा नग्गर पुल का आधा हिस्सा भी बह गया था. इसके चलते लोगों को रातों-रात पतलीकूहल छोड़ना पड़ा था.
वहीं, प्रशासन ने शनिवार तक बारिश की चेतावनी के साथ येलो अलर्ट जारी किया है. ऐसे में अब लोगों को फिर वही खतरनाक मंजर याद आने लगा है. नेशनल हाइवे समेत कई विभागों ने बाढ़ से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की हामी भरी थी, लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ नहीं हो पाया है.
कांग्रेस के प्रदेश सचिव देवेंद्र नेगी ने कहा कि पतलीकूहल, 15 मील और जटेहड़ बिहाल बाढ़ की दृष्टि से डेंजर जोन हैं. यहां बचाव के लिए सही कदम उठाने की जरूरत है. वहीं, डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा ने कहा कि शनिवार तक जिला में बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है. इसके चलते लोगों को नदी-नालों के पास न जाने की सलाह दी गई है.
मौसम विभाग के अनुसार बारिश के दौरान कई हिस्सों में लैंडस्लाइड होने की भी संभावना है. बारिश होने से तापमान में कमी आएगी और मैदानी इलाकों में लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिलेगी. साथ ही मानसून अब हिमाचल में रफ्तार पकड़ने लगा है, जिससे आगामी दिनों में बारिश का दौर जारी रहेगा. बता दें राजधानी शिमला सहित कई क्षेत्रों में पिछले तीन दिन से बारिश हो रही है, जिससे तापमान में भी कमी आई है.
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