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कुल्लू में मनाया गया अन्नकूट उत्सव, अनाज के पहाड़ पर विराजे भगवान रघुनाथ - Annkoot festival celebrated in Kullu

भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू के रघुनाथपुर में धूमधाम से अन्नकूट उत्सव मनाया गया. हर वर्ष दीवाली के दूसरे दिन अन्नकूट त्यौहार मनाया जाता है. अन्नकूट त्यौहार को गोवर्धन पूजा भी जाना जाता है.

भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया
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Published : Oct 28, 2019, 11:04 PM IST

कुल्लू: भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू के रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया.
अन्नकूट त्योहार को गोवर्धन पूजा भी जाना जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है. इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाड़नुमा ढेर लगाकर उन्हें उस पर विराजमान करवाया जाता है.

मानयता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी, उसी तरह कुल्लू में अन्नकूट त्योहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है. इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशीर्वाद देते हैं.

वीडियो

हर वर्ष दीवाली के दूसरे दिन अन्नकूट त्योहार मनाया जाता है और शास्त्र पद्धति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट व गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है. जिसको भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं.

अन्नकूट उत्सव Annkoot festival
कुल्लू में मनाया गया अन्नकूट उत्सव

उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा द्वापर युग से चली आ रही है और जब से कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदार्पण हुआ है तब से अन्नकूट का त्योहार दीपावली के बाद मनाया जाता है. लिहाजा रघुनाथपुर कुल्लू में इस परंपरा का परंपरागत तरीके से निर्वहन किया गया.

कुल्लू: भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू के रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया.
अन्नकूट त्योहार को गोवर्धन पूजा भी जाना जाता है. कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है. इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाड़नुमा ढेर लगाकर उन्हें उस पर विराजमान करवाया जाता है.

मानयता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी, उसी तरह कुल्लू में अन्नकूट त्योहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है. इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशीर्वाद देते हैं.

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हर वर्ष दीवाली के दूसरे दिन अन्नकूट त्योहार मनाया जाता है और शास्त्र पद्धति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट व गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है. जिसको भगवान के चरणों में अर्पित करते हैं.

अन्नकूट उत्सव Annkoot festival
कुल्लू में मनाया गया अन्नकूट उत्सव

उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा द्वापर युग से चली आ रही है और जब से कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदार्पण हुआ है तब से अन्नकूट का त्योहार दीपावली के बाद मनाया जाता है. लिहाजा रघुनाथपुर कुल्लू में इस परंपरा का परंपरागत तरीके से निर्वहन किया गया.

Intro:कुल्लू में मनाया गया अन्नकूट उत्सव
अनाज के पहाड़ पर विराजे भगवान रघुनाथBody:
भगवान रघुनाथ की नगरी कुल्लू के रघुनाथपुर में अन्नकूट उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस दौरान भगवान रघुनाथ अन्न के ढेर पर विराजमान हुए और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भगवान रघुनाथ के मंदिर पहुंच कर उनका आशिर्वाद लिया। अन्नकूट त्यौहार को गोवर्धन पूजा से भी जाना जाता है। कुल्लू में इस दिन भगवान रघुनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाता है। इस मौके पर भगवान रघुनाथ का श्रृंगार करके चावल का पहाडऩुमा ढेर लगाकर उस पर उन्हें विराजमान करवाया जाता है। माना जाता है कि जिस तरह से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गौवंश व ग्वालों की रक्षा की थी उसी तरह कुल्लू में मनाए जाने वाले अन्नकूट त्यौहार को भी गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान रघुनाथ को नया अनाज चढ़ाए जाने से भगवान रघुनाथ फसलों की रक्षा करते हैं और अन्न की कमी न होने का आशीर्वाद देते हैं। अन्नकूट त्यौहार हर वर्ष दीवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है जिसके लिए शास्त्र पद्धति के अनुसार दिन का चयन किया जाता है। भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि कुल्लू घाटी में अन्नकूट व गोवर्धन पूजा के नाम से जाना जाती है और अन्नकूट का अर्थ है कि इस मौसम में नए चावल दाल होती है और उसको भगवान के चरणों में अर्पित करते है। Conclusion:उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा द्वापर युग से लेकर चली आ रही है और जब से लेकर कुल्लू में रघुनाथ भगवान पदार्पण हुआ है तब से लेकर अन्नकूट का त्यौहार दीपावली के तुरंत बाद मनाया जाता है और इसे गोवर्धन पूजा कहा जाता है। लिहाजा रघुनाथपुर कुल्लू में इस परंपरा का परंपरागत तरीके से निबर्हन किया गया।
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