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किन्नौर की महिलाओं ने 1 महीने तक किया बौद्ध मंत्रों का जाप, बर्फबारी के बाद शुरू होता है प्रार्थना का दौर

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Published : Feb 5, 2020, 11:26 AM IST

किन्नौर के हांगरंग घाटी के चांगो गांव में प्रकृति को खुश करने के लिए महिलाओं ने किया 1 महीने तक बौद्ध मंत्रों का जाप. इलाके में बर्फबारी के बाद गांवासियों का प्रार्थना का यह दौर शुरू हो जाता है.

chango village kinnaur festival
चांगो गांव में महिलाओं ने किया बौद्ध मंत्र जाप

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर की हांगरंग घाटी के चांगो गांव में प्रकृति को खुश करने के लिए महिलाओं ने बौद्ध मंत्र जाप किया. हांगरंग घाटी के चांगो गांव सेब और शांतिमय वातावरण के लिए समूचे प्रदेश में जाना जाता है. साथ ही यह गांव मटर, सेब, आलू के लिए किन्नौर के सबसे बेहतरीन फसलों के लिए भी प्रसिद्ध है. इस गांव में हर वर्ष महिलाएं सर्दियों के दौरान एक घर में एकत्रित होकर बौद्ध धर्म के मंत्रो के उच्चारण के साथ वाद्य यंत्रों की धुन पर प्रकृति को याद करते हैं. इलाके में बर्फबारी के बाद गांवासियों का प्रार्थना का यह दौर शुरू हो जाता है.

बात दें कि भारी बर्फबारी के बीच गांव की सभी महिलाएं एक बड़े कमरे में एकत्रित हो जाती हैं. इस दौरान गांव के बड़े लामा इन महिलाओं के मध्य होते हैं. जो इन्हें बर्फबारी के बाद प्रकृति को याद करने के मंत्र और आने वाली फसलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए मंत्रों का जाप करवाते हैं. यहा के ग्रामीण बर्फबारी के दौरान इन मंत्रों के जरिए ईश्वर को खुश करने की कोशिश करते हैं.

वीडियो.

वहीं, सर्दियों के दौरान अच्छी बर्फबारी और आने वाली अच्छी फसल के साथ गांव को बीमारियों से दूर रखने के लिए महिलाएं बौद्ध धर्म के मंत्रों का उच्चारण महीने तक करती रहती हैं. जिसके अंतिम दिन बाद समूचे गांव को ये महिलाएं एक स्थान पर इकट्ठा होकर खाना खिलाती हैं और अनाज के दानें जमीन पर फैला दैती हैं, जो सर्दियों में पक्षियों के लिए खाने के तौर पर जमीन पर रखा जाता है.

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर की हांगरंग घाटी के चांगो गांव में प्रकृति को खुश करने के लिए महिलाओं ने बौद्ध मंत्र जाप किया. हांगरंग घाटी के चांगो गांव सेब और शांतिमय वातावरण के लिए समूचे प्रदेश में जाना जाता है. साथ ही यह गांव मटर, सेब, आलू के लिए किन्नौर के सबसे बेहतरीन फसलों के लिए भी प्रसिद्ध है. इस गांव में हर वर्ष महिलाएं सर्दियों के दौरान एक घर में एकत्रित होकर बौद्ध धर्म के मंत्रो के उच्चारण के साथ वाद्य यंत्रों की धुन पर प्रकृति को याद करते हैं. इलाके में बर्फबारी के बाद गांवासियों का प्रार्थना का यह दौर शुरू हो जाता है.

बात दें कि भारी बर्फबारी के बीच गांव की सभी महिलाएं एक बड़े कमरे में एकत्रित हो जाती हैं. इस दौरान गांव के बड़े लामा इन महिलाओं के मध्य होते हैं. जो इन्हें बर्फबारी के बाद प्रकृति को याद करने के मंत्र और आने वाली फसलों की अच्छी गुणवत्ता के लिए मंत्रों का जाप करवाते हैं. यहा के ग्रामीण बर्फबारी के दौरान इन मंत्रों के जरिए ईश्वर को खुश करने की कोशिश करते हैं.

वीडियो.

वहीं, सर्दियों के दौरान अच्छी बर्फबारी और आने वाली अच्छी फसल के साथ गांव को बीमारियों से दूर रखने के लिए महिलाएं बौद्ध धर्म के मंत्रों का उच्चारण महीने तक करती रहती हैं. जिसके अंतिम दिन बाद समूचे गांव को ये महिलाएं एक स्थान पर इकट्ठा होकर खाना खिलाती हैं और अनाज के दानें जमीन पर फैला दैती हैं, जो सर्दियों में पक्षियों के लिए खाने के तौर पर जमीन पर रखा जाता है.

Intro:किन्नौर न्यूज़।

किन्नौर के चांगो गाँव में महिलाएँ बौद्ध मन्त्र जाप से प्रक्रति को कर रहे खुश,बर्फभारी के बाद हर वर्ष यहां की महिलाएँ करते है गाँव में ऐसा आयोजन।


किन्नौर-जनजातीय जिला किन्नौर के हांगरंग घाटी के तहत चांगो गाँव जो अपने सेब व शांतिमय गॉव के लिए समूचे प्रदेश में जाना जाता है वही इस गांव में हर वर्ष महिलाएँ सर्दियों के दौरान घरो में एकत्रित होकर बौद्ध धर्म के मन्त्रो के साथ वाद्ययंत्रों की धुन में प्रकति को याद करते है और करीब महीनों से ये काम चल रहा है।
Body:
भारी बर्फभारी के बीच गांव की सभी महिलाएं एक बड़े कमरे में एकत्रित हो जाती है इस दौरान गांव के बड़े लामा इन महिलाओं के मध्य होते है जो इन्हें बर्फभारी के बाद प्रकति को याद करने के मन्त्र व आने वाली फसलो की अच्छी गुणवत्ता के लिए मन्त्रो का जाप करवाते है यहॉ के ग्रामीण बर्फभारी के दौरान इन मन्त्रो व हवन करके ईश्वर को खुश करते है और यहां के मटर,सेब,आलू किन्नौर के सबसे बेहतरीन फसलो में से एक माना जाता है।


Conclusion:चांगो की महिलाए सर्दियों में पुरुषों से अधिक धार्मिक रहती है और इस क्षेत्र में सबसे पवित्र औरत को माना जाता है इसलिए बौद्ध मन्दिरो से लेकर घर के सुख शांति के किये महिलाएँ ही मन्त्र व पूजा पाठ करती है ऐसे ही सर्दियों में बर्फभारी के दौरान भी ईश्वर को अच्छी बर्फभारी और आने वाले अच्छे फसल के साथ गांव को बीमारियों से दूर रखने के लिए महिलाएं बौद्ध धर्म के मन्त्रो का उच्चारण महीने भर करती है जिसके बाद समूचे गांव को अंतिम दिन में ये महिलाएँ एक स्थान पर इकट्ठा करके खाना खिलाती है और अनाज के दाने ज़मीन पर फैकते है जो सर्दियों में पक्षियों के लिए होता है जिसे पूण्य माना जाता है
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