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HP वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष को HC से बड़ा झटका, जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर लगाया स्टे - जनजातीय सलाहकार परिषद

प्रदेश हाईकोर्ट ने वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष सूरत सिंह को जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर स्टे लगा दिया है. बता दें कि सूरत सिंह प्रदेश सरकार के दो पदों का लाभ ले रहे थे जिसके बाद हाईकोर्ट ने उनके एक पद पर स्टे लगा दिया है.

HP वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष
HP वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष
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Published : Aug 24, 2021, 7:13 PM IST

किन्नौर: प्रदेश सरकार के दो पदों का लाभ ले रहे हिमाचल प्रदेश वन निगम बोर्ड (Himachal Pradesh Forest Corporation Board) के उपाध्यक्ष सूरत सिंह को प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. प्रदेश हाईकोर्ट ने वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष को जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर स्टे लगा दिया है. यह बात प्रदेश कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट सूर्या बोरस ने रिकांगपिओं में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा.

सूर्या बोरस ने कहा कि वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष लाभ के पद पर रहते हुए भी जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य थे और बिना किसी प्रोटोकॉल का जगह जगह सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे थे. इसके चलते सरकारी अधिकारी भी परेशान थे और इस तरह के असंवैधानिक तरीके से दो पदों पर लाभ लेने को लेकर विधायक जगत सिंह नेगी ने विधानसभा के अंदर भी उठाया और जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में बार बार उठाते रहे, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन सब बातों को अनसुना किया था.

सूर्या बोरस ने कहा कि 23 अगस्त को प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला कर मुख्यमंत्री के मनमानी पर अंकुश लगाया है. प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत सिंह को जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर स्टे लगाया है और विधायक किन्नौर ने भाजपा सरकार के प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष के गलत तरीके से किये गए पदोन्नति पर स्टे लगाकर जिला की जनता के समक्ष सच्चाई लाई है जो जिला की जनता की जीत है.

किन्नौर: प्रदेश सरकार के दो पदों का लाभ ले रहे हिमाचल प्रदेश वन निगम बोर्ड (Himachal Pradesh Forest Corporation Board) के उपाध्यक्ष सूरत सिंह को प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. प्रदेश हाईकोर्ट ने वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष को जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर स्टे लगा दिया है. यह बात प्रदेश कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट सूर्या बोरस ने रिकांगपिओं में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा.

सूर्या बोरस ने कहा कि वन निगम बोर्ड के उपाध्यक्ष लाभ के पद पर रहते हुए भी जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य थे और बिना किसी प्रोटोकॉल का जगह जगह सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे थे. इसके चलते सरकारी अधिकारी भी परेशान थे और इस तरह के असंवैधानिक तरीके से दो पदों पर लाभ लेने को लेकर विधायक जगत सिंह नेगी ने विधानसभा के अंदर भी उठाया और जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में बार बार उठाते रहे, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन सब बातों को अनसुना किया था.

सूर्या बोरस ने कहा कि 23 अगस्त को प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला कर मुख्यमंत्री के मनमानी पर अंकुश लगाया है. प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत सिंह को जनजातीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पर स्टे लगाया है और विधायक किन्नौर ने भाजपा सरकार के प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष के गलत तरीके से किये गए पदोन्नति पर स्टे लगाकर जिला की जनता के समक्ष सच्चाई लाई है जो जिला की जनता की जीत है.

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